Dhanu Sankranti 2025: भारतीय ज्योतिष परंपरा में सूर्य के राशि परिवर्तन का विशेष महत्व है, और जब सूर्य देव वृश्चिक राशि से निकलकर धनु राशि में प्रवेश करते हैं, तो उस पवित्र तिथि को धनु संक्रांति के नाम से जाना जाता है।
Dhanu Sankranti 2025: जानें कब है यह पावन तिथि और इसका महत्व
भारतीय ज्योतिष परंपरा में सूर्य के राशि परिवर्तन का विशेष महत्व है, और जब सूर्य देव वृश्चिक राशि से निकलकर धनु राशि में प्रवेश करते हैं, तो उस पवित्र तिथि को धनु संक्रांति के नाम से जाना जाता है। वर्ष 2025 में यह पावन पर्व 14 दिसंबर, शनिवार को मनाया जाएगा। इस दिन दान-स्नान का अत्यंत शुभ फल प्राप्त होता है। खरमास की शुरुआत भी इसी दिन से होती है, जिसमें किसी भी शुभ कार्य को वर्जित माना जाता है। इस विशेष अवसर पर आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। हम आपके लिए लाएं हैं धनु संक्रांति का संपूर्ण ज्योतिषीय विश्लेषण और इसके महत्व पर विस्तृत जानकारी। सूर्य देव जब धनु राशि में आते हैं तो इसे गुरु की राशि में सूर्य का प्रवेश माना जाता है, जिससे आध्यात्मिक उन्नति और ज्ञान की प्राप्ति के द्वार खुलते हैं।
Dhanu Sankranti 2025 पर दान-स्नान का विशेष फल
धनु संक्रांति का दिन आध्यात्मिक शुद्धि और पुण्य कार्यों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से न केवल शारीरिक शुद्धता प्राप्त होती है, बल्कि मन भी शांत होता है। स्नान के उपरांत दान का विशेष महत्व है। अन्न, वस्त्र, तिल, गुड़ और कंबल का दान करने से ग्रह दोषों का शमन होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन किया गया दान कई गुना फल देता है।
धनु संक्रांति का आध्यात्मिक महत्व
धनु संक्रांति का समय खरमास की शुरुआत का प्रतीक है, जो हिंदू पंचांग के अनुसार एक महीने तक चलता है। इस अवधि में मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन संस्कार आदि वर्जित माने जाते हैं। इसके बावजूद, यह समय आध्यात्मिक साधना, तपस्या और ईश्वरीय चिंतन के लिए अत्यंत शुभ होता है। सूर्य का धनु राशि में गोचर गुरु के प्रभाव को बढ़ाता है, जिससे व्यक्ति में ज्ञान और विवेक की वृद्धि होती है। यह अवधि आत्मनिरीक्षण और आत्म-सुधार के लिए उत्तम मानी गई है।
खरमास और शुभ कार्यों पर रोक
खरमास के दौरान सूर्य धनु राशि में रहते हैं, जिसे देवताओं का गुरु बृहस्पति की राशि माना जाता है। ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, जब सूर्य बृहस्पति की राशि में प्रवेश करते हैं, तो वे कमजोर हो जाते हैं, जिससे शुभ कार्यों के लिए आवश्यक ऊर्जा की कमी होती है। इसलिए, इस पूरे महीने में विवाह, उपनयन संस्कार, गृह प्रवेश, भूमि पूजन जैसे मांगलिक कार्य करने से बचा जाता है। हालांकि, भगवान विष्णु और सूर्य देव की उपासना के लिए यह समय बहुत ही फलदायी होता है।
धनु संक्रांति पर क्या करें और क्या न करें
- धनु संक्रांति के दिन प्रातःकाल उठकर पवित्र नदी में स्नान करें या घर पर ही गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
- सूर्य देव को अर्घ्य दें और ‘ॐ घृणि सूर्याय नमः’ मंत्र का जाप करें।
- गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और धन का दान करें।
- ब्राह्मणों को भोजन कराएं।
- इस दिन तामसिक भोजन का त्याग करें और सात्विक आहार ग्रहण करें।
- खरमास के दौरान किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत न करें। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
- किसी भी प्रकार के विवाद या नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
निष्कर्ष और उपाय
धनु संक्रांति एक ऐसा पवित्र अवसर है जब हम अपनी आध्यात्मिक चेतना को जागृत कर सकते हैं और दान-पुण्य के माध्यम से अपने जीवन में सकारात्मकता ला सकते हैं। इस दिन पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ किए गए कर्मों का फल अनंत गुना प्राप्त होता है। यह खरमास की शुरुआत भी है, जो हमें आत्मचिंतन और ईश्वरीय आराधना का समय प्रदान करता है। इस दौरान किए गए जप-तप से मानसिक शांति और आध्यात्मिक शक्ति मिलती है। धर्म, व्रत और त्योहारों की संपूर्ण जानकारी के लिए यहां क्लिक करें। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।


