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5 सितम्बर, 2024
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Holashtak 2022: लो शुरू होने वाली है होली: 10 मार्च से आरंभ होंगे होलाष्टक, शुभ कार्य वर्जित, पढ़िए क्या है मान्यता

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लो शुरू होने वाली है होली। होली का त्योहार 18 मार्च को है। होली से आठ दिन पहले होलाष्टक शुरू हो जाते हैं, जो कि होलिका दहन तक रहते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, होलाष्टक के दौरान कोई भी मांगलिक कार्य की मनाही होती है। इसलिए होलाष्टक प्रारंभ होने के साथ ही शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है।

 

माना जाता है कि होली से 8 दिन पहले तक सभी ग्रहों को स्वभाव उग्र होता है। ग्रहों की स्थिति को शुभ नहीं माना जाता है। ज्योतिषातार्यों के अनुसार, होलाष्टक की अवधि में किए गए कार्यों का फल प्राप्त नहीं होता है।

सनातन धर्म में होली पर्व का विशेष महत्व है। होली फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है, लेकिन फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से ही होलाष्टक लग जाते हैं। यानी होलिका दहन के आठ दिन पहले से होलाष्टक लग जाता है। इस बार होलाष्टक 10 मार्च से आरम्भ होंगे। फाल्गुन अष्टमी से होलिका दहन तक आठ दिनों तक होलाष्टक के दौरान मांगलिक और शुभ कार्य शास्त्रों में वर्जित बताए गए हैं।

होलाष्टक फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से प्रारंभ होते हैं और फाल्गुन पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है। इस बार होलाष्टक 10 मार्च से लगेंगे। फाल्गुन मास की अष्टमी तिथि 10 मार्च को तड़के 02 बजकर 56 मिनट पर लग जाएगी। होलिका दहन 17 मार्च को होगा। इस दिन से ही होलाष्टक का अंत हो जाएगा।

होलाष्टक होलिका दहन से आठ दिन पहले लगता है। इस वर्ष होलाष्टक 10 मार्च से 18 मार्च तक लगेगा। फाल्गुन अष्टमी से होलिका दहन तक 8 दिनों तक होलाष्टक के दौरान मांगलिक और शुभ कार्य वर्जित हो जाते हैं। हालांकि देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना के लिए ये दिन बहुत श्रेष्ठ माने गए हैं।

ज्योतिष के अनुसार होलाष्टक शब्द होली और अष्टक से मिलकर बना है। इसका मतलब है होली के आठ दिन। होलाष्टक के दिनों में विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, मकान-वाहन की खरीदारी की मनाही होती है।

मान्यता के अनुसार राजा हरिण्यकश्यप बेटे प्रहलाद को भगवान विष्णु की भक्ति से दूर करना चाहते थे। उन्होंने 8 दिन प्रहलाद को कठिन यातनाएं दी। इसके बाद आठवें दिन बहन होलिका के गोदी में प्रहलाद को बैठा कर जला दिया, लेकिन फिर भी भक्त प्रहलाद को कुछ नहीं हुआ। इन आठ दिनों में प्रहलाद के साथ जो हुआ, उसके कारण होलाष्टक लगते हैं। वहीं नई शादी हुई लड़कियों को ससुराल की पहली होली देखने की मनाही भी होती है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति होलाष्टक के दौरान मांगलिक कार्य करता है तो उसे मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इतना ही नहीं व्यक्ति के जीवन में कलह और अकाल मृत्यु का भय रहता है। होलाष्टक की अवधि को शुभ नहीं माना जाता है।

होलाष्टक के संबंध में पं.सदानंद झा बताते हैं कि होलाष्टक शब्द होली और अष्टक से मिलकर बना है। इसका अर्थ है होली के आठ दिन। होलिका दहन फाल्गुन मास की पूर्णिमा को किया जाता है और पूर्णिमा से आठ दिन पहले से होलाष्टक लग जाता है। होलाष्टक के आठ दिनों के बीच शुभ कार्य की मनाही होती है। उन्होंने बताया कि इस बार होलिका दहन 18 मार्च को होगा, इसलिए होलाष्टक होली से आठ दिन पहले यानी 10 मार्च से लग जाएंगे।

उन्होंने बताया कि होलाष्टक को लेकर एक कथा प्रचलित है कि असुरों का राजा हिरण्य कश्यप अपने बेटे प्रहलाद को भगवान विष्णु की भक्ति से दूर करना चाहता था। इसके लिए उसने इन आठ दिन तक प्रहलाद को कठिन यातनाएं दीं। इसके बाद आठवें दिन अपनी बहन होलिका की गोद में प्रहलाद को बैठा कर जला दिया, लेकिन फिर भी प्रहलाद बच गए। इसलिए इन आठ दिनों को अशुभ माना जाता है और कोई भी शुभ कार्य नहीं किये जाते।

उन्होंने बताया कि हिरण्य कश्यप की बहन को आग से ना जलने का वरदान प्राप्त था, बावजूद इसके भगवान के भक्त को मारने के प्रयास में होलिका स्वयं जलकर भस्म हो गयी। तभी से होलिका दहन की प्रथा का चलन हुआ। होलिका दहन असत्य पर सत्य व अश्रद्धा पर भक्ति की विजय का पर्व है।

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