बिरौल देशज टाइम्स डिजिटल डेस्क। प्रखंड के रजबा गांव स्थित हनुमान मंदिर के प्रांगण मे दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से मंगलवार से तीन दिवसीय श्रीराम चरितमानस एवं गीता ज्ञान यज्ञ का शुभारंभ हुआ।
इसका समापन 19 मई को होगा। ज्ञान यज्ञ के प्रथम दिन सतगुरु सर्वश्री आशुतोष महाराज जी के शिष्या साध्वी सोनी भारती जी ने कहा कि भगवान श्रीराम का चरित्र हमारे मानस मे कैसे उतरे ? उनके जैसे आदर्शवान व चरित्रवान हम कैसे बनें?
हम त्यागपूर्ण व मर्यादित जीवन कैसे जियें? तथा मोह व अवसाद ग्रस्त अर्जुन जैसे शिष्य ने ऐसी कौन सी विद्या हासिल की इसकी ओर से उन्होंने अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर समाज को दुराचार व भ्रष्टाचार से मुक्त करवा पाता है।भारती जी ने उपस्थित श्रोताओं को कहा कि मानव जो परमात्मा का सर्वोच्च कलाकृति है।
गोस्वामी तुलसीदास जी ने कहा
कि बड़े भाग मानुष तन पावा, क्या आज समाज में कहीं से भी मानव सर्वोच्च नजर आ रहा है नहीं, क्यों क्योंकि मानव अपनी वास्तविकता से बहुत दूर हो गया है।
भौतिक सुख की प्राप्ति के लिए यह सर्वोच्च कलाकृति सब कुछ करने के लिए तैयार है लेकिन लिप्सा प्राप्ति के बाद भी अशांत वह दुखी नजर आता है। क्योंकि सिर्फ भौतिक संसाधनों में वास्तविक सुख नहीं है। महापुरुषों ने इसे *मृग मरीचिका* यानी रेगिस्तान की रेत पर जब सूरज की किरणें एक प्यासे को पानी की आभास करा देती है तथा पीछे भागने पर मजबूर कर देती है।
उसी प्रकार मानव भी दुनियावी सुख में असली सुख की तलाश करता है, जो संभव नहीं है। अंततः मृग की तरह झुलस कर अतृप्त ही प्राणांत करता है। अंत में उन्होंने कहा कि स्वामी संसदानंद जी ने प्रत्येक मनुष्य को ईश्वर को प्राप्त करने का आह्वान किया। ईश्वर प्राप्ति ही मनुष्य का वास्तविक कर्म है अन्यथा शास्त्रों में तो आहार, निद्रा, भय, मैथून आदि क्रियाओं को करने वाले मनुष्य को पशु की श्रेणी में ही रखा है।
वहीं साध्वी सुश्री शीतला भारती, सुश्री शोभा भारती आदि ने सुमधुर भजनों को गाया, तथा गुरुभाई रामप्रवेश जी ने भजनों को तालबद्ध किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ वकील जी, सियावर सिंह अरविंद जी, श्री शिव भगत, राम प्रवेश शर्मा, संतोष पंडित, सिकंदर शर्मा, तथा युवा परिवार सेवा समिति के सभी सदस्य आदि ने दीप प्रज्वलित कर किया।