विदेशी फंडिंग में हेराफेरी के आरोप में घिरे राजीव गांधी फाउंडेशन का विदेशी योगदान अधिनियम लाइसेंस (FCRA) को रविवार को रद्द कर दिया। केंद्र सरकार ने लाइसेंस को रद्द करने का आदेश दिया है। केंद्र सरकार ने यह फैसला एक जांच रिपोर्ट के आधार (FCRA) पर लिया है। राजीव गांधी फाउडेंशन पर विदेशी फंडिंग में भारी अनियमितता के आरोप लगते रहे हैं। इसकी जांच कराने का फैसला केंद्र सरकार ने साल 2020 में लिया था। वर्तमान में राजीव गांधी फाउंडेशन की अध्यक्ष सोनिया गांधी हैं। पढ़िए पूरी खबर
जानकारी के अनुसार, केंद्र सरकार ने राजीव गांधी फाउंडेशन के फॉरेन कॉन्ट्रिब्यूशन रेगुलेशन एक्ट (FCRA) लाइसेंस को रद कर दिया है। लाइसेंस रद्द करने का फैसला इंटर-मिनिस्ट्रियल कमेटी की जांच के आधार पर हुआ है। इस कमेटी का गठन जुलाई, 2020 में केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से किया गया था।
कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी RGF की अध्यक्ष हैं। वहीं, ट्रस्टी के तौर पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम, सांसद राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा भी इसमें शामिल हैं। राजीव गांधी फाउंडेशन का गठन साल 1991 में हुआ। RGF ने 1991 से 2009 तक स्वास्थ्य, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, महिलाओं और बच्चों, विकलांगता सहायता समेत कई अहम मुद्दों पर काम किया। 2010 में फाउंडेशन ने शिक्षा से जुड़े मामलों पर भी काम करने का फैसला किया।
FCRA लाइसेंस के कैंसल होने को लेकर नोटिस RGF ऑफिस को भेज दिया गया है। हालांकि, एनजीओ की ओर से अभी तक इस पर कोई टिप्पणी नहीं आई है। आरजीएफ एक गैर-सरकारी संस्था है जो गांधी परिवार से जुड़ी हुई है। फॉरेन फंडिंग लॉ के उल्लंघन का दोषी पाए जाने पर एनजीओ (NGO) पर यह कार्रवाई हुई है।
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