Paush Pradosh Vrat 2025: पौष माह में आने वाला प्रदोष व्रत भगवान शिव की कृपा पाने का श्रेष्ठ अवसर माना गया है। मान्यता है कि इस पावन दिन में पूजा और व्रत करने से किस्मत के द्वार खुलते हैं, पापों का नाश होता है और जीवन में सुख, शांति व समृद्धि बढ़ती है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
Paush Pradosh Vrat 2025: पौष प्रदोष व्रत 2025: भगवान शिव की कृपा और मोक्ष का पावन पर्व
Paush Pradosh Vrat 2025: पौष प्रदोष व्रत की महिमा और पूजा विधि
सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है, जो भगवान शिव को समर्पित है। प्रत्येक माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है, और जब यह पौष माह में आता है तो इसकी महिमा और भी बढ़ जाती है। यह व्रत उपासकों को शिव-पार्वती के आशीर्वाद से परिपूर्ण करता है, जिससे जीवन के सभी दुख और कष्ट दूर होते हैं। इस शुभ दिन पर सच्ची श्रद्धा से की गई उपासना से न केवल भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति और मोक्ष का मार्ग भी प्रशस्त होता है। प्रदोष काल, यानी सूर्यास्त से ठीक पहले और बाद का समय, भगवान शिव की आराधना के लिए सबसे उत्तम माना गया है।
पौष प्रदोष व्रत की पूजा विधि
पौष प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। इस दिन व्रत रखने और निम्नलिखित विधि से पूजा करने से भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त होती है:
- सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पूर्व उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थान को गंगाजल छिड़क कर पवित्र करें।
- लकड़ी की चौकी पर शिव-पार्वती की प्रतिमा या शिवलिंग स्थापित करें।
- सर्वप्रथम शिवलिंग पर गंगाजल, फिर गाय का दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से पंचामृत अभिषेक करें।
- अभिषेक के बाद पुनः शुद्ध जल से स्नान कराएं।
- इसके बाद बेलपत्र, धतूरा, भांग, शमी पत्र, आंकड़े के फूल, चंदन, अक्षत (साबुत चावल), रोली आदि अर्पित करें।
- भगवान शिव को सफेद मिष्ठान या फलों का भोग लगाएं।
- दीपक प्रज्वलित करें और धूप-अगरबत्ती दिखाएं।
- शिव चालीसा का पाठ करें और प्रदोष व्रत की कथा सुनें। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
- ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का यथाशक्ति जाप करें।
- पूजा के अंत में आरती करें और भगवान शिव से अपनी गलतियों के लिए क्षमा प्रार्थना करें।
- प्रदोष काल समाप्त होने के बाद फलाहार ग्रहण करें।
पौष प्रदोष व्रत 2025: शुभ मुहूर्त (उदाहरण)
कृपया ध्यान दें कि 2025 के लिए सटीक तिथि और मुहूर्त के लिए किसी विश्वसनीय पंचांग का अवलोकन करें। नीचे दिया गया समय केवल एक उदाहरण है:
| विवरण | समय (उदाहरण) |
|---|---|
| पौष प्रदोष व्रत तिथि | तिथि विशेष (2025 के लिए पंचांग देखें) |
| प्रदोष काल | सायंकाल 05:30 PM – 08:00 PM (उदाहरण) |
| पूजा का शुभ मुहूर्त | सायंकाल 06:00 PM – 07:30 PM (उदाहरण) |
प्रदोष व्रत का पौराणिक संदर्भ
प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन के समय जब हलाहल विष निकला था, तो भगवान शिव ने सृष्टि की रक्षा के लिए उसे अपने कंठ में धारण कर लिया था। यह घटना त्रयोदशी तिथि को प्रदोष काल में हुई थी। तभी से यह दिन भगवान शिव की पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन व्रत और पूजन करने से महादेव प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। यह व्रत करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है और महादेव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
मंत्र
‘ॐ नमः शिवाय’
निष्कर्ष और उपाय
पौष प्रदोष व्रत भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त करने का एक अनुपम अवसर है। इस दिन सच्ची श्रद्धा और भक्ति से की गई पूजा व्यक्ति के जीवन से सभी कष्टों को दूर कर सुख-समृद्धि लाती है। व्रत के नियमों का पालन करें और शिवजी की आराधना से अपने जीवन को धन्य बनाएं। इस पावन अवसर पर शिव मंदिरों में दीप दान करना और गरीबों को दान देना भी अत्यंत शुभ माना जाता है।
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