Guru Gobind Singh Jayanti: सिख धर्म के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज का प्रकाश पर्व संपूर्ण देश में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। यह पावन अवसर हमें धर्म, न्याय और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
गुरु गोबिंद सिंह जयंती: शौर्य और बलिदान का महापर्व
गुरु गोबिंद सिंह जयंती: एक प्रेरणादायक यात्रा
सिख धर्म के दसवें और अंतिम गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज का पावन प्रकाश पर्व देश भर में अत्यंत श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। उनका जीवन त्याग, बलिदान और धर्मरक्षा का अद्वितीय प्रतीक है। “सवा लाख से एक लड़ाऊं, चिड़ियों से बाज लड़ाऊं” – यह उद्घोष उनके अदम्य साहस और दृढ़ संकल्प को दर्शाता है। यह पवित्र गुरु गोबिंद सिंह जयंती हमें न केवल उनके महान आदर्शों को स्मरण कराता है, बल्कि अन्याय के विरुद्ध खड़े होने और मानवीय मूल्यों की रक्षा करने का भी संदेश देता है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म पौष मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को बिहार के पटना साहिब में हुआ था। उनका पूरा जीवन राष्ट्र और धर्म की रक्षा के लिए समर्पित था।
दशम गुरु का जीवन दर्शन
गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की, जो त्याग और वीरता का एक अद्भुत उदाहरण है। उन्होंने अपने शिष्यों को केश, कंघा, कड़ा, कृपाण और कछहरा—ये पांच ककार धारण करने का आदेश दिया, जो उन्हें एक विशिष्ट पहचान प्रदान करते हैं और धर्म के प्रति उनकी निष्ठा को दर्शाते हैं। उन्होंने समानता, भाईचारे और निडरता का संदेश दिया।
गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रेरणादायक संदेश
गुरु गोबिंद सिंह जी के उपदेश आज भी प्रासंगिक हैं। उन्होंने सिखाया कि निडर होकर सत्य का साथ देना चाहिए और कमजोरों की रक्षा करनी चाहिए। उनके लिए सभी मनुष्य समान थे, और उन्होंने कभी भी किसी प्रकार के भेदभाव का समर्थन नहीं किया। उनके जीवन का हर पल संघर्षों और चुनौतियों से भरा था, फिर भी वे अपने सिद्धांतों पर अडिग रहे। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। उनके आदर्श हमें सिखाते हैं कि आंतरिक शक्ति और साहस के साथ किसी भी विपरीत परिस्थिति का सामना किया जा सकता है। धर्म, व्रत और त्योहारों की संपूर्ण जानकारी के लिए यहां क्लिक करें: https://deshajtimes.com/news/dharm-adhyatm/
निष्कर्ष और उपाय
गुरु गोबिंद सिंह जयंती का यह पावन अवसर हमें उनके महान जीवन से प्रेरणा लेने और उनके आदर्शों को अपने जीवन में उतारने का संकल्प लेने का आह्वान करता है। उनके शौर्य, त्याग और मानवीय मूल्यों के प्रति समर्पण को स्मरण करते हुए, हम उनके दिखाए मार्ग पर चलने का प्रयत्न करें। यह गुरु पर्व हमें आत्मबल और धार्मिक चेतना से ओतप्रोत करता है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। इस शुभ अवसर पर सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।


