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1 नवम्बर, 2024
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बिहार के सिमरिया में होने वाले एशिया प्रसिद्ध कल्पवास के आयोजन की मिली अनुमति, पढ़िए देशज टाइम्स ने दो दिन पहले क्या लिखी थी खबर, जिसका आज हुआ असर,

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बेगूसराय। श्रद्धालुओं और साधु-संतों की भावना के मद्देनजर बिहार के सिमरिया गंगा घाट पर कल्पवास करने पर लगाई गई रोक हटा ली गई है।

 

अब मिथिला और मगध के संगम स्थल सिमरिया में बिहार और देश के विभिन्न राज्य सहित पड़ोसी देश नेपाल से आने वाले श्रद्धालु, साधु-संत और खालसाओं के महंत कल्पवास कर सकते हैं लेकिन मेला, भीड़-भाड़ या परिक्रमा का आयोजन किसी भी हालत में नहीं किया जाएगा। सभी लोगों को कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करना होगा, समय-समय पर कोरोना की जांच भी की जाएगी।

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डीएम अरविंद कुमार वर्मा ने शनिवार को बताया कि सिमरिया में गंगा नदी के किनारे लंबे समय से कल्पवास मेला लगते आया है। गृह विभाग से प्राप्त निर्देश के आलोक में 2020 की तरह इस वर्ष भी 17 अक्टूबर से 19 नवंबर तक

चलने वाले कल्पवास के आयोजन पर रोक लगाई गई थी लेकिन मां गंगा सिमरिया घाट सेवा समिति राजकीय कल्पवास मेला के महासचिव ने साधु-संतों द्वारा कल्पवास क्षेत्र में सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन करते हुए कल्पवास मेला का आयोजन करने के लिए बार-बार अनुरोध किया।

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इसके बाद विचारोपरान्त श्रद्धालुओं को सिमरिया घाट आने एवं अपने कल्पवास को पूरा करने की सीमित रूप में अनुमति शर्त के साथ दी गई है। कार्तिक कल्पवास में हर हाल में श्रद्धालुओं को कोविड-19 के संक्रमण से बचाना है। सभी साधु-संतों को कोरोना गाईड लाईन का पालन करना अनिवार्य होगा।

किसी प्रकार के मेला का आयोजन नहीं किया जाएगा, परिक्रमा एवं जुलूस पर रोक रहेगी, आदेश का उल्लंघन होने पर नियमानुसार कार्रवाई की जायेगी। पीएचईडी विभाग तेघड़ा के कार्यपालक अभियंता को दस अस्थायी चापाकल एवं अस्थायी रूप से 20 शौचालय का निर्माण करने तथा बीहट एवं तेघड़ा नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी को साफ-सफाई, ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव एवं पर्याप्त संख्या में चलंत शौचालय की व्यवस्था करने का निर्देश दिया गया है।

बेगूसराय नगर निगम के आयुक्त दोनों नगर कार्यपालक पदाधिकारियों से सामंजस्य स्थापित करेंगे। मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी को पर्याप्त संख्या में मेडिकल टीम, दवा आदि की व्यवस्था करने तथा समय-समय पर कोरोना की जांच कराने का आदेश दिया गया है। साधु-संत एवं खालसा समिति भीड़ नहीं लगाएंगे तथा कोविड के प्रोटोकॉल का हर हालत में पालन करेंगे। पर्णकुटीर (झोपड़ी) बनाकर रहेने वाले श्रद्धालु भी कोविड का ध्यान रखते हुए गंगा स्नान करेंगे, ताकि संक्रमण के प्रभाव से बचा जा सके। जिला प्रशासन द्वारा कल्पवास की अनुमति दिए जाने से साधु-संतों में खुशी का माहौल है तथा तमाम लोगों ने आभार जताया है।

डीएम का आदेश मिलते ही पर्ण कुटीर बनाने की तैयारी शुरू हो गई हैै। गंगा स्नान कर वापस लौट ने वाले श्रद्धालुओं के पांव थम गए हैं। उल्लेखनीय है कि मिथिला और मगध के संगम स्थल बेगूसराय जिला के सिमरिया में राजा जनक केे समय से कार्तिक महीने में कल्पवास की परंपरा चलते आ रही है। लेकिन 2019 में वैश्विक महामारी कोरोना का कहर शुरू होनेे के बाद 2019 और 2020 में कल्पवास नहीं हो सका।

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