back to top
21 जून, 2024
spot_img

चुटकी भर सिंदूर क्या होती है Supreme Court ने अच्छे से समझाई…सुनाया बड़ा फैसला, कहा–लिव-इन और समलैंगिक रिश्ते भी परिवार

spot_img
Advertisement
Advertisement

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पारिवारिक संबंध घरेलू, अविवाहित सहजीवन या समलैंगिक रिश्ते के रूप में भी हो सकते हैं। साथ ही अदालत ने उल्लेख किया कि एक इकाई के तौर पर परिवार की ‘असामान्य’ अभिव्यक्ति उतनी ही वास्तविक है जितनी कि परिवार को लेकर पारंपरिक व्यवस्था।

यह भी कानून के तहत सुरक्षा का हकदार है। कोर्ट ने कहा कि कानून और समाज दोनों में परिवार की अवधारणा की प्रमुख समझ यह है कि’ इसमें एक मां और एक पिता (जो संबंध समय के साथ स्थिर रहते हैं) और उनके बच्चों के साथ एक एकल, अपरिवर्तनीय इकाई होती है।

यह फैसला जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (Justice  DY Chandrachud) और जस्टिस एएस बोपन्ना ( Justice AS Bopanna) की पीठ ने किया है। इस फैसले के दौरान उन्होंने कहा कि कानून और समाज दोनों में” परिवार “की अवधारणा की प्रमुख समझ यह है कि इसमें माता और पिता और उनके बच्चों के साथ एक एकल, अपरिवर्तनीय इकाई होती है।  यह धारणा कई परिस्थितियों में दोनों की उपेक्षा करती है, जो किसी के पारिवारिक ढांचे में बदलाव का कारण बन सकती है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि कानून और समाज दोनों में ‘परिवार’ की अवधारणा की प्रमुख समझ यह है कि ‘इसमें एक मां और एक पिता (जो संबंध समय के साथ स्थिर रहते हैं) और उनके बच्चों के साथ एक एकल, अपरिवर्तनीय इकाई होती है।’ न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने एक आदेश में कहा ‘यह धारणा दोनों की उपेक्षा करती है, कई परिस्थितियां जो किसी के पारिवारिक ढांचे में बदलाव ला सकती हैं, और यह तथ्य कि कई परिवार इस अपेक्षा के अनुरूप नहीं हैं। पारिवारिक संबंध घरेलू, अविवाहित सहजीवन या समलैंगिक संबंधों का रूप ले सकते हैं।

शीर्ष अदालत ने एक फैसले में यह टिप्पणी की कि एक कामकाजी महिला को उसके जैविक बच्चे के लिए मातृत्व अवकाश के वैधानिक अधिकार से केवल इसलिए वंचित नहीं किया जा सकता है, क्योंकि उसके पति की पिछली शादी से दो बच्चे हैं और उसने उनमें से एक की देखभाल के लिए छुट्टी का लाभ उठाया था। न्यायालय ने कहा है कि कई कारणों से एकल माता-पिता का परिवार हो सकता है। यह स्थिति पति या पत्नी में से किसी की मृत्यु हो जाने, उनके अलग-अलग रहने या तलाक लेने के कारण हो सकती है।

उन्होंने आगे कहा कि, कोई घर पति या पत्नी की मृत्यु, अलगाव, या तलाक सहित कई कारणों से एकल माता-पिता का घर हो सकता है। इसी तरह बच्चों के अभिभावक और देखभाल करने वाले (जो पारंपरिक रूप से “मां और “पिता” की भूमिका निभाते हैं) पुनर्विवाह, गोद लेने या पालन-पोषण के साथ परिवर्तन कर सकते हैं। प्रेम और परिवारों की ये अभिव्यक्तियां विशिष्ट नहीं हो सकती हैं, लेकिन वे अपने पारंपरिक समकक्षों की तरह वास्तविक हैं। परिवार इकाई की ऐसी असामान्य अभिव्यक्तियां समान रूप से योग्य हैं न केवल कानून के तहत सुरक्षा के लिए बल्कि सामाजिक कल्याण कानून के तहत उपलब्ध लाभों के लिए भी।

जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस ए एस बोपन्ना की पीठ ने एक आदेश में कहा, ‘यह धारणा दोनों की उपेक्षा करती है, कई परिस्थितियां जो किसी के पारिवारिक ढांचे में बदलाव ला सकती हैं। यह तथ्य कि कई परिवार इस अपेक्षा के अनुरूप नहीं हैं। पारिवारिक संबंध घरेलू, अविवाहित सहजीवन या समलैंगिक संबंधों का रूप ले सकते हैं।’ एससी की टिप्पणियां अहम हैं। 2018 में समलैंगिकता को शीर्ष अदालत की ओर से अपराध की श्रेणी से बाहर किया गया था। इसके बाद से ही कार्यकर्ता एलजीबीटी के लोगों के विवाह और सिविल यूनियन को मान्यता देने के साथ-साथ लिव-इन जोड़ों को गोद लेने की अनुमति देने के मुद्दे को उठा रहे हैं।

16 अगस्त को दिए गए एक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा  ये टिप्पणियां केंद्र सरकार की एक कर्मचारी को मातृत्व अवकाश की राहत देते हुए की गई हैं, कहा गया कि–कानून के काले अक्षर को पारंपरिक लोगों से अलग वंचित परिवारों पर भरोसा नहीं करना चाहिए।

निस्संदेह उन महिलाओं के लिए सच है, जो मातृत्व की भूमिका निभाती हैं, जो लोकप्रिय कल्पना में जगह नहीं पा सकती हैं। इस मामले में महिला के पति की पिछली शादी से दो बच्चे थे और उसने पहले अपने गैर-जैविक बच्चे के लिए चाइल्ड केयर लीव का लाभ उठाया था। जब शादी में उसके एक बच्चे का जन्म हुआ, तो अधिकारियों ने  मातृत्व अवकाश से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि  जब तक वर्तमान मामले में एक उद्देश्यपूर्ण व्याख्या नहीं अपनाई जाती, मातृत्व अवकाश देने का उद्देश्य और मंशा विफल हो जाएगी।

जरूर पढ़ें

Bihar में अब 400 नहीं, हर महीने मिलेंगे 1100 रुपए पेंशन! जानिए कब से मिलेगा बढ़ा पेंशन –

बिहार में अब 400 नहीं, हर महीने 1100 रुपये पेंशन! नीतीश कुमार का चुनावी...

Bihar में स्कूलों का नया टाइम टेबल जारी, 23 जून से इतने बजे से लगेंगी कक्षाएं, जानिए New Time Table- Full List!

बिहार के स्कूलों का नया टाइम टेबल जारी! अब सुबह 9:30 से शाम 4...

Darbhanga Allapatti Railway Crossing पर ट्रेन से टकराकर जाले के युवक की मौत

रेलवे फाटक पर दर्दनाक हादसा! मो. सरताज की रहस्यमय मौत से गांव में मातम।...

Shiv Gopal Mishra होंगे Darbhanga के नए Chief District एवं Sessions Judge

दरभंगा को मिला नया जिला एवं सत्र न्यायाधीश! शिव गोपाल मिश्रा की नियुक्ति तय।दरभंगा...
error: कॉपी नहीं, शेयर करें