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दिसम्बर, 25, 2025

Paush Putrada Ekadashi 2025: पुत्रदा एकादशी व्रत, विधि और महत्व

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Paush Putrada Ekadashi 2025: सनातन धर्म में एकादशी का व्रत समस्त पापों का नाश करने वाला और मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला माना गया है। यह परम पुण्यदायिनी एकादशी संतान सुख की इच्छा रखने वाले दंपत्तियों के लिए विशेष फलदायी होती है।

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Paush Putrada Ekadashi 2025: पुत्रदा एकादशी व्रत, विधि और महत्व

पौष मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को पौष पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है और जो भक्त सच्चे मन से इसका व्रत करते हैं, उन्हें शीघ्र ही संतान सुख का आशीर्वाद मिलता है। विशेषकर जिन दंपत्तियों को संतान का सुख प्राप्त नहीं हुआ है, उनके लिए यह व्रत अत्यंत कल्याणकारी सिद्ध होता है। इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है, जिससे अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन के समस्त कष्ट दूर होते हैं। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।

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Paush Putrada Ekadashi 2025: शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

इस पावन अवसर पर भगवान विष्णु की आराधना का विधान है। भक्तगण सूर्योदय से पूर्व उठकर पवित्र नदी में स्नान करें या घर पर ही गंगाजल मिश्रित जल से स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें। इसके बाद व्रत का संकल्प लें।

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शुभ मुहूर्त 2025

तारीखशनिवार, 11 जनवरी 2025
एकादशी तिथि प्रारंभ10 जनवरी 2025 को शाम 07:34 बजे से
एकादशी तिथि समाप्त11 जनवरी 2025 को शाम 06:12 बजे तक
पारण का समय12 जनवरी 2025 को सुबह 07:15 बजे से 09:18 बजे तक

पूजा विधि

  • भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें और उन्हें पंचामृत से स्नान कराएं।
  • पीले वस्त्र, पीले पुष्प, चंदन, धूप, दीप और नैवेद्य (मिठाई, फल) अर्पित करें।
  • तुलसी दल अवश्य चढ़ाएं, क्योंकि तुलसी भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है।
  • एकादशी व्रत कथा का पाठ करें और भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें।
  • आरती करें और क्षमा याचना करें। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
  • ब्राह्मणों और गरीबों को अन्न, वस्त्र और धन का दान करें। इस दिन किया गया दान पुत्र प्राप्ति की कामना पूर्ण करने में सहायक होता है।
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पौष पुत्रदा एकादशी की कथा

प्राचीन काल में भद्रावती नामक नगरी में सुकेतुमान नामक एक राजा राज करते थे। उनकी पत्नी का नाम चंद्रभागा था। राजा के पास धन-धान्य की कोई कमी नहीं थी, परंतु उन्हें कोई संतान नहीं थी। इस कारण वे सदैव दुखी रहते थे। एक दिन राजा और रानी ने ऋषि-मुनियों से अपनी व्यथा सुनाई। ऋषियों ने उन्हें पौष मास के शुक्ल पक्ष की पुत्रदा एकादशी का व्रत करने का सुझाव दिया। राजा-रानी ने विधि-विधान से यह व्रत किया, जिसके प्रभाव से उन्हें एक सुंदर पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। तभी से यह एकादशी पुत्र प्राप्ति की कामना से की जाती है। इस व्रत को करने से व्यक्ति को भौतिक सुखों के साथ-साथ मोक्ष की भी प्राप्ति होती है।

भगवान विष्णु का मंत्र

इस दिन भगवान विष्णु के इन मंत्रों का जाप अत्यंत फलदायी माना गया है:

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः।

श्रीकृष्ण गोविंद हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवा॥

यह व्रत न केवल संतान सुख प्रदान करता है, बल्कि समस्त कष्टों का निवारण कर जीवन में शांति और समृद्धि भी लाता है। व्रत के पारण के पश्चात दान अवश्य करें। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। धर्म, व्रत और त्योहारों की संपूर्ण जानकारी के लिए यहां क्लिक करें: धर्म, व्रत और त्योहारों की संपूर्ण जानकारी के लिए यहां क्लिक करें

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