देश के मौजूदा हालात को देखते हुए हर प्रदेश की सरकार एकदम से अलर्ट मोड में है। खासकर सुप्रीम कोर्ट जिस अंदाज में अभी काम कर रही है उस ईमानदारी से सभी सरकारें सकपका गई हैं।
खासकर, दिल्ली सरकार इसको लेकर बेहद गंभीर है। सरकार के दो मंत्री पर जेल वाला एक्शन और सीएम से लंबी पूछताछ के बीच दिल्ली सरकार ने बड़ा एक्शन लिया है वह भी एक आइएएस अधिकारी पर।
जानकारी के अनुसार, एक आइएएस अधिकारी का फोन स्वीच आफ आ रहा था। तत्काल मंत्री सौरभ भारद्वाज ने सर्विसेज विभाग के सचिव आशीष माधवराव मोरे को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है।
मोरे पर कथित रूप से तबादले की फाइल चलाने के बजाय ड्यूटी से बिना सूचना गायब रहने का आरोप लगा है। नोटिस के अनुसार, आशीष मोरे को सर्विस विभाग में नए सचिव की तैनाती के लिए फाइल पेश करने के लिए कहा गया था और उन्होंने सहमति भी जताई थी।
मंत्री सौरभ भारद्वाज ने आरोप है कि आशीष मोरे सरकार का फोन नहीं उठा रहे हैं, उनका फोन बंद है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि केंद्र सरकार और उपराज्यपाल देश की सर्वोच्च अदालत के निर्देशों का पालन करने को तैयार नहीं दिख रहे हैं।
दिल्ली सरकार पारदर्शिता, दक्षता और सुशासन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर अडिग है। यह सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगी।
नोटिस के अनुसार, आशीष मोरे को सर्विस विभाग में नए सचिव की तैनाती के लिए फाइल पेश करने के लिए कहा गया था और उन्होंने सहमति भी जताई थी। लेकिन IAS अधिकारी आशीष मोरे मंत्री के सामने फाइल पेश करने की बजाय बिना सूचना के सचिवालय से निकल गए।
आशीष मोरे ने फोन कॉल का जवाब नहीं दिया और फोन स्विच ऑफ कर लिया। आरोप है कि आईएएस अफसर आशीष ने जानबूझकर फोन कॉल नहीं उठाया। सेवाओं पर अधिकार के मुद्दे पर केंद्र बनाम दिल्ली सरकार के मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली संविधान पीठ ने 11 मई को सर्वसम्मति से फैसला सुनाते हुए कहा था कि निर्वाचित सरकार का प्रशासन पर नियंत्रण जरूरी है।
लोक व्यवस्था, पुलिस और भूमि जैसे विषयों को छोड़कर अन्य सेवाओं के संबंध में दिल्ली सरकार के पास विधायी तथा शासकीय शक्तियां हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले सेवा विभाग दिल्ली के उपराज्यपाल के अधीन था।
उधर नोटिस में कहा गया है कि आशीष मोेरे बिना बताए छुट्टी पर चले गए हैं। सौरभ ने अपने नोटिस में कहा कि मेरे पास किसी भी छुट्टी के लिए आवेदन नहीं किया। न ही उन्होंने मेरे कार्यालय को सूचित किया कि वे किसी प्रकार की छुट्टी ले रहे हैं। 13 मई को सभी सचिवों को बुलाया गया था, वे उस बैठक में भी नहीं आए।