मुख्य बातें
पांच साल में जर्जर हुआ दक्षिणेश्वरनाथ महादेव मंदिर स्थित पवित्र सरोवर गंगाजली का घाट
घाट निर्माण कितने रुपए की लागत से किया गया नहीं शिलालेख या उद्घाटन पट्टिका में उल्लेख
फोटो :वर्तमान विधायक की ओर से बनाया गया गंगाजली तालाब घाट
फोटो: शिलालेख व उद्घाटन पट्टिका
मधवापुर, मधुबनी देशज टाइम्स ब्यूरो। नैतिक पतन की भी एक सीमा होती है। खासकर जब कोई जनप्रतिनिधि अपने ही गांव के किसी महत्वपूर्ण ऐतिहासिक धार्मिक स्थल पर विकास कार्य को अंजाम देता हो तब तो बदनामी के भय से और अधिक संवेदनशीलता की जरूरत होती है। लेकिन, हमारे क्षेत्रीय विधायक इन बातों को नहीं मानते हैं। जिसका जीता जागता उदाहरण है।
उनके गांव के ऐतिहासिक सतयुग काल में राजा दक्ष की ओर से स्थापित बाबा दक्षिणेश्वरनाथ महादेव मंदिर परिसर में दैत्य द्वारा खोदे गए पवित्र सरोवर गंगाजली का घाट। ये मैं नहीं कह रहा। बल्कि, विधायक की ओर से मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजनांतर्गत अनुशंसित उक्त सरोवर का घाट है।
इस घाट के निर्माण का शिलान्यास उक्त योजनांतर्गत 25 जून 17 को एवं उद्घाटन 6 अक्टूबर 17 को विधायक सुधांशु शेखर ने अपने हाथों किया था। लेकिन, यह घाट कितने रुपए की लागत से बनाई गई है। इसका उल्लेख न तो शिलालेख में है और ना उद्घाटन पट्टिका में। घटिया निर्माण के कारण इन्हीं पांच वर्षों में घाट जड़ से जवाब देकर जर्जरावस्था में पहुंच गया है। जबकि, मंदिर के सामने सड़क के पश्चिम में अवस्थित पवित्र सरोवर शिवसागर के बड़े घाट का निर्माण तत्कालीन विधायक स्व.शालीग्राम यादव की अनुशंसा पर इससे आठ साल पहले किया गया था। जो, आजतक जस की तस स्थित में है। लेकिन, ग्रामीण विधायक के बनवाये हुए घाट का मंदिर के पुराने घाट एवं दीवार से कोई संपर्क नहीं है।
इसका मिट्टीकरण भी ढ़ंग से नहीं कराया गया है। मंदिर के बाउंड्रीवाल की दीवार एवं फर्श प्रायः 80 प्रतिशत भागों में धंसकर जर्जर हो गयी। जिसके कारण कभी भी दीवार सहित यह गिरकर किसी बड़ी दुर्घटना को जन्म दे सकता है। कई निर्दोष इसकी चपेट में आकर दुर्घटना के शिकार हो सकते हैं।बताते चलें कि वर्ष 2019 में विधायक की अध्यक्षता में इसी मंदिर परिसर में ग्रामीणों की बैठक हुई थी।
इसमें, मंदिर के रखरखाव, सौंदर्यीकरण, श्रद्धालुओं की सुख सुविधा में वृद्धि, सड़कों की साफ -सफाई, डीजे एवं रात्रि दस बजे के बाद ध्वनि विस्तारक यंत्र के उपयोग पर प्रतिबंध सहित गांव के विकास के लिए एक समिति बनाई गई थी। जिसके अध्यक्ष विधायक सुधांशु शेखर ही बनाए गए थे। तब उनके गांव की सड़कों एवं इस ऐतिहासिक मंदिर, घाट, परिसर एवं रौशनी की इतनी बदहाली है।
कई वेपर लैंप एवं बल्ब फ्यूज हैं। मंदिर की रौनक समाप्त है। श्रद्धालुओं द्वारा परिसर में हैंडपंप, नलके की टोटी, बल्ब, वेपर लाइट आदि लगाए गए हैं। सावन के पवित्र महीने में भी इस मंदिर का रंग – रोगन नहीं कराया गया है। जबकि, यहां प्रत्येक सोमवारी को 25 हजार श्रद्धालु जलाभिषेक के लिए आते हैं और सालों भर रविवार के दिन अहले सुबह से देर शाम तक जलाभिषेक, पूजन, दर्शन और आशीष वचन के लिए श्रद्धालुओं का आना जाना लगा रहता है। मंदिर की भूमि स्थानीय लोगों द्वारा अतिक्रमण कर लिया गया है। सबसे बड़ी विडंबना है कि श्रद्धालुओं के उठने बैठने के लिए यहां एक सामुदायिक भवन तक नहीं है।