इस वर्ष मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को ही मनाया जाएगा लेकिन, पुण्य काल सुबह के बदले दोपहर से है। सूर्य के धनु राशि से मकर राशि में देर से प्रवेश करने के कारण ऐसा हो रहा है।
पंडित सदानंद झा ने बताया कि आमतौर पर 13 जनवरी की रात से 14 जनवरी के सुबह तक सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं। जिसके कारण मकर संक्रांति का पुण्य काल 14 जनवरी को सुबह में होता है।
लेकिन इस वर्ष सूर्य 14 जनवरी को 33 दंड 53 पल पर यानी रात 8:54 बजे धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे। जिसके कारण दोपहर में 2:54 बजे से मकर संक्रांति का पुण्य काल एवं सर्वार्थ सिद्ध योग है। वर्ष में 12 संक्रांति होते हैं, लेकिन सूर्य जब धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो वह सबसे खास संक्रांति होता है।
सदानंद झा ने बताया कि सूर्य का मकर में संक्रमण काल राशि प्रवेश से छह घंटा पहले दोपहर 2:54 बजे से शुरू होगा और यही मकर संक्रांति का पुण्य काल है। उन्होंने बताया कि कुछ विद्वानों द्वारा राशि प्रवेश से 16 घंटा पहले संक्रमण काल कहा जा रहा है, लेकिन धर्म शास्त्रों के अनुसार यह गलत है।
दो राशियों की संधि ही संक्रांति काल है, सभी ग्रह प्रत्येक राशियों में भ्रमण करते हैं, लेकिन अन्य सभी ग्रहों के संक्रमण को राशि परिवर्तन कहा जाता है। जबकि सूर्य के राशि परिवर्तन को संक्रांति की संज्ञा दी गई है, जब सूर्य धनु राशि का भ्रमण पूरा करके मकर राशि में प्रवेश करने को उद्यत होता है, उसी काल को मकर संक्रांति कहा जाता है।
यह प्रकृति का परिवर्तन है, इसलिए सनातन धर्मावलंबी प्रकृति पर्व ही नहीं इसे धर्म और अध्यात्म का पर्व भी मानते हैं। उगादि का प्रथम दिन भी मकर संक्रांति को भी माना गया है तथा इसी दिन से शिशिर ऋतु शुरू होता है।
मकर संक्रांति का सभी 12 राशियों पर अलग-अलग प्रभाव पड़ेगा लेकिन अधिकतर राशियों के लिए शुभ एवं फलदायी है। सूर्य का मकर राशि में विचरण करना बहुत ही शुभ और कल्याणकारी माना जाता है। इस दिन तिल, गुड़, मूंग दाल एवं खिचड़ी का सेवन अति शुभकारी होता है। इस वर्ष 14 जनवरी को मकर राशि में सूर्य के साथ पांच ग्रहों के योग से विशेष हो जाएगा तथा दोपहर 2:54 बजे के बाद स्नान, दान और पूजा से जीवन में सुख, शांति, समृद्धि आएगी। इस दिन सभी को स्नान कर तिल एवं गुड़ से संबंधित वस्तु खानी चाहिए।
गंगा में स्नान से पुण्य हजार गुणा बढ़ जाता है, लेकिन कोरोना के कारण सतर्क रहें। किया गया दान महादान और अक्षय होता है, इसलिए साधु, भिखारी या बुजुर्ग जरूरतमंद को दरवाजा से खाली हाथ नहीं लौटना चाहिए। घर में लहसुन, प्याज, मांसाहारी भोजन तथा नशीले पदार्थ का भी उपयोग नहीं करना चाहिए। मकर संक्रांति के साथ ही सूर्य दक्षिणायण से उत्तरायण हो जाएंगे तथा खरमास समाप्ति हो जायेगा।
शास्त्रों में उत्तरायण अवधि को देवताओं का दिन और दक्षिणायन को देवताओं का रात माना जाता है। सूर्य के उत्तरायण होने के बाद से देवों की ब्रह्ममुहूर्त उपासना का पुण्यकाल प्रारंभ हो जाता है। इस काल में देव प्रतिष्ठा, गृह निर्माण, यज्ञ कर्म आदि पुण्य कार्य किए जाते हैं।