दीवालें-छत के पत्थरों के सहारे एक दूसरे से टिका है पूरा मंदिर
हमीरपुर। हमीरपुर जिले में ग्यारहवीं शताब्दी में बना शिवमंदिर आज तक पुरातत्व के दायरे में नहीं आ सका। देखरेख न होने से इस मंदिर के अस्तित्व पर अब संकट मंडरा गया है। मंदिर के काफी हिस्सा क्षतिग्रस्त भी हो गया है।
हमीरपुर जिले के मुस्करा कस्बे के पुरवा मोहाल के मांझखोर में शिव मंदिर आज भी अपने अतीत के वैभव को समेटे है। यह मंदिर 11वीं शताब्दी (वर्ष 1120) में चंदेल शासक जयवर्मन के समय में बना था। इसका इतिहास भी बड़ा ही रोचक है। मंदिर में लगे पत्थरों पर अशोक सम्राट काल के प्रतीक चिन्ह बने है। राजस्व अभिलेखों में आबादी के अंदर 850/1 में शिवमंदिर के नाम से (नान जेड ए) जमींदारी जमाने से दर्ज है।
ये मंदिर करीब एक क्षेत्रफल में बना था लेकिन लगातार अतिक्रमण होने मंदिर की भव्यता पर ग्रहण लग गया है। बुन्देलखंड के क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी डॉ एसके दुबे ने शुक्रवार को बताया कि यह मंदिर चंदेलकालीन है जो दीवार और छत सिर्फ पत्थर के सहारे ही एक दूसरे पर टिका है। मंदिर काफी जर्जर हो चुका है। इसीलिये इसे पुरातत्व के दायरे में लेना विभाग के लिए मुश्किल है। बताया कि इस तरह के मंदिर बुन्देलखंड क्षेत्र में कम संख्या में है।
औरंगजेब शासन काल में मंदिर में हुई थी तोडफ़ोड़
मुस्करा कस्बे के समाजसेवी हर स्वरूप व्यास ने बताया कि चंदेलकाल में बनाया गया यह शिवमंदिर सिर्फ दीवाल और छत के पत्थरों के सहारे ही एक दूसरे से टिका है। औरंगजेब के शासन काल में मंदिरों को जब तुड़वाया जा रहा था तब यहां इस मंदिर में भी तोड़फोड़ हुई थी। शिवमंदिर में स्थापित अष्टभुजा वाली की दो मूर्तियों को खंडित किया गया था। खंडित मूर्तियां आज भी मंदिर में स्थापित है जिनकी पूजा लोग बड़े ही विधि विधान से करते है।
मंदिर के पास बना प्राचीन कुआं भी अब बना अतीत
कस्बे के बुजुर्ग लोगों ने बताया कि शिव मंदिर से तीस मीटर दूर एक विशाल कुआं था जो रमयासर के नाम से प्रसिद्ध था। क्षेत्र में कई दशक पहले जब सूखा पड़ा था तब सभी कुएं सूख गए थे लेकिन यह कुआं नहीं सूखा था। यह कुआं लोगों की प्यास बुझाता था किन्तु अब ये अतीत बन चुका है। बताया कि पांच दशक पूर्व कुएं के नीचे ेएक दरवाजा भी बना था जिसमें सीढिय़ां थी पर अतिक्रमण हो जाने से यह बंद हो गया है। लोग इसमें कूड़ा करकट डालते है।
मंदिर के गर्भ में खजाने को लेकर कई बार हुई थी खुदाई
मुस्करा के पूर्व ग्राम प्रधान हर स्वरूप व्यास समेत कई लोगों ने बताया कि इस प्राचीन मंदिर के गर्भ में कहीं खजाना छिपा है। जिसे लेकर कई दशक पहले लोगों ने खुदाई की थी। लेकिन किसी को कुछ नहीं मिला था। खुदाई के कारण मंदिर को भी नुकसान पहुंचा था। बताया कि मंदिर के अंदर शिवलिंग के नीचे की जलालु चौकी इतनी विशाल है कि उसी में ये मंदिर बना है। शिवलिंग व खंडित देवियों की मूर्तियों की भी पूजा होती है।
देखरेख न होने से ढहने के कगार पर आया शिवमंदिर
मुस्करा कस्बे के पूर्व प्रधान हर स्वरूप व्यास ने बताया कि यह मंदिर एक हजार साल से भी पुराना है। ये करीब जमीन से चालीस फीट ऊंचा है। मंदिर के अंदर शिव लिंग स्थापित है जो बड़ा ही अनमोल है। बताया कि पुरातत्व विभाग की टीम ने कुछ माह पहले यहां सर्वे किया था लेकिन इसके संरक्षण के लिए विभाग ने हाथ खड़े कर दिए है। जिससे बारिश से मंदिर का काफी हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया है। मंदिर का पिछला हिस्सा भी ढह चुका है।
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