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दिसम्बर, 27, 2025

Mauni Amavasya 2026: मौनी अमावस्या का महत्व, तिथि और पितृ दोष निवारण उपाय

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Mauni Amavasya 2026: माघ मास की पवित्र अमावस्या, जिसे मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है, सनातन धर्म में विशेष महत्व रखती है। यह दिन आत्मशुद्धि, मौन साधना और पितरों को श्रद्धांजलि अर्पित करने का अनुपम अवसर है, जहां वाणी, मन और कर्म-तीनों की शुद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है।

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Mauni Amavasya 2026: मौनी अमावस्या का महत्व, तिथि और पितृ दोष निवारण उपाय

पवित्र माघ मास की अमावस्या को मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस पावन अवसर पर मौन व्रत रखने, पवित्र नदियों में स्नान करने और दान-पुण्य करने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन किए गए धार्मिक कार्यों से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन के कष्ट दूर होते हैं। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। यह दिन विशेष रूप से पितरों की आत्मा की शांति और पितृ दोष के निवारण के लिए अत्यंत फलदायी माना गया है।

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Mauni Amavasya 2026: मौन व्रत और स्नान-दान का महात्म्य

मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस व्रत को वाणी पर नियंत्रण का प्रतीक माना जाता है, जिससे मन शांत होता है और आध्यात्मिक ऊर्जा बढ़ती है। इस दिन गंगा, यमुना जैसी पवित्र नदियों में स्नान का विधान है। यदि पवित्र नदी में स्नान संभव न हो तो घर पर ही जल में गंगाजल मिलाकर स्नान किया जा सकता है। स्नान के उपरांत सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए।

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मौनी अमावस्या 2026: शुभ मुहूर्त

मौनी अमावस्या की तिथि और शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं:

| तिथि | समय |
| :————- | :——————————— |
| अमावस्या तिथि प्रारंभ | 17 जनवरी 2026, प्रातः 02:44 बजे से |
| अमावस्या तिथि समाप्त | 18 जनवरी 2026, प्रातः 05:44 बजे तक |

पूजा विधि एवं नियम

मौनी अमावस्या के दिन कुछ विशेष नियमों का पालन करना चाहिए:

  • प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करें या घर पर ही गंगाजल मिश्रित जल से स्नान करें।
  • स्नान के पश्चात् सूर्य देव को जल अर्पित करें और ‘ॐ सूर्याय नमः’ मंत्र का जाप करें।
  • मौन व्रत का संकल्प लें और पूरे दिन वाणी पर संयम रखें। यह संभव न हो तो कम से कम कुछ घंटों के लिए मौन रहें।
  • पितरों की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर्म करें। इससे पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
  • पीपल के वृक्ष की पूजा करें और उसकी 108 परिक्रमा करें।
  • ब्राह्मणों, गरीबों और जरूरतमंदों को वस्त्र, अन्न, कंबल आदि का दान करें। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
  • इस दिन तामसिक भोजन का त्याग करें और सात्विक आहार ग्रहण करें।
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पितृ दोष निवारण और सुख-समृद्धि के उपाय

मौनी अमावस्या का दिन पितरों को प्रसन्न करने और पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए सर्वोत्तम है। इस दिन कुछ विशेष उपाय करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और दरिद्रता का नाश होता है:

  • तर्पण और पिंडदान: इस दिन पितरों के निमित्त तर्पण और पिंडदान करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • पीपल पूजा: पीपल के वृक्ष में त्रिदेवों का वास माना जाता है। इस दिन पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक जलाकर उसकी पूजा करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं।
  • दान-पुण्य: तिल, गुड़, घी, अनाज और वस्त्रों का दान करने से ग्रह शांत होते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है।
  • मंत्र जाप: इस दिन भगवान विष्णु या शिव जी के मंत्रों का जाप करने से मानसिक शांति मिलती है और आध्यात्मिक उन्नति होती है।

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः।

यह पवित्र दिवस हमें आत्मचिंतन और पूर्वजों के प्रति श्रद्धा अर्पित करने का अवसर प्रदान करता है। धर्म, व्रत और त्योहारों की संपूर्ण जानकारी के लिए यहां क्लिक करें

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Mauni Amavasya 2026: मौनी अमावस्या के पावन अवसर पर किए गए ये सभी कर्म न केवल व्यक्ति को आध्यात्मिक लाभ प्रदान करते हैं, बल्कि उसके जीवन से दरिद्रता का निवारण कर सुख-समृद्धि का मार्ग भी प्रशस्त करते हैं। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। इस दिन सच्चे मन से किए गए प्रयास निश्चित रूप से फलदायी होते हैं।

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