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8 सितम्बर, 2024
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DGP की पुलिस-मीडिया नीति तैयार, अब पुलिस अधिकारी और थाना प्रभारी पत्रकारों से नहीं करेंगे संवाद

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पुलिस इन दिनों काफी सख्त हो रही है। जमीन विवाद को लेकर हाल के दिनों में कई बड़ी घटनाओं के बाद शीर्ष नेतृत्व एक्टिव है। इसके तहत जहां भू-माफिया और जमीन दलालों की थानों में नो इंट्री बोर्ड लगा दिया गया है।

वहीं, डीजीपी का सख्त नया आदेश आया है। इसके तहत पुलिस-मीडिया नीति तय किया गया है। इस नीति के तहत अब कोई भी पुलिस पदाधिकारी या थाना प्रभारी मीडिया यानि पत्रकारों से बात नहीं करेंगे। इसके लिए अलग प्लेटफार्म तैयार किया गया है। पढ़िए पूरी खबर

इसके तहत जहां अब रांची पुलिस ने भू-माफिया और जमीन दलालों से निपटने के लिए विशेष रणनीति तैयार की है। इसके तहत रांची के नामकुम थाना सहित अन्य थानों में भू-माफिया और जमीन दलों की एंट्री पर रोक लगा दी गई है।

वहीं, डीजीपी अजय कुमार सिंह का बड़ा अपडेट आया है। इसके तहत अब पुलिस अधिकारी और थाना प्रभारी मीडिया से संवाद नहीं करेंगे। इसका मकसद है कि पुलिस विभाग की नीति के अनुसार उस समय मीडिया को संबंधित सूचना सही समय पर उपलब्ध

कराई जाए जब अनुसंधान की प्रक्रिया प्रतिकूल रूप से बाधित न हो और पुलिस अभियान में बाधा उत्पन्न ना हो। साथ ही पुलिसकर्मियों की सुरक्षा खतरे में ना हो। पीड़ित और आरोपित के कानूनी और मूलभूत अधिकारों का हनन ना हो। इससे राष्ट्रीय हितों पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।

थानों में भू-माफिया और जमीन दलों की एंट्री पर रोक को लेकर नामकुम थाना के गेट पर एक पोस्टर लगाया गया है, जिसमें लिखा है-जमीन दलाल और भू-माफियाओं का थाना परिसर में प्रवेश निषेध है।

इसके अलावा भी कई अन्य थानों में भी ऐसा ही पोस्टर लगाया गया है। इस सिलसिले में रांची के एसएसपी चंदन कुमार सिन्हा ने पिछले दिनों सभी थाना प्रभारियों के साथ बैठक की थी। बैठक एसएसपी ने यह साफ निर्देश दिया था कि किसी भी क्षेत्र में पुलिस पदाधिकारियों के थाना प्रभारी से संपर्क में रहने की शिकायत नहीं मिलनी चाहिए।

वहीं,डीजीपी अजय कुमार सिंह ने आदेश में कहा गया है कि पुलिस मुख्यालय के लिए डीजीपी और उनके जरिये प्राधिकृत पुलिस प्रवक्ता ही पुलिस से संबंधित मीडिया को जानकारी दे सकेंगे। प्रत्येक जिले के कार्यालय में एक मीडिया सेल की शाखा होगी, जिसके प्रभारी मुख्यालय स्थित एएसपी और डीएसपी होंगे।

किसी बड़े आयोजन और आकस्मिक घटना स्थल पर जहां मीडियाकर्मी उपस्थित हों, वहीं वरीय पुलिस पदाधिकारी और उनके जरिये निर्देशित पुलिस पदाधिकारी, जो कम से कम पुलिस डीएसपी रैंक के राजपत्रित पदाधिकारी होंगे।

उनकी ओर से ही मीडिया ब्रीफिंग का कार्य किया जायेगा। प्राधिकृत पुलिस प्रवक्ता पुलिस से संबंधित जानकारी मीडिया को दे सकेंगे। पुलिस मुख्यालय के लिए एडीजी और आईजी रैंक के पदाधिकारी को डीजीपी द्वारा पुलिस प्रवक्ता नियुक्त किया जायेगा।

पुलिस मुख्यालय के लिए डीजीपी और फिर उनके द्वारा प्राधिकृत पुलिस प्रवक्ता पुलिस से संबंधित जानकारी मीडिया को दे सकेंगे। प्रत्येक जिला के कार्यालय में एक मीडिया सेल शाखा होगी, जिसके प्रभारी मुख्यालय स्थित एएसपी या डीएसपी होंगे।

