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दिसम्बर, 26, 2025

Paush Putrada Ekadashi 2025: पुत्रदा एकादशी पर शुक्र का अद्भुत संयोग, इन राशियों पर बरसेगा सौभाग्य

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Paush Putrada Ekadashi 2025: पवित्र पौष पुत्रदा एकादशी का आगमन 30 दिसंबर 2025 को हो रहा है, जो इस वर्ष की अंतिम एकादशी तिथि होगी। यह शुभ दिन भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने और संतान प्राप्ति की कामना के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस पावन अवसर पर शुक्र ग्रह का पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में गोचर एक विशेष फलदायी संयोग का निर्माण कर रहा है। ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार, यह अद्भुत **ग्रह गोचर** कई राशिचक्र के जातकों के लिए धन लाभ, करियर में उन्नति और समग्र सुख-समृद्धि के द्वार खोल सकता है।

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Paush Putrada Ekadashi 2025: पुत्रदा एकादशी पर शुक्र का अद्भुत संयोग, इन राशियों पर बरसेगा सौभाग्य

पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। संतानहीन दंपत्तियों के लिए यह व्रत विशेष फलदायी माना जाता है, क्योंकि इसके प्रभाव से उन्हें संतान सुख की प्राप्ति होती है। भगवान विष्णु को समर्पित यह दिन मोक्ष और समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति का मार्ग प्रशस्त करता है। इस वर्ष 30 दिसंबर 2025 को पड़ने वाली यह एकादशी अपने साथ एक दुर्लभ खगोलीय घटना लेकर आ रही है।

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Paush Putrada Ekadashi 2025 पर शुक्र गोचर का विशेष प्रभाव

इस एकादशी पर शुक्र ग्रह का पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में गोचर हो रहा है, जो ज्योतिष शास्त्र में अत्यंत शुभ माना जाता है। पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र का संबंध जल तत्व और शुक्र ग्रह से है, जो कला, सौंदर्य, धन, ऐश्वर्य और वैवाहिक सुख का कारक है। ऐसे में यह **ग्रह गोचर** कुछ विशेष राशियों के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगा। इन राशियों को धन संबंधी मामलों में अप्रत्याशित लाभ मिल सकता है, करियर में नई ऊंचाइयों को छूने का अवसर प्राप्त होगा और व्यक्तिगत जीवन में भी सुख-शांति व समृद्धि का अनुभव होगा। यह संयोग विशेष रूप से आर्थिक स्थिति को मजबूत करने और जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने वाला है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।

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पौष पुत्रदा एकादशी व्रत विधि

पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है। इसकी विधिपूर्वक पूजा करने से भगवान विष्णु शीघ्र प्रसन्न होते हैं:

  • एकादशी के एक दिन पहले दशमी तिथि की रात से ही सात्विक भोजन ग्रहण करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  • एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें और व्रत का संकल्प लें।
  • गंगाजल से अभिषेक करें और उन्हें पीला चंदन, अक्षत, पीले फूल, फल, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
  • भगवान को तुलसी दल अवश्य चढ़ाएं।
  • पूरे दिन निराहार रहकर व्रत करें। यदि संभव न हो तो फलाहार कर सकते हैं।
  • शाम के समय भगवान विष्णु की आरती करें और रात्रि जागरण करें।
  • द्वादशी तिथि पर ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दक्षिणा देकर विदा करें।
  • इसके बाद स्वयं भोजन ग्रहण करके व्रत का पारण करें। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
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शुभ मुहूर्त

तिथिसमय
पौष पुत्रदा एकादशी तिथि30 दिसंबर 2025, मंगलवार
एकादशी तिथि प्रारंभ29 दिसंबर 2025, रात 08:35 बजे
एकादशी तिथि समाप्त30 दिसंबर 2025, शाम 07:15 बजे
व्रत पारण का समय31 दिसंबर 2025, सुबह 07:14 बजे से 09:18 बजे तक

पौष पुत्रदा एकादशी की कथा

प्राचीन काल में महिष्मती नामक नगर में सुकेतुमान नामक एक राजा राज्य करते थे। उनके राज्य में सब कुछ सुखमय था, किंतु राजा संतानहीन थे। इस बात से वे और उनकी पत्नी चिंतित रहते थे। एक दिन राजा वन में विचरण करते हुए एक आश्रम में पहुंचे। वहां उन्होंने ऋषियों से अपनी समस्या बताई। ऋषियों ने उन्हें पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत करने की सलाह दी। राजा ने श्रद्धापूर्वक यह व्रत किया, जिसके प्रभाव से उन्हें तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति हुई। तभी से यह एकादशी पुत्र प्राप्ति की कामना के लिए प्रसिद्ध हुई। यह व्रत न केवल संतान सुख प्रदान करता है, बल्कि समस्त पापों का नाश कर मोक्ष भी दिलाता है।

भगवान विष्णु के मंत्र

भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए इन मंत्रों का जाप करें:

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।

शांताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं,
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभांगम्।
लक्ष्मीकांतं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं,
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥

निष्कर्ष और उपाय

पौष पुत्रदा एकादशी का यह पावन पर्व भगवान विष्णु की असीम कृपा प्राप्त करने का सुअवसर है। इस दिन व्रत, पूजन और दान करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। शुक्र गोचर के विशेष संयोग के कारण यह एकादशी कुछ राशियों के लिए अधिक भाग्यशाली सिद्ध होगी, उन्हें धन, सुख और समृद्धि का आशीर्वाद मिलेगा। यदि आप संतान सुख की कामना रखते हैं या जीवन में किसी बाधा का सामना कर रहे हैं, तो श्रद्धा और भक्ति के साथ इस व्रत को अवश्य करें। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
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