देश के विभिन्न राज्यों से लेकर नेपाल तक में चर्चित बिहार के पावन कल्पवास स्थल सिमरिया गंगा धाम में इस वर्ष भी कोरोना के कारण कल्पवास मेला नहीं लगा। जिसके कारण करीब पांच किलोमीटर में लगने वाले कल्पवास स्थल पर सन्नाटा पसरा हुआ है।
गंगा स्नान के लिए उमड़ने वाली भीड़ को देखते…
पौराणिक परंपराओं के अनुसार कल्पवास करने के लिए बिहार के विभिन्न हिस्सों के अलावा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखंड, बंगाल, आसाम और नेपाल से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आ रहे हैं लेकिन मेला पर रोक है।
रोक लगाए जाने के बाद प्रशासन ने बड़ी संख्या में पुलिस और अधिकारियों को तैनात कर दिए जाने के कारण किसी को भी उधर जाने नहीं दिया जा रहा। दूरदराज से आने वाले साधु, संत एवं श्रद्धालु प्रोटोकॉल का पालन करते हुए गंगा स्नान कर वापस अपने घर को लौट रहे हैं।
कार्तिक माह शुरू होने के बाद सिमरिया में गंगा स्नान के लिए उमड़ने वाली भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा राजेन्द्र पुल स्टेशन के पास से लेकर गंगातट तक जगह-जगह भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती कर दी गई है। गंगा स्नान के दौरान श्रद्धालुओं को डूबने से बचाने के लिए गोताखोर की टीम रबर वोट एवं अन्य सुरक्षा उपकरण के साथ मुस्तैद है।
सिमरिया में भीड़ नहीं जुटाने की अपील…
अखिल भारतीय सर्वमंगला सिद्धाश्रम के संस्थापक स्वामी चिदात्मन जी ने कोरोना संक्रमण फैलने की संभावनाओं को लेकर सिमरिया धाम में राजकीय कल्पवास मेला पर जिला प्रशासन के द्वारा लगाए गए प्रतिबंध को लेकर लोगों से सिमरिया में भीड़ नहीं जुटाने की अपील किया है। स्वामी चिदात्मन जी ने कहा है कि इस कार्तिक के पुनित माह में जो श्रद्धालु जहां हैं, वह वहीं रहकर कल्पवास के नियम का पालन कर इससे लाभ लें।
जिला प्रशासन ने जनहित के साथ-साथ समय और परस्थिति को देखते हुए ही कल्पवास मेला के आयोजन पर प्रतिबंध लगाया है। उन्होंने कहा कि देश भर में तीन जगह अनादि काल से ही कल्पवास की परंपरा चली आ रही है। इसमे हरिद्वार में बैशाख के माह में, प्रयागराज में माघ महीने व आदि कुंभस्थली सिमरिया धाम में कार्तिक माह में कल्पवास के आयोजन की परंपरा है।
लेकिन देश, काल और समय की परिस्थिति का ख्याल रखना हमारी परंपरा रही है, परंपराओं का पालन करते हुए कल्पवास के पौराणिक तथा आध्यात्मिक परंपरा का पालन करें। उल्लेखनीय है कि मिथिला और मगध के पावन स्थल संगम स्थल गंगा तट सिमरिया घाट में राजा जनक के समय से कार्तिक कल्पवास मेला की परंपरा चलते आ रही है। आश्विन माह के पूर्णिमा से लेकर कार्तिक माह के पूर्णिमा तक यहां देश के विभिन्न हिस्सों और नेपाल से श्रद्धालुओं, संत महंतों एवं खालसाओं का जमावड़ा लगता था।
गंगा स्नान से शुरू कल्पवासियों की दिनचर्या रात में गंगा आरती के साथ समाप्त होती थी। इस दौरान कल्पवासी गंगाजल में पकाया सात्विक भोजन करते हैं तथा दिन भर अध्यात्म की गंगा बहती रहती है। 2019 में कोरोना का संक्रमण होने के बाद लॉकडाउन होने से प्रवास पर रोक लगा दी गई।
इस वर्ष अनलॉक होने के बाद कल्पवास मेला लगने की संभावना थी। लेकिन गृह विभाग से प्राप्त निर्देश के आलोक में जिला प्रशासन द्वारा कल्पवास मेला पर रोक लगाई गई है। जिससे आध्यात्म और मोक्ष स्थली सिमरिया के कल्पवास मेला स्थल पर सन्नाटा पसरा हुआ है, लोग सिर्फ गंगा स्नान कर अपने घर को वापस जा रहेे हैं।
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