Darbhanga News | Benipur News | Khanqah Ahmadi Fazle | बेनीपुर खानकाह में उर्स… साबिर पिया के मजार पर चादरपोशी करते दिखा हर चेहरा सुकून और शांति से भरा…इस दर से कोई ना जाता है खाली…भरती है सबकी झोली। यही वह विश्वास है।
Darbhanga News | Benipur News |यही वो श्रद्धा है जो आज से नहीं, डेढ़ सौ वर्ष पहले से यहां के ही नहीं देश-विदेश के हर कोने के लोगों का यहां से एक ऐसा नाता जोड़े हुए है…जहां
यही वो श्रद्धा है जो आज से नहीं, डेढ़ सौ वर्ष पहले से यहां के ही नहीं देश-विदेश के हर कोने के लोगों का यहां से एक ऐसा नाता जोड़े हुए है…जहां जाति और धर्म के धागे कहीं बंधते नहीं दिखते। आपसी सदभावना और भाईचारे की ऐसी गांठ यहां बंधी है, जहां फूल भी खिलते हैं। तमन्ना पूरी होने पर चादरपोशी करने वालों की कतारें भी लगती हैं। आज भी लगीं दिखी। जहां, पूरे देश के लोगों ने यहां आकर अपनी दुआ मांगी। तरक्की के रास्ते पर चलने का संकल्प लिया। पढ़िए पूरी खबर…अमन, शांति की दुआ…तेरे दर पर आया हूं…झोली भरकर जाऊंगा…यही हठ है भी है और जिद भी…
Darbhanga News | Benipur News | शाबिर पिया के मजार पर चादरपोशी…ये खुशनसीबी सबको मिले…
आशापुर टावर के समीप चर्चित खानकाह अहमदी फजले के नाम से मशहूर खानकाह परिसर में बुधवार को देश के विभिन्न राज्यों से आये मुरीदियों की ओर से शाबिर पिया के मजार पर चादरपोशी किया गया। आम इजाजत गुरुवार हो होगी।
Darbhanga News | Benipur News | वर्ष में तीन बार उर्स के मौके पर देश के विभिन्न राज्यों के मुरीदियों का यहां आना लगा रहता है…
बताया जाता हैं कि वर्ष में तीन बार उर्स के मौके पर देश के विभिन्न राज्यों के मुरीदियों द्वारा चादरपोशी की जाती हैं। उर्स के मौके पर खासकर कोलकत्ता, मुंबई, दिल्ली,उत्तरप्रदेश सहित बिहार के विभिन्न राज्यों से आये साबीर पिया के मुरीदी यहां भारी संख्या में आते हैं, और मजार पर करते हैं चादरपोशी।
Darbhanga News | Benipur News | जाति और धर्म की यहां आकर टूट जाती हैं हर दीवारें
बताया जाता हैं कि चादरपोशी करने में विभिन्न जाति एंव धर्म के लोग भाग लेकर आपसी सदभावना व भाईचारा का संदेश देश दुनिया को देते हैं। लोगों का मानना हैं कि जो लोग सच्चे मन से उर्स के मौके पर चादरपोशी करते हैं, उनकी मुरादें अवश्य पूरी होती हैं।
Darbhanga News | Benipur News | डेढ़ सौ वर्ष पहले आशापुर के मकबुल बिहारी रहमतुल्ला अलैह उर्फ चिनगी साह ने किया था स्थापना
इस खानकाह की स्थापना लगभग डेढ़ सौ वर्ष पहले आशापुर के मकबुल बिहारी रहमतुल्ला अलैह उर्फ चिनगी साह ने किया था। इनके इंतकाल हो जाने के बाद गद्दी को उनके पुत्र हजरत साह अलाउद्दीन अली अहमद साबिर फजले रहमानी ने संभाला था।
Darbhanga News | Benipur News | दोनों पिता पुत्र का मजार खानकाह परिसर में ही हैं
गद्दी संभालने के बाद उन्होनें खानकाह परिसर को काफी विकसित किया। वर्ष 1999 के अक्टूबर माह में उनका भी इंतकाल हो गया। दोनों पिता पुत्र का मजार खानकाह परिसर में ही हैं। इनके इंतकाल होने के बाद खानकाह परिसर की देख रेख के लिये इनके परिजन बासो बाबू के नेतृत्व में एक कमेटी का गठन किया गया, जिस कमेटी के सचिव मुमताज अहमद बने।
Darbhanga News | Benipur News | यह खानकाह वर्ष 2006 में उस समय और चर्चित हो गया जब
यह खानकाह वर्ष 2006 में उस समय और चर्चित हो गया जब परिसर में लगे एक गुल्लड़ के पेड़ में दर्जनों फूल खिल उठी थी। गुल्लड़ के पेड़ में फूल खिलने की सूचना से उस समय पूरे इलाका में सनसनी फैल गयी थी। गुल्लड़ की फूल देखने देश के विभिन्न राज्यों के मुरीदियों का खानकाह परिसर में महींनों से आना जाना लगा रहा। लोग इसे अजुबा मान रहे थे।
Darbhanga News | Benipur News | कमेटी के सचिव मुमताज अहमद ने बताया
कमेटी के सचिव मुमताज अहमद ने बताया कि उर्स के मौके पर विभिन्न राज्यों से आने वाले मुरीदियों की ओर से दिये जाने वाली सहयोग राशि से खानकाह परिसर में अनेक विकासात्मक कार्य करवाये जा रहे। कहा कि, यह खानकाह हमेशा से आपसी सदभावना एंव भाईचारा का संदेश देश-दुनिया के लोगों को देती रही हैं। खानकाह परिसर में आने से लोगों के मन में शांति के साथ उनकी सभी मुरादें पूरी होती हैं।