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1 नवम्बर, 2024
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एक ऐसा शिव मंदिर, जिसके शिवलिंग का स्वयं नर्मदा नदी करती हैं जलाभिषेक, नाव से पहुंचते हैं निमाड़ की प्राचीन संस्कृति के दीदार को भक्त

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खरगोन/सनावद। खरगोन जिले में एक ऐसा शिव मंदिर है जिसके शिवलिंग का नर्मदा नदी स्वयं जलाभिषेक करती हैं। नर्मदा के मध्य स्थित इस मंदिर में श्रद्धालु नाव से पहुंचते हैं। नदी का पानी के ज्यादा होने से यह मंदिर डूब जाता है।
बता दें कि यह मंदिर खरगोन जिले के सनावद से 15 किलोमीटर की दूरी पर ग्राम काकरिया में स्थित है। इसे गंगातखेडी महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है। बताया जाता है कि गंगातखेडी महादेव मंदिर बहुत ही पुराना है, लेकिन यह मंदिर कितना पुराना है, इस बारे में कोई ठोस आंकड़ा मौजूद नहीं है।
यह मंदिर कलात्मक सौन्दर्य तथा वास्तुशास्त्र से परिपूर्ण है। इस मंदिर के मध्य कुंड के अन्दर जल में शिवलिंग स्थापित है। लगातार कई वर्षों से पानी में होने के उपरांत भी मंदिर सुरक्षित व मजबूत है और शिव मंदिर अपने आप में अनोखा है। हजारों साल पहले बना यह मंदिर छत विहीन है। छत विहीन होने के बावजूद मंदिर की भव्यता लोगों को सहज ही आकर्षित कर लेती है। ऐसा माना जाता है कि भगवान शंकर इस जगह खुले में ही रहना पसंद करते हैं।
नर्मदा नदी के मध्य स्थित इस मंदिर के चारों तरफ पानी है जो इस जगह को और भी अधिक आकर्षक बनाती है। मान्यता है कि इस स्थान पर सप्तऋषियों ने तपस्या किया था और भगवान त्रिदेव को भोजन पर आमंत्रित किया और ऋषियों की परीक्षा लेने के लिए भगवान ब्रह्मा, विष्णु महेश भेष बदलकर उपस्थित होकर अपनी अपनी मांग राखी थी जिसमे प्रथम गंगा में स्नान करने को कहा तो सप्त ऋषि ने उस स्थान पर गंगा को प्रकट किया।
आज भी मंदिर के एक और विपरीत दिशा में जल प्रवाह करता है। इस स्थान पर गंगा जल का कुंड है जंहा डुबकी लगाकर पानी में देखने पर सिक्के व हीरे दिखाई देते है। मगर उन्हें बहार निकलने पर सिर्फ कंकर-पत्थर ही हाथ आते है। इस मंदिर का विवरण नर्मदा पुराण में भी दिया गया है।
एक ऐसा शिव मंदिर, जिसके शिवलिंग का स्वयं नर्मदा नदी करती हैं जलाभिषेक, नाव से पहुंचते हैं निमाड़ की प्राचीन संस्कृति के दीदार को भक्त
निमाड़ की प्राचीन संस्कृति का प्रतीक है मंदिर
भाजपा मण्डल अध्यक्ष जय करोड़ा ने कहा कि माँ नर्मदा के मध्य स्थित गंगातखेडी महादेव मंदिर पर दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालु अपने कष्ट-थकान को भूलकर बाबा महादेव सहित माँ नर्मदा के दर्शन के साथ-साथ प्रकृति की इस मनोरम छटा का आनंद लेते हैं।
यह मंदिर निमाड़ की प्राचीन संस्कृति का परिचय देती है और वैसे तो इस मंदिर में सदैव ही भक्तों का आना-जाना लगा रहता है, लेकिन सावन के महीने में इसका नजारा बेहद ही खास हो जाता है।
ग्राम काकरिया के सरपंच कन्हियालाल मंसारे ने बताया कि गंगातखेडी महादेव मंदिर हमारी संस्कृति का हिस्सा होकर हम ग्रामवासी इस मंदिर पर जाकर पूजा अर्चना करते है। प्रतिवर्ष गंगादशमी के दिन हजारो श्रद्धालु इस मंदिर में आते हैं। काकरिया से भैयालाल जगाती, प्रेम दरबार, गोपाल मंडलोई, लखन, मानसिंह, शिवराम, परसराम सहित अनेक युवा इस मंदिर तक पहुंचने के श्रद्धालुओं की सहायता करते हैं। (Mahadev temple is in the middle of Narmada, attracting devot)
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