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दिसम्बर, 29, 2025

पौष पुत्रदा एकादशी 2025: संतान सुख और पुण्य प्राप्ति का महाव्रत

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Paush Putrada Ekadashi 2025: सनातन धर्म में एकादशी का व्रत समस्त पापों का नाश करने वाला और मनोकामनाएं पूर्ण करने वाला माना गया है। विशेषकर पौष मास में पड़ने वाली पुत्रदा एकादशी संतान सुख की चाह रखने वाले दंपत्तियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। साल 2025 की अंतिम एकादशी तिथि को लेकर भक्तों के मन में जो दुविधा है, उसे आज हम विस्तार से दूर करेंगे।

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पौष पुत्रदा एकादशी 2025: संतान सुख और पुण्य प्राप्ति का महाव्रत

हिंदू पंचांग के अनुसार, पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा जाता है। यह व्रत मुख्य रूप से पुत्र रत्न की प्राप्ति और संतान के उज्ज्वल भविष्य की कामना के लिए किया जाता है। भक्तों में यह असमंजस बना हुआ है कि 30 या 31 दिसंबर, किस दिन इस पवित्र व्रत का पालन किया जाए। धार्मिक ग्रंथों और गणनाओं के अनुसार, पौष पुत्रदा एकादशी 2025 का व्रत मंगलवार, 30 दिसंबर 2025 को रखा जाएगा। इसका पारण अगले दिन, बुधवार, 31 दिसंबर 2025 को किया जाएगा। यह अत्यंत पावन तिथि उन सभी के लिए विशेष फलदायी है जो जीवन में सुख-समृद्धि और वंश वृद्धि की कामना करते हैं, आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।

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पौष पुत्रदा एकादशी 2025 व्रत की महिमा और शुभ मुहूर्त

शास्त्रों में पुत्रदा एकादशी की महिमा का विस्तार से वर्णन मिलता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने और व्रत रखने से नि:संतान दंपत्तियों को संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही, यह व्रत संतान की सभी समस्याओं को दूर कर उनके जीवन में सुख-शांति लाने में सहायक होता है। इस शुभ अवसर पर भगवान नारायण की कृपा प्राप्त करने के लिए यहां जानिए व्रत की सही तिथि और पारण का विस्तृत विवरण:

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व्रत और पारण का शुभ मुहूर्त

तिथिसमय
एकादशी तिथि प्रारंभदिसंबर 29, 2025 को शाम 07:44 बजे
एकादशी तिथि समाप्तदिसंबर 30, 2025 को शाम 05:41 बजे
व्रत रखने का दिनमंगलवार, 30 दिसंबर 2025
पारण का समयदिसंबर 31, 2025 को सुबह 07:13 बजे से 09:17 बजे तक

पौष पुत्रदा एकादशी व्रत विधि

पुत्रदा एकादशी का व्रत विधि-विधान से करने पर ही पूर्ण फल प्राप्त होता है।

  • व्रत के एक दिन पूर्व दशमी तिथि को सात्विक भोजन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  • एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • भगवान विष्णु का ध्यान कर व्रत का संकल्प लें।
  • पूजा स्थान पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें और गंगाजल से शुद्धि करें।
  • भगवान को चंदन, रोली, अक्षत, धूप, दीप, नैवेद्य, तुलसी पत्र और फल अर्पित करें।
  • विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और एकादशी व्रत कथा सुनें।
  • दिन भर निराहार रहकर “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें। यदि संभव न हो तो फलाहार कर सकते हैं।
  • रात में जागरण कर भगवान का कीर्तन करें।
  • द्वादशी तिथि को शुभ मुहूर्त में ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा दें।
  • इसके बाद स्वयं पारण कर व्रत का समापन करें। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
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पौराणिक कथा और महत्व

पुत्रदा एकादशी की कथा अत्यंत प्रेरक है। इस व्रत को करने से पुत्रहीन व्यक्ति को भी पुत्र की प्राप्ति होती है। पौराणिक कथा के अनुसार, भद्रावती नगरी में राजा सुकेतु रहते थे। उनके पास सब कुछ था, किंतु संतान न होने के कारण वे दुखी रहते थे। एक बार वे वन में भटकते हुए ऋषियों के आश्रम पहुंचे। ऋषियों ने उन्हें पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत करने की सलाह दी। राजा ने श्रद्धापूर्वक इस व्रत का पालन किया, जिसके प्रभाव से उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। तभी से यह व्रत संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दंपत्तियों के लिए वरदान स्वरूप है।

पुत्रदा एकादशी का महामंत्र

इस पवित्र दिन भगवान विष्णु के इस मंत्र का जाप करने से विशेष लाभ मिलता है:

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः।

यह मंत्र समस्त कष्टों को हरने वाला और मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला है।

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निष्कर्ष और शुभ उपाय

पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत न केवल संतान सुख प्रदान करता है, बल्कि व्यक्ति को आध्यात्मिक शांति और मोक्ष की ओर भी अग्रसर करता है। इस दिन भगवान विष्णु की सच्चे मन से आराधना करने और नियमों का पालन करने से जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं। व्रत के दिन गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और धन का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस प्रकार, यह व्रत हमें भक्ति, सेवा और त्याग का मार्ग दिखाता है। धर्म, व्रत और त्योहारों की संपूर्ण जानकारी के लिए यहां क्लिक करें: धर्म, व्रत और त्योहारों की संपूर्ण जानकारी के लिए यहां क्लिक करें। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।

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