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दिसम्बर, 30, 2025

Malmas 2026: जानें पुरुषोत्तम मास का महत्व, नियम और वर्जित कार्य

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Malmas 2026: नववर्ष 2026 में ज्येष्ठ माह के दौरान लगने वाला मलमास एक विशेष खगोलीय और धार्मिक घटना है, जो हिन्दू पंचांग में एक अतिरिक्त महीने के रूप में जुड़ता है। इसे भगवान विष्णु का प्रिय मास ‘पुरुषोत्तम मास’ भी कहा जाता है, जिसका अपना एक गहरा आध्यात्मिक महत्व है और इस दौरान किए गए शुभ कर्मों का फल कई गुना अधिक प्राप्त होता है।

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Malmas 2026: जानें पुरुषोत्तम मास का महत्व, नियम और वर्जित कार्य

मलमास, जिसे अधिमास या पुरुषोत्तम मास के नाम से भी जाना जाता है, हिन्दू धर्म में अत्यंत पवित्र माना गया है। यह वह समय होता है जब सौर और चंद्र पंचांगों के बीच संतुलन स्थापित होता है, जिससे नववर्ष 2026 में कुल 13 महीने होंगे।

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Malmas 2026 कब से कब तक?

वर्ष 2026 में ज्येष्ठ माह के दौरान मलमास का संयोग बन रहा है। यह वह विशेष अवधि है जब सूर्य संक्रांति के बिना ही एक पूरा चंद्रमास बीत जाता है। इस स्थिति में, चंद्र मास में सूर्य का संक्रमण न होने के कारण इसे ‘मलमास’ कहा जाता है, जिसका अर्थ है ‘मलिन मास’। हालांकि, भगवान विष्णु ने इसे अपना नाम देकर ‘पुरुषोत्तम मास’ के रूप में प्रतिष्ठित किया, जिससे यह मास अत्यंत पूजनीय और फलदायी बन गया। इस अवधि में किए गए धार्मिक कार्य, पूजा-पाठ और दान-पुण्य का अक्षय फल मिलता है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।

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मलमास का धार्मिक महत्व और कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, हर मास के अधिपति देवता होते हैं, लेकिन मलमास का कोई स्वामी न होने के कारण यह अत्यंत दीन-हीन था। तब मलमास ने भगवान विष्णु की शरण ली और उनसे अपना उद्धार करने की प्रार्थना की। भगवान विष्णु ने मलमास की पुकार सुनी और उसे अपना नाम ‘पुरुषोत्तम’ दिया, जिससे यह मास अत्यंत श्रेष्ठ और पवित्र बन गया। भगवान ने यह वरदान दिया कि जो कोई भी इस मास में उनकी उपासना करेगा, उसे समस्त सुखों की प्राप्ति होगी और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होगा। इसलिए पुरुषोत्तम मास को भगवान की भक्ति और सेवा के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। इस दौरान किए गए जप, तप और अनुष्ठान का फल सामान्य मास से कई गुना अधिक होता है।

मलमास में क्या करें और क्या न करें

मलमास के दौरान कुछ कार्यों को करना अत्यंत शुभ माना जाता है, जबकि कुछ कार्यों से बचना चाहिए।

क्या करें (शुभ कार्य):

  • **भगवान विष्णु की पूजा:** इस पूरे माह भगवान विष्णु और उनके विभिन्न अवतारों की विशेष पूजा-अर्चना करनी चाहिए। “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जप करें।
  • **भागवत कथा श्रवण:** श्री मदभागवत कथा का पाठ या श्रवण करने से पुण्य मिलता है और पापों का नाश होता है।
  • **दान-पुण्य:** गरीब और जरूरतमंद लोगों को अन्न, वस्त्र और धन का दान करना अत्यंत शुभकारी होता है।
  • **तीर्थ यात्रा और गंगा स्नान:** इस मास में पवित्र नदियों में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। तीर्थ स्थानों की यात्रा भी फलदायी मानी जाती है।
  • **दीपदान:** मंदिरों में और पवित्र नदियों के किनारे दीपदान करने से सौभाग्य बढ़ता है।
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क्या न करें (वर्जित कार्य):

  • **विवाह संस्कार:** मलमास में विवाह जैसे मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं, क्योंकि इससे दांपत्य जीवन में सुख और समृद्धि की कमी हो सकती है।
  • **गृह प्रवेश:** नए घर में प्रवेश या नया घर बनवाना भी इस मास में शुभ नहीं माना जाता है।
  • **नए व्यापार का आरंभ:** किसी भी नए व्यवसाय या बड़े निवेश की शुरुआत से इस मास में बचना चाहिए।
  • **मुंडन और कर्णवेध:** बच्चों के मुंडन संस्कार या कर्णवेध जैसे कार्य भी इस अवधि में नहीं किए जाते हैं।
  • **यज्ञोपवीत संस्कार:** जनेऊ धारण जैसे महत्वपूर्ण संस्कार भी मलमास में टाल दिए जाते हैं।
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मलमास भक्ति, ध्यान और आत्मचिंतन का मास है। यह हमें सांसारिक मोहमाया से ऊपर उठकर आध्यात्मिक उन्नति की ओर बढ़ने का अवसर प्रदान करता है। इस पवित्र अवधि का लाभ उठाकर अपने जीवन को धर्म और पुण्य से परिपूर्ण करें।

निष्कर्ष और उपाय:

मलमास 2026 हमें अपने कर्मों को सुधारने और ईश्वर के प्रति अपनी श्रद्धा को गहरा करने का एक अद्वितीय अवसर प्रदान करेगा। इस दौरान भगवान विष्णु की भक्ति में लीन होकर, दान-पुण्य करके और सात्विक जीवन शैली अपनाकर हम आध्यात्मिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं। यह मास जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाने वाला माना जाता है। धर्म, व्रत और त्योहारों की संपूर्ण जानकारी के लिए यहां क्लिक करें: धर्म, व्रत और त्योहारों की संपूर्ण जानकारी के लिए यहां क्लिक करें। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।

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