
मुख्य बातें: मैसाम ने किया 9वें एकल व्याख्यानमाला का उत्कृष्ट आयोजन,’ चन्द्रनाथ मिश्र अमर: व्यक्तित्व ओ कृतित्व ‘ विषय पर आयोजित व्याख्यानमाला में सामने आईं कई नई जानकारियां, कार्यक्रम में दिवंगत साहित्यकार स्व. ललितेश मिश्र एवं डॉ. बिंदेश्वर पाठक को दी गई भावपूर्ण श्रद्धांजलि
नई दिल्ली, देशज टाइम्स। मैथिली साहित्य के शीर्ष पुरुष रहे पं. चन्द्रनाथ मिश्र’अमर’ बहुविधा में रचनाशील होने के साथ-साथ अनुशासन एवं समय के काफी पाबंद थे। यह बात डॉ. उपेंद्र प्रसाद यादव ने मैथिली साहित्य महासभा (मैसाम) की ओर से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के राजेंद्र भवन में ‘पं चंद्रनाथ मिश्र ‘अमर’: व्यक्तित्व ओ कृतित्व’ विषय पर आयोजित 9वें विद्यापति स्मृति एकल व्याख्यानमाला में कही। उन्होंने कहा कि जनक-जानकी की भाषा मैथिली की समृद्धि के लिए उनके योगदान को कभी बुलाया नहीं जा सकता।
अमर जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व की विस्तार से चर्चा करते हुए उन्होंने उन्हें सरल व्यक्तित्व, विलक्षण कृतित्व एवं सामाजिक प्रवृत्ति का निष्णात विद्वान बताया।
उन्होंने अमर जी को विभिन्न विधाओं में पारंगत प्रबुद्ध साहित्यकार होने के साथ-साथ एक कुशल रंगकर्मी बताते हुए कहा कि वह अपनी कृतियों में सदा अमर रहेंगे। अपने व्याख्यान में उन्होंने विशेष रूप से रेखांकित किया कि अमर जी मैथिली के एकमात्र ऐसे साहित्यकार हुए जिनके पास मिथिला, मैथिली एवं मैथिल के विकास के चिंतन की समग्र सामग्री उपलब्ध थी।
व्याख्यान माला की अध्यक्षता गिरजानंद झा ‘अर्द्धनारीश्वर’ ने किया। अपने अध्यक्षीय संबोधन में उन्होंने अमर जी को मैथिली साहित्य जगत के विकास की दिव्य दृष्टि से संपन्न कालजयी साहित्यकार बताते हुए मैथिली साहित्य के भंडार को भरने में उनके महत्वपूर्ण योगदान को रेखांकित किया।
उन्होंने मैथिली साहित्य महासभा की ओर से आयोजित अमर जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर केंद्रित व्याख्यानमाला को उपयोगी बताते हुए उनके कृतित्व पर आधारित शोध कार्य को बढ़ावा देने को अमर जी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि बताया।
इससे पहले अतिथियों डॉ. उपेंद्र प्रसाद यादव, गिरजानंद झा ‘अर्द्धनारीश्वर’ , शंभुनाथ मिश्र, हेमंत झा, असीम झा, विनय झा, शैलेन्द्र जी एवं मैसाम के अध्यक्ष सुनीत ठाकुर की ओर से दीप प्रज्ज्वलन के बीच सोनी चौधरी, वंदना झा एवं कार्यकरिणी सदस्यों की ओर से कवि कोकिल विद्यापति रचित गोसाउनि गीत ‘जय जय भैरवि…’ की सस्वर सामूहिक प्रस्तुति के साथ मैसाम द्वारा आयोजित 9वें विद्यापति स्मृति एकल व्याख्यानमाला का विधिवत शुभारंभ हुआ। मंच संचालन अरुण कुमार मिश्र के द्वारा किया गया।
कार्यक्रम में प्रसिद्ध साहित्यकार स्व. ललितेश मिश्र एवं डॉ. बिन्देश्वर पाठक को श्रद्धांजलि देते हुए उनकी पुण्य स्मृति में दो मिनट का मौन रखा गया। मौके पर अतिथियों का स्वागत मिथिला की गौरवशाली परंपरा अनुरूप पाग एवं चादर प्रदान कर किया गया।
स्वागत संबोधन में मैसाम अध्यक्ष सुनीत ठाकुर ने विस्तृत कार्य-योजना पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इसकी स्थापना वर्ष 2015 में मैथिली साहित्य एवं संस्कृति के संरक्षण व संवर्धन के लिए की गई।
इसके अंतर्गत मैसाम की ओर से प्रत्येक वर्ष निरंतर कवि गोष्ठी, कथा गोष्ठी, व्याख्यान माला के आयोजन के साथ ही मैसाम युवा सम्मान प्रदान किया जाता है। इसमें 40 वर्ष तक की आयु वर्ग के साहित्यकार को उनकी उत्कृष्ट कृति के लिए ‘मैसाम युवा सम्मान’ दिया जाता है।
मौके पर मैथिली के युवा रचनाकार मुख्तार आलम को उनकी लिखी मैथिली कविता संग्रह ‘परिचय बनैत शब्द’ के लिए इस साल का मैसाम युवा सम्मान प्रदान किया गया। सम्मान के रूप में प्रशस्ति पत्र के साथ पच्चीस हजार रुपए की नगद राशि अतिथियों के कर-कमल से उन्हें प्रदान की गई।
इस अवसर पर मैसाम की अर्धवार्षिक मुख पत्रिका ‘अपूर्वा’ के तीसरे अंक के साथ कवियित्री निवेदिता झा के कविता संग्रह ‘हम रहबे करबै’ का विमोचन भी किया गया।
अपूर्वा के संपादक द्वय संजीव कुमार सिंह एवं उज्जवल कुमार झा ने पत्रिका के प्रकाशन के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि समाज में मैथिली साहित्य के प्रति अभिरुचि जगाना इसके मूल में है।
वहीं, सृजनात्मक साहित्य के साथ-साथ आलोचनात्मक साहित्य को प्राथमिकता देना इसकी खासियत है। कार्यक्रम में उपस्थित पं चन्द्रनाथ मिश्र अमर के कवि पुत्र शंभु नाथ मिश्र ने अपना विचार रखते हुए अमरजी के नियमित डायरी लेखन की प्रवृत्ति का जिक्र करते हुए स्वच्छता, स्वालंबन एवं स्वाध्याय को उनके जीवन का मूलाधार बताया।
मैसाम के कोषाध्यक्ष अरुण कुमार मिश्र के कुशल संचालन में आयोजित कार्यक्रम में मैसाम की कार्यकरिणी के महासचिव राहुल झा एवं केशव झा, उपाध्यक्ष तपन झा, टीएन झा, सुबोध झा एवं सविता झा सोनी, सचिव सोनी चौधरी, निवेदिता झा, आशीष नीरज एवं अजीत सिंह, कार्यालय सचिव सूर्य नारायण यादव एवं सदस्य संजीव सिन्हा, हेमंत झा, उज्ज्वल कुमार झा,
पवन ठाकुर, आनंद दास, चंदन झा, मनोज झा, भावना मिश्रा, निशा झा, रीतू झा, सुधा ठाकुर, वंदना झा, राहुल झा वत्स, राज किशोर मिश्र, अखिलेश मिश्र, पंकज झा, अभय नाथ मिश्र सहित मिथिला के अनेक गणमान्य शख्सियत की उल्लेखनीय उपस्थिति रही। धन्यवाद ज्ञापन केशव झा ने किया।