Christmas 2025: पावन क्रिसमस का पर्व, जो हर वर्ष 25 दिसंबर को विश्वभर में श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है, केवल एक तिथि विशेष नहीं, अपितु प्रेम, करुणा और आध्यात्मिक चेतना का शाश्वत संदेश है जो मानवता को सद्मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
क्रिसमस 2025: प्रभु यीशु और भगवान कृष्ण के दिव्य संदेशों की आध्यात्मिक एकता
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Christmas 2025: परमहंस योगानंद की दृष्टि में एक ही दिव्य सत्य का प्रकटीकरण
पवित्र ग्रंथ बताते हैं कि परम पूज्य परमहंस योगानंद जी महाराज ने यह गहन सत्य प्रतिपादित किया था कि प्रभु यीशु मसीह और भगवान श्रीकृष्ण के उपदेश, भिन्न कालों और संस्कृतियों से उद्भूत होते हुए भी, वस्तुतः एक ही परम सत्य का उद्घाटन करते हैं। उनके जीवन और शिक्षाएं हमें भीतर से जागृत होने, निःस्वार्थ प्रेम करने और ईश्वर से एकाकार होने की राह दिखाती हैं। यह एकता हमें बताती है कि सभी धर्मों का मूल लक्ष्य मानव कल्याण और आत्म-साक्षात्कार ही है। इस पावन अवसर पर, जब हम क्रिसमस की खुशियाँ मनाते हैं, तो यह विचारणीय है कि कैसे ये महान आत्माएं हमें एक शाश्वत दिव्य संदेश प्रदान करती हैं। चाहे वह यीशु का “प्रेम करो अपने पड़ोसियों को” हो या कृष्ण का “कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन”, दोनों ही हमें निस्वार्थ सेवा और आध्यात्मिक उत्थान की प्रेरणा देते हैं।
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वस्तुतः, क्रिसमस 2025 का यह पावन पर्व हमें स्मरण कराता है कि सत्य और प्रेम की कोई सीमा नहीं होती। प्रभु यीशु और भगवान कृष्ण के जीवन एवं उनके अद्वितीय उपदेश हमें यह सिखाते हैं कि आंतरिक शांति और दिव्य प्रेम ही वास्तविक उत्सव का आधार है। इन महापुरुषों का यही दिव्य संदेश आज भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना उनके समय में था। यह पर्व हमें अपने भीतर उस ईश्वरीय ज्योति को प्रज्वलित करने और समस्त सृष्टि के प्रति प्रेम, क्षमा तथा करुणा का भाव जागृत करने का अवसर प्रदान करता है। इस दिन हमें अपनी आत्मा का निरीक्षण कर, अपने भीतर के देवत्व को पहचानना चाहिए और उस परम सत्ता से जुड़ने का प्रयास करना चाहिए, जो सभी के हृदय में निवास करती है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। इस तरह, क्रिसमस केवल एक ऐतिहासिक घटना का स्मरण नहीं, बल्कि आत्मिक जागरण और वैश्विक सद्भाव का एक चिरंतन उत्सव है।



