हिंदू धर्म में गंगा स्नान को विशेष महत्व दिया गया है। किसी भी कार्य के संपन्न होने पर लोग कहते हैं कि हमने गंगा स्नान कर लिया। इसका अर्थ यह होता है कि उन्होंने अपनी जिम्मेदारियों से मुक्ति पा ली। इसी तरह सभी पापों से मुक्ति पाने के लिए गंगा के पवित्र जल में स्नान करना चाहिए।
ऐसी मान्यता है कि इसी दिन मां गंगा ब्रह्मा के कमंडल से निकलकर भगवान शिव के शिखाओं से होती हुई धरा पर अवतरित हुई थी। मां गंगा के धरा अवतरण के लिए भागीरथ के अथक परिश्रम और कठिन तपस्या का बहुत बड़ा योगदान है। गंगा दशहरा ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है।
गंगा दशहरा में स्नान का शुभ मुहूर्त
ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 9 जून को प्रातः काल 8:21 से प्रारंभ हो रही है और 10 जून को सायंकाल 7:25 तक रहेगी। इस समय हस्त नक्षत्र है और व्यतिपात योग बन रहा है. इस समय स्नान करने से मनुष्य के समस्त पापों का अंत हो जाएगा। पंडित सदानंद मिश्र 9 जून को ही गंगा दशहरा मनाना शास्त्र सम्मत है।
पूर्वा हरण व्यापिनी ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को हस्त नक्षत्र में गंगा पृथ्वी पर आई थी, उस समय दस योग थे। ज्येष्ठ मास, शुक्ल पक्ष, दशमी तिथि, बुधवार, हस्त नक्षत्र, व्यतिपात योग, गर करण, आनंद योग, वृष राशि में सूर्य, कन्या राशि में चंद्र ये सूत्र ब्रह्म पुराण, स्कंध पुराण के हैं।
जिस दिन इन दस योग में से अधिक योग प्राप्त हो उस दिन ही गंगा मां का अवतरण दिवस मनाया जाता है। इस बार 9 व 10 जून दोनों दिन दशमी है, परंतु 9 जून को दस में से 7 योग उपलब्ध हैं। 9 जून को ज्येष्ठ मास, हस्त नक्षत्र, शुक्ल पक्ष, व्यतिपत योग, गर करण, कन्या राशि में चंद्र, वृष राशि में सूर्य, जबकि 10 जून को इतने योग नहीं हैं। इसलिए 9 जून को ही गंगा दशहरा मनाना शास्त्र सम्मत होगा।
अघोर तंत्र की अधिधात्री है मां गंगा
पं. सदानंद मिश्र ने कहा कि इस दिन गंगा जी की साधना करने वाले अघोर तंत्र के उपासक जिनको अघोरी भी कहा जाता है, वो गंगा की विशेष साधना करते हैं, क्योंकि अघोर तंत्र की देवी मां गंगा हैं। इस दिन उनकी साधना गुप्त होती है। वो जंगल में, गंगा के संगम पर, विशेष साधना करते हैं।
उन्होंने कहा कि सन्यासी इस दिन गंगा में स्नान करते हैं, गृहस्थी गंगा जी की अर्चना दस प्रकार के फल, दस प्रकार की मिठाई, दस प्रकार के रंगों, दस प्रकार के वस्त्रों, से पूजन करते हैं। इस दिन गंगा में स्नान करने से दस प्रकार के पाप, तीन प्रकार के कायिक, चार प्रकार के वाचिक, तीन प्रकार के मानसिक पापों का मां गंगा हरण कर लेती है। उन्होंने बताया कि 9 जून को गंगा स्नान के लिए 12 से 3 बजे तक समय सर्वश्रेष्ठ होगा।
स्नान और दान का महत्व
प्रातः काल गंगा में स्नान करके सूर्य भगवान को अर्घ्य दिया जाता है। पान के पत्ते पर फूल और अक्षत रखकर के जल में प्रवाहित कर दिया जाता है। मां गंगा की आरती की जाती है। दशहरा का मतलब होता है, 10 विकारों का नाश। इसलिए दशहरा के दिन शुद्ध मन से मां गंगा में डुबकी लगाने से मनुष्य के समस्त पाप धुल जाते हैं।
गंगा दशहरा के दिन दान का विशेष महत्व है। भीषण गर्मी के प्रकोप को देखते हुए इस दिन गर्मी में काम आने वाली चीजों का दान किया जाता है. इस दिन 10 चीजों का दान करने से भी मनुष्य को सांसारिक दुखों से मुक्ति मिल जाती है।