Mauni Amavasya 2026: माघ मास की अमावस्या तिथि को मौनी अमावस्या के पावन पर्व के रूप में मनाया जाता है, जिसका सनातन धर्म में अत्यधिक महत्व है। यह दिन वाणी, मन और कर्म-तीनों की शुद्धि का साधन है, और पितरों के आशीर्वाद तथा सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए श्रेष्ठ माना गया है।
मौनी अमावस्या 2026: कब है माघ अमावस्या, जानें सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पितृ शांति के उपाय
सनातन धर्म में माघ माह की अमावस्या को मौनी अमावस्या 2026 के रूप में मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन मौन व्रत रखने, पवित्र नदियों में स्नान करने और दान-पुण्य करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। यह दिन न केवल आत्मशुद्धि का मार्ग प्रशस्त करता है, बल्कि पूर्वजों को शांत करने और पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए भी अत्यंत शुभ माना गया है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। आइए जानते हैं वर्ष 2026 में मौनी अमावस्या की सही तिथि, शुभ मुहूर्त और इस पावन दिन से जुड़े महत्वपूर्ण नियमों के बारे में।
मौनी अमावस्या 2026 का महत्व और पूजन विधि
पौराणिक कथाओं के अनुसार, माघ माह की अमावस्या पर ही सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी ने मनु ऋषि को उत्पन्न किया था, इसलिए इस अमावस्या को ‘मौनी’ अमावस्या कहा जाता है। इस दिन मौन धारण करने से मन को शांति मिलती है और व्यक्ति आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर होता है। इस व्रत को अत्यंत पवित्र, तपस्वी और पुण्यदायी माना गया है। मौनी अमावस्या के दिन भगवान विष्णु और पितरों की पूजा का विधान है।
मौनी अमावस्या 2026: सही तिथि और शुभ मुहूर्त
वर्ष 2026 में, मौनी अमावस्या की तिथि को लेकर कुछ दुविधा हो सकती है। ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार:
| अमावस्या तिथि प्रारंभ | 17 जनवरी 2026, शनिवार को शाम 07:11 बजे |
| अमावस्या तिथि समाप्त | 18 जनवरी 2026, रविवार को शाम 04:47 बजे |
चूंकि अमावस्या तिथि 18 जनवरी को सूर्योदय के समय भी रहेगी, इसलिए स्नान-दान और पितृ तर्पण जैसे प्रमुख कर्मकांड 18 जनवरी 2026, रविवार को ही किए जाएंगे। मौन व्रत का संकल्प भी इसी दिन लिया जाता है।
मौनी अमावस्या के लाभ और पितृ दोष शांति के उपाय
मौनी अमावस्या का दिन पितृ दोष की शांति, दरिद्रता निवारण और घर में सुख-समृद्धि लाने के लिए अत्यंत फलदायी माना गया है। इस दिन किए गए दान, स्नान और तर्पण से पितर प्रसन्न होते हैं और अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
मौनी अमावस्या 2026: स्नान-दान और पितृ तर्पण की विधि
- मौनी अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर किसी पवित्र नदी (जैसे गंगा, यमुना) में स्नान करें। यदि यह संभव न हो, तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
- स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और सूर्यदेव को अर्घ्य दें।
- इसके उपरांत, पितरों के निमित्त तर्पण करें। इसके लिए तिल, जल और कुश से पितरों का आह्वान करें और उन्हें जल अर्पित करें।
- पीपल के पेड़ की पूजा करें। पीपल के पेड़ पर जल, दूध, काले तिल और पुष्प अर्पित करें। सात बार परिक्रमा करें और दीपक जलाएं।
- ब्राह्मणों को भोजन कराएं और अपनी सामर्थ्य अनुसार वस्त्र, अन्न, तिल, कंबल आदि का दान करें। गौशाला में चारा दान करना भी अत्यंत शुभ माना जाता है।
- मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत का पालन करें। यदि पूरे दिन मौन रहना संभव न हो, तो कम से कम स्नान और पूजा के समय मौन अवश्य रहें।
पितृ दोष शांति के लिए इस दिन विशेष मंत्रों का जाप करना अत्यंत लाभकारी होता है:
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः।
ॐ पितृभ्यः नमः।
यह दिन भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने और पितरों को संतुष्ट करने का अनुपम अवसर है। इस पवित्र दिन पर किए गए धार्मिक कार्य और पुण्य कर्म व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाते हैं। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
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