सभी देवों में प्रथम पूज्य भगवान गणेश के पूजन उत्सव की तैयारी तेज हो गई है। भादो माह के शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि के दिन दस सितम्बर को लाल बाग के राजा कहे जाने वाले गणपति बप्पा बेगूसराय के 50 से अधिक मंडपों में पधारेंगे।
गणेश पूजा को लेकर तैयारी युद्ध स्तर पर
लगातार एक सप्ताह से अधिक की पूजा के बाद 19 सितम्बर को अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान गणेश की प्रतिमा विसर्जित की जाएगी। गणेश पूजा को लेकर तैयारी युद्ध स्तर पर चल रही है।
हालांकि कोरोना के कारण लगाया गया लॉकडाउन देर से समाप्त किया गया है, जिसके कारण विस्तारित तैयारी नहीं हो सकी। इसके बावजूद सभी मंडपों में बाल गणेश की प्रतिमा स्थापित किए जाने को लेकर पूजा समितियों ने तैयारी तेज कर दी है। कलाकार मिट्टी की बनी प्रतिमा को अंतिम रूप देने में लगे हुए हैं। मंगलवार एवं बुधवार को प्रतिमा की रंगाई की जाएगी, इसके बाद मूर्तिकार उसे सजाएंगे और मंडप में पहुंचाया जाएगा।
मूर्तिकार विनोद पंडित ने बताया कि मुंबई की तर्ज पर बिहार में भी पंडाल बना कर गणेश पूजा करने वालों की संख्या बढ़ रही है। प्रत्येक साल नए पंडाल बन रहे हैं। इस वर्ष कोरोना के कारण आर्डर कम और देर से मिला। जिसके कारण तीन फीट तक की अधिक प्रतिमाएं बन रही है। सभी प्रतिमा पूरी तरह से इको फ्रेंडली है तथा सरकारी गाइडलाइन के अनुसार रंग भी प्रकृति के अनुकूल दिया जा रहा है।
ज्योतिष अनुसंधान केंद्र गढ़पुरा के संस्थापक पंडित आशुतोष झा ने बताया कि रिद्धि-सिद्धि के दाता भगवान गणेश की कृपा से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। सनातन धर्म में किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत गणेश की पूजा से की जाती है, इसलिए गणेश चतुर्थी का विशेष महत्व है। इस वर्ष गणेश चतुर्थी के दिन दस सितम्बर को दोपहर 12:17 बजे से रात दस बजे तक शुभ मुहूर्त है।
शुभ मुहूर्त में ही गणपति की स्थापना काफी फलदायी होगा। दोपहर 12:17 बजे के बाद कभी भी गणपति की स्थापना और पूजा की जा सकती है। पूजा में लाल और पीले रंग के कपड़े पहनना शुभ होता है। पूजा में अन्य सामग्रियों के अलावा दूब घास, गन्ना और बुनिया के लड्डू का भोग जरूर लगाना चाहिए। प्रतिमा खरीदते समय भी विशेष ध्यान देने की जरूरत है, वही प्रतिमा खरीदें जिसमें सूड़ दायें तरफ मुड़ी हुई हो।