अब आतंकियों की बची-कुची जमीन को भी मिट्टी में मिलाने का समय आ गया है… — PM MODI in Madhubani
National Politics|EmergencyNews| उनकी समर्थक मंडली, जिसमें मीडिया के तमाम लोग भी शामिल हैं
नरेंद्र मोदी और उनकी समर्थक मंडली, जिसमें मीडिया के तमाम लोग भी शामिल हैं, को कुछ बातें याद करनी चाहिए। देश ने इंदिरा गांधी को इमर्जेंसी के बाद माफ करके दोबारा प्रधानमंत्री बना दिया था। इंदिरा गांधी ने स्वयं चुनाव हारने के बाद इमर्जेंसी की भूल को स्वीकार किया था और जनता ने उनको फिर से देश के नेतृत्व के लिए चुना।
National Politics|EmergencyNews| उसी जनता ने इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी को चार सौ पार वाला
उसी जनता ने इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी को चार सौ पार वाला वह रिकॉर्ड बहुमत दिया जिसका सपना नरेंद्र मोदी भी इस बार देख रहे थे लेकिन सरकार की नीतियों से बेहाल जनता और विपक्ष की मेहनत ने उनके अरमानों पर पानी फेर दिया। फिर उसी जनता ने राजीव गांधी को मिली संख्या को भी कम करके उन्हें सत्ता से बाहर कर दिया था। कांग्रेस नरसिंह राव की सरकार के बाद सत्ता से बाहर ही रही । फिर जनता ने अटल बिहारी वाजपेयी को सत्ता से बाहर करके कांग्रेस को फिर लौटाया और कांग्रेस को हटाकर मोदी को नेतृत्व सौंप दिया।
National Politics| EmergencyNews| यह सब बताने का मकसद सिर्फ यह
यह सब बताने का मकसद सिर्फ यह कि जनता वर्तमान और भविष्य के आधार पर चुनावी फैसले लेती है, अतीत के आधार पर नहीं। इमरजेंसी के मुद्दे से आज की पीढ़ी का भावनात्मक लगाव बहुत कम है, न के बराबर। आज की पीढ़ी की ज्यादातर जनता अपने रोजगार, पढ़ाई, स्वास्थ्य,खेती-किसानी, महंगाई, अपने मौलिक अधिकारों, अपनी अभिव्यक्ति की आजादी या अन्य मुद्दों के आधार पर फैसले लेगी, जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी या राजीव गांधी के कर्मों-दुष्कर्मों के आधार पर नहीं।
National Politics| EmergencyNews| इंदिरा गांधी ने आपातकाल संविधान के प्रावधानों के तहत लगाया था
एक बात और। इंदिरा गांधी ने आपातकाल संविधान के प्रावधानों के तहत लगाया था, अपने प्रचंड बहुमत का सहारा लेकर। उससे सीख लेकर यह भी कहा जा सकता है कि किसी दल या गठबंधन को प्रचंड बहुमत मिलना अच्छा नहीं है। वैसे मोदी की पर्सनालिटी और राजनीति में तो डिक्टेटरशिप की ही प्रधानता है। नरेंद्र मोदी तो खुद मन में नेहरू और इंदिरा गांधी का मिलाजुला व्यक्तित्व बनना चाहते हैं। उनका विरोध दिखवटी है। उनके राज में तो अघोषित आपातकाल पिछले दस साल से लागू है। (यह लेखक के अपने विचार हैं)