Paush Putrada Ekadashi 2025: सनातन धर्म में एकादशी का दिन भगवान विष्णु को समर्पित एक अत्यंत पावन तिथि मानी जाती है। पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है, जिसका विशेष महत्व संतान प्राप्ति की कामना करने वाले दंपतियों के लिए होता है। यह व्रत न केवल पापों का नाश करता है, बल्कि अक्षय पुण्य भी प्रदान करता है। जो भक्त श्रद्धापूर्वक इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु का पूजन और व्रत करते हैं, उन्हें शीघ्र ही संतान सुख की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में वर्णित है कि इस एकादशी का व्रत करने से संतानहीन दंपतियों को योग्य एवं तेजस्वी संतान का आशीर्वाद मिलता है और उनके सभी कष्ट दूर होते हैं। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
पौष पुत्रदा एकादशी 2025: संतान सुख और पुण्य प्राप्ति का महाव्रत
पौष पुत्रदा एकादशी 2025: व्रत का महत्व और पूजन विधि
पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत मुख्य रूप से पुत्र प्राप्ति की अभिलाषा रखने वाले भक्तों द्वारा किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करने से वंश वृद्धि होती है और घर में खुशहाली आती है। इस एकादशी के पुण्य प्रभाव से जातक को सभी प्रकार के लौकिक सुखों की प्राप्ति होती है और अंत में मोक्ष मिलता है।
पौष पुत्रदा एकादशी की तिथि और शुभ मुहूर्त
वर्ष 2025 में पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत गुरुवार, 09 जनवरी 2025 को रखा जाएगा। इस पावन दिन शुभ मुहूर्त में भगवान विष्णु का पूजन अत्यंत फलदायी होता है। ज्योतिषचार्यों के अनुसार, इस दिन प्रातः काल स्नान आदि से निवृत होकर संकल्प लेना चाहिए।
पौष पुत्रदा एकादशी व्रत की पूजन विधि
पौष पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु का पूजन विशेष विधि से करना चाहिए:
- व्रत के दिन प्रातः काल उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प लें और मन में भगवान का स्मरण करें।
- भगवान विष्णु को पंचामृत से स्नान कराएं।
- पीले वस्त्र, पीले पुष्प, चंदन, अक्षत, धूप, दीप और नैवेद्य (फलों, मिठाई) अर्पित करें।
- तुलसी दल भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है, इसलिए इसे अवश्य चढ़ाएं।
- व्रत कथा का पाठ करें या सुनें।
- भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें।
- आरती करें और सभी में प्रसाद वितरित करें।
- इस दिन अन्न का त्याग करें और फलाहार ग्रहण करें।
- रात्रि में जागरण कर भगवान का भजन-कीर्तन करें।
- द्वादशी तिथि पर व्रत का पारण करें और ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान दें।
पौष पुत्रदा एकादशी व्रत कथा
प्राचीन काल में भद्रावती नामक नगर में राजा सुकेतुमान राज्य करते थे। उनकी रानी का नाम चंपा था। राजा के पास सभी सुख-सुविधाएं थीं, लेकिन उनके पास कोई संतान नहीं थी, जिससे वे अत्यंत दुखी रहते थे। एक दिन राजा और रानी ने ऋषि लोमश के आश्रम जाकर अपनी व्यथा सुनाई। ऋषि ने उन्हें पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत करने की सलाह दी। ऋषि के वचनों पर विश्वास कर राजा और रानी ने श्रद्धापूर्वक इस व्रत को किया। व्रत के प्रभाव से उन्हें एक तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति हुई, जिससे उनके राज्य में खुशहाली छा गई। यह कथा इस व्रत के महत्व को बताती है और संतानहीन दंपतियों को प्रेरणा देती है।
भगवान विष्णु का मुख्य मंत्र
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय॥
यह मंत्र भगवान विष्णु को समर्पित है और इसका जाप करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
पौष पुत्रदा एकादशी के लाभ और महत्व
पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत करने से केवल संतान प्राप्ति ही नहीं होती, बल्कि यह जीवन में सुख-समृद्धि और शांति भी लाता है। इस दिन दान-पुण्य करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है और व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं। जो लोग नियमित रूप से एकादशी का व्रत करते हैं, उन्हें आध्यात्मिक उन्नति और मानसिक शांति मिलती है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। यह व्रत मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है और भक्त को भगवान विष्णु के चरणों में स्थान दिलाता है।
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Conclusion और उपाय
पौष पुत्रदा एकादशी का यह पावन व्रत हर उस दंपत्ति के लिए एक आशा की किरण है, जो संतान सुख की कामना कर रहे हैं। इस दिन पूर्ण निष्ठा और श्रद्धा के साथ भगवान विष्णु की आराधना करने से निश्चित रूप से शुभ फल प्राप्त होते हैं। व्रत के साथ-साथ गरीबों और जरूरतमंदों को दान करना भी अत्यंत लाभकारी होता है। भगवान विष्णु आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करें और आपके जीवन को सुख-समृद्धि से भर दें।


