Pradosh Vrat 2026: नए साल का पहला प्रदोष व्रत अत्यंत शुभ माना जाता है, जो भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त करने का सर्वोत्तम माध्यम है। इस पावन व्रत के प्रभाव से व्यक्ति के जीवन की अनेकों बाधाएं दूर होती हैं और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
# Pradosh Vrat 2026: नए साल में दुर्लभ संयोग, पाएं शिव कृपा
## Pradosh Vrat 2026: व्रत नियम और पूजा विधि
Pradosh Vrat 2026 इस पवित्र **त्रयोदशी तिथि** पर भगवान शिव की आराधना कर आप अपने जीवन को सकारात्मक ऊर्जा से भर सकते हैं। शास्त्रों के अनुसार, प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से भक्तों को रोग-दोष से मुक्ति मिलती है और ग्रहों के अशुभ प्रभाव भी कम होते हैं। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
**प्रदोष व्रत का महत्व:**
हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत भगवान शिव को समर्पित है और हर महीने की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। माना जाता है कि प्रदोष काल (सूर्यास्त के बाद का समय) में भगवान शिव कैलाश पर्वत पर नृत्य करते हैं, और इस दौरान उनकी पूजा करने से सभी कष्टों का निवारण होता है। सोमवार को आने वाला प्रदोष सोम प्रदोष, मंगलवार को भौम प्रदोष, और शनिवार को आने वाला प्रदोष शनि प्रदोष कहलाता है, जिनके विशिष्ट लाभ होते हैं।
**पूजा विधि:**
प्रदोष व्रत के दिन भक्त को सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करना चाहिए और स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए। इसके बाद व्रत का संकल्प लें।
* **संकल्प:** ‘मैं अमुक व्यक्ति (अपना नाम) भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने हेतु प्रदोष व्रत का पालन करूंगा।’
* **पूजा की तैयारी:** पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र करें। भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश जी, कार्तिकेय और नंदी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
* **अभिषेक:** प्रदोष काल में भगवान शिव का पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल) से अभिषेक करें।
* **अर्पण:** शिव लिंग पर बेलपत्र, धतूरा, भांग, शमी पत्र, सफेद चंदन, अक्षत और फूल अर्पित करें।
* **भोग:** भगवान शिव को नैवेद्य के रूप में मिठाई या फल चढ़ाएं।
* **मंत्र जाप:** इस दौरान भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें।
> ॐ नमः शिवाय।
> महामृत्युंजय मंत्र: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
* **आरती:** अंत में धूप, दीप जलाकर शिव चालीसा का पाठ करें और भगवान शिव की आरती करें।
* **व्रत का पारण:** अगले दिन सूर्योदय के बाद स्नान कर और पूजा करके ही व्रत का पारण करें।
**शुभ मुहूर्त (सामान्य जानकारी):**
चूंकि प्रदोष व्रत प्रत्येक माह की त्रयोदशी तिथि को आता है, और इसका समय सूर्यास्त पर निर्भर करता है, इसलिए 2026 के लिए विशिष्ट तिथियां और मुहूर्त उस वर्ष के पंचांग के अनुसार ही सटीक होंगे। सामान्यतः प्रदोष काल सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पहले शुरू होकर सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक रहता है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
| विवरण | सामान्य समय अवधि |
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| प्रदोष काल | सूर्यास्त के 45 मिनट पूर्व से 45 मिनट पश्चात् तक |
| पूजा का समय | प्रदोष काल के भीतर |
**शनि-राहु-केतु दोष के उपाय:**
यदि आपकी कुंडली में शनि, राहु या केतु से संबंधित कोई दोष है, तो प्रदोष व्रत के दिन कुछ विशेष उपाय करने से इन ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सकता है:
* **शनि दोष के लिए:** शनि प्रदोष (शनिवार को पड़ने वाला प्रदोष) के दिन भगवान शिव को काले तिल मिलाकर जल चढ़ाएं। ‘ॐ शं शनैश्चराय नमः’ मंत्र का 108 बार जाप करें।
* **राहु-केतु दोष के लिए:** प्रदोष व्रत के दिन शिवलिंग पर दही और काले तिल अर्पित करें। सर्प या नाग-नागिन के जोड़े की चांदी की प्रतिमा शिवलिंग पर चढ़ाएं। ‘ॐ राहवे नमः’ और ‘ॐ केतवे नमः’ का जाप करें।
* **सामान्य उपाय:** प्रदोष व्रत के दिन गरीब और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र या धन का दान करें। शिव चालीसा का पाठ और महामृत्युंजय मंत्र का जाप विशेष लाभकारी होता है।
**निष्कर्ष:**
प्रदोष व्रत भगवान शिव की अराधना का एक शक्तिशाली माध्यम है। नए साल 2026 में आने वाला यह पावन व्रत आपके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लेकर आए। इस व्रत को सच्ची श्रद्धा और नियमों के साथ करने से भगवान शिव आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं और सभी प्रकार के कष्टों का निवारण करते हैं।
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