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22 जून, 2024
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Maha Shivratri 2022 : महाशिवरात्रि मंगलवार1 मार्च को, बस एक उपाय में हो जाएंगें देवो के देव महादेव प्रसन्न

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पूरे देश में फाल्गुन मास कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाने वाली महाशिवरात्रि का पावन पर्व इस वर्ष अंग्रेजी तारीख के अनुसार मंगलवार, 01 मार्च (Mahashivratri on Tuesday 1st March) को मनाया जा रहा है।

हर साल फाल्गुन मास (Phalguna Month) की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि (Maha Shivratri 2022) का पर्व मनाया जाता है। ये दिन शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा और अर्चना का दिन है। कहा जाता है कि इसी दिन महादेव और माता पार्वती (Mahadev and Mata Parvati)  का विवाह हुआ था।

इस उपलक्ष्य में महादेव के भक्तगण उत्सव मनाते हैं। महादेव का व्रत और पूजन करने के अलावा तमाम मंदिरों से भगवान शिव की बारात निकाली जाती है और विधि-विधान के साथ भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह किया जाता है।

शिवपुराण (Shiv Purana) में कहा गया है
कि महाशिवरात्रि की रात को आदिदेव भगवान शिव करोड़ों सूर्य के समान प्रभाव वाले शक्तिशाली शिवलिंग के रूप में अवतरित हुए थे। इसलिए इस रात को जागरण की रात्रि कहा जाता है। इस बार महाशिवरात्रि 1 मार्च को मंगलवार के दिन पड़ रही है। अगर आप भी महाशिवरात्रि के दिन व्रत रखते हैं, तो इस दिन शिवलिंग का पूजन जरूर करें। यहां जानिए महाशिवरात्रि से जुड़ी तमाम जरूरी बातें

भगवान शिव को औघड़ दानी कहा जाता है।
अगर आप भावना से भगवान शिव की भक्ति करते हैं, तो भगवान शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों की मनोकामना पूरी कर देते हैं। शिव पुराण के अनुसार भक्तों के लिए महाशिवरात्रि का दिन बहुत खास होता है।

हिन्दू संस्कृति में महाशिवरात्रि का खास माना जाता है कि इसी दिन भगवान शिव और पार्वती का विवाह हुआ था। शास्त्रों के अनुसार, महाशिवरात्रि की रात ही भगवान शिव करोड़ों सूर्यों के समान प्रभाव वाले ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे। इसके बाद से हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है।

यह भी कहा जाता है कि मां पार्वती सती का पुनर्जन्म है। मां पार्वती शिवजी को पति के रूप में प्राप्त करना चाहती थी। इसके लिए उन्होंने शिवजी को अपना बनाने के लिए कई प्रयत्न किए थे, भोलेनाथ प्रसन्न नहीं हुए। इसके बाद मां पार्वती ने त्रियुगी नारायण से 5 किलोमीटर दूर गौरी कुंड में कठिन साधना की थी और शिवजी को मोह लिया था। इसी दिन शिवजी और मां पार्वती का विवाह हुआ था।

इस वर्ष पंचांग के अनुसार फाल्गुन कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि
महाशिवरात्रि अंग्रेजी तारीख के अनुसार सोमवा , 28 फरवरी को रात्रि 01:59 से शुभारंभ होकर 01 मार्च को रात्रि 12:17 तक रहेगा। महाशिवरात्रि का व्रत रखने वाले श्रद्धालु 02 मार्च को सुबह पारण करेंगे।

महाशिवरात्रि की पूजा विधि
श्रद्धालुओं को महाशिवरात्रि के दिन सबसे पहले शिवलिंग पर चन्दन का लेप लगाकर पंचामृत से शिवलिंग को स्नान कराया जाता है। फिर दीप और कर्पूर जलाएं। श्रद्धालु पूजा करते समय ‘ऊं नमः शिवाय’ मंत्र का जाप अवश्य करें।शिवलिंग पर बेल पत्र और फूल अर्पित करें, साथ ही साथ शिव पूजा के बाद गोबर के उपलों की अग्नि जलाकर तिल, चावल और घी की मिश्रित आहुति दें एवं होम के बाद किसी भी एक साबुत फल की आहुति दें।

श्रद्धालुओं भक्तों को महाशिवरात्रि की पूजा के बाद व्रती को पूजा, अर्घ्य, जप और कथा सुननी चाहिए और स्तोत्र पाठ करना चाहिए। अंत में भगवान शिव से भूलों के लिए क्षमा जरूर मांगनी चाहिए।

क्यों करना चाहिए शिवलिंग का पूजन

मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन महादेव अत्यंत प्रसन्न होते हैं। मानव जाति के अत्यंत करीब होते हैं। कहा जाता है कि इस दिन हर शिवलिंग में शिव स्वयं विराजमान होते हैं। ऐसे में शिवलिंग का पूजन करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। महाशिवरात्रि के दिन को बड़े अनुष्ठानों का दिन माना जाता है। इस दिन यदि सच्चे मन से शिवलिंग का पूजन किया जाए तो प्रभु भक्त की सभी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं।

महाशिवरात्रि का पहला प्रहर-
1 मार्च, 2022 शाम 6:21 मिनट से रात्रि 9:27 मिनट तक है
महाशिवरात्रि का दूसरा प्रहर- 1 मार्च रात्रि 9:27 मिनट से 12: 33 मिनट तक होगी
महाशिवरात्रि का तीसरा प्रहर- 1 मार्च रात्रि 12:33 मिनट से सुबह 3 :39 मिनट तक है
महाशिवरात्रि का चौथा प्रहर- 2 मार्च सुबह 3:39 मिनट से 6:45 मिनट तक है
पारण समय- 2 मार्च, बुधवार 6:45 मिनट के बाद

महाशिवरात्रि पूजन विधि

महाशिवरात्रि पर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने के बाद घर के पूजा स्थल पर जल से भरे कलश की स्थापना करें। इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति की स्थापना करें। फिर अक्षत, पान, सुपारी, रोली, मौली, चंदन, लौंग, इलायची, दूध, दही, शहद, घी, धतूरा, बेलपत्र, कमलगट्टा आदि भगवान को अर्पित करें और अंत में आरती करें। इसके बाद भगवान शिव से आशीर्वाद लें।

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