प्रेमानंद जी महाराज: वैवाहिक जीवन सुख-दुख का संगम होता है। जहां एक ओर प्रेम और सामंजस्य होता है, वहीं कभी-कभी अनबन और तकरार भी देखने को मिलती है। ऐसे में कई बार पति-पत्नी के मन में एक-दूसरे से अलग होने यानी तलाक का विचार आ सकता है। इस संबंध में प्रेमानंद जी महाराज ने एक महत्वपूर्ण दृष्टिकोण साझा किया है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि हर छोटी-मोटी बात पर तलाक का निर्णय लेना उचित नहीं है। हालांकि, उन्होंने कुछ ऐसी गंभीर परिस्थितियों का भी उल्लेख किया है, जिनमें अलगाव का कदम उठाया जा सकता है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, विवाह का बंधन अत्यंत पवित्र होता है और इसे सामान्य कारणों से नहीं तोड़ना चाहिए। उनका कहना है कि जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं, और एक-दूसरे का साथ निभाना ही सच्चा प्रेम है। लेकिन, जब रिश्ता विषैला हो जाए और उसमें सुधार की कोई गुंजाइश न बचे, तब अलगाव के बारे में सोचना चाहिए। उन्होंने कुछ ऐसी विशेष स्थितियाँ बताई हैं, जहाँ पति-पत्नी को अलग हो जाना चाहिए। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
वे कहते हैं कि यदि एक साथी दूसरे साथी के प्रति अत्यधिक अपमानजनक व्यवहार करता है, लगातार मानसिक या शारीरिक पीड़ा देता है, या रिश्ते में किसी भी प्रकार की हिंसा शामिल है, तो ऐसी स्थिति में अलगाव एक बेहतर विकल्प हो सकता है। इसके अतिरिक्त, यदि एक साथी व्यभिचार, नशे की लत, या अन्य गंभीर नैतिक पतन में लिप्त है, जिससे रिश्ते की पवित्रता भंग होती है और दूसरे साथी का जीवन दूभर हो जाता है, तो ऐसे रिश्ते से बाहर निकलना ही श्रेयस्कर है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
महाराज जी ने यह भी स्पष्ट किया कि तलाक का निर्णय अत्यंत सोच-समझकर और अंतिम उपाय के रूप में ही लेना चाहिए। जब सभी प्रयास विफल हो जाएं और रिश्ते में रहकर जीना असंभव लगे, तभी इस बड़े कदम पर विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने सभी दंपतियों को धैर्य, समझदारी और प्रेम से अपने रिश्ते को संभालने की प्रेरणा दी।
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