जिलों में एसपी के जरिये और प्रभारी मीडिया सेल शाखा द्वारा संबंधित जानकारी मीडिया को दी जा सकेगी। पुलिस की विभिन्न इकाई सीआईडी, जैप, रेल, स्पेशल ब्रांच, एससीआरबी, एसीबी, एटीएस से मीडिया को उपलब्ध कराई जाने वाली सूचना पुलिस प्रवक्ता को उपलब्ध कराई जायेगी। इन सूचना को पुलिस प्रवक्ता प्रेस विज्ञप्ति और संवाददाता सम्मेलन के माध्यम से मीडिया को जारी करेंगे।

पुलिस के विभिन्न इकाई के क्षेत्रीय जिला स्तरीय पदाधिकारी और समादेष्टा अपने क्षेत्राधिकार की उपलब्धि संबंधी सूचनाएं मीडिया से साझा कर सकेंगे। जोनल आईजी और डीआईजी भी पुलिस से संबंधित जानकारी मीडिया को दे सकेंगे। पुलिस के नीतिगत सभी मामलों में केवल डीजीपी और उनके निर्देश पर पुलिस प्रवक्ता ही मीडिया ब्रीफिंग करेंगे।

जिले में एसपी और प्रभारी मीडिया के जरिये संबंधित जानकारी मीडिया को दी जाएगी। सामान्य रूप से मीडिया ब्रीफिंग का स्थान कार्यालय कक्ष होगा और प्रतिदिन निर्धारित समय शाम के चार बजे से छह बजे के बीच निर्धारित होगा। इसकी सूचना यथा समय सभी मीडियाकर्मियों को दी जायेगी।

इसके अलावा पुलिस से संबंधित मामलों जैसे बड़ी आपराधिक और विधि-व्यवस्था की घटना, महत्वपूर्ण उद्भेदन-गिरफ्तारी, बरामदगी एवं अन्य उपलब्धि पर स्वयं जिला एसपी की ओर से मीडिया से वार्ता की जायेगी।

जिला एसपी की ओर से मीडिया सेल शाखा में घटना की परिस्थिति के अनुसार घटनास्थल, थाना या अन्य कार्यालय में प्रेस से संवाद किया जा सकता है। एसपी और प्रभारी मीडिया सेल शाखा वर्दी में ही मीडिया के साथ बातचीत करेंगे।

किसी अपराध के दर्ज होने के 48 घंटों के भीतर केवल इतनी ही सूचना साझा की जायेगी जो घटना के तथ्यों को प्रकट करे और आश्वस्त कर सके कि मामले को गंभीरता से किया जा रहा है।

किसी अपराध के संबंध में गुप्त और तकनीकी सूत्रों को मीडिया के समक्ष प्रकट नहीं किया जायेगा। ना ही अनुसंधान की दिशा और तकनीकों का खुलासा किया जाएगा। यौन हिंसा के पीड़ितों और बच्चों की पहचान को मीडिया के सामने खुलासा नहीं किया जायेगा। आरोपितों की गिरफ्तारी होने पर मीडिया को बताया जायेगा लेकिन उन्हें मीडिया के समक्ष पेश नहीं किया जायेगा।

राष्ट्रीय सुरक्षा और आंतरिक सुरक्षा से संबंधित और अन्य प्रकार के मामलों में किसी समय चलाए जा रहे पुलिस ऑपरेशन की ताजा स्थिति साझा नहीं की जायगी, बल्कि ऑपरेशन पूर्ण होने के बाद अपराधियों एवं बरामद वस्तुओं की तथ्यात्मक जानकारी दी जायेगी।

अनुसंधान के दौरान समय-समय पर आवश्यक मीडिया को केवल तथ्यों पर आधारित जानकारी दी जायगी। अनुसंधान पूर्ण होने पर आरोप पत्र के तथ्यों की जानकारी एवं न्यायिक विचारण के परिणाम की जानकारी मीडिया को दी जा सकती है।

दूसरी तरफ पर्व त्योहार में लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर राजधानी रांची में पुलिस महकमा बार फिर से एक्टिव मोड में नजर आ रहा है। पर्व त्यौहार के मौके पर ऐसा देखा जाता है कि शहर में छोटी बड़ी घटनाओं को अंजाम देने के लिए अपराधी सक्रिय हो जाते हैं।

खरीदारी कर रहे लोगों को छिनतई गिरोह भी कई बार अपना शिकार बना लेते हैं या फिर बाहर घूमने गए लोगों के घरों में भी अपराधी गिरोह चोरी जैसी घटनाओं को अंजाम देते हैं। संभावित इन सभी घटनाओं पर रोक लगाने के लिए रांची में पुलिस प्रशासन में अभी से ही तैयार या शुरू कर दी है।

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