Sakat Chauth 2026: माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सकट चौथ का पावन व्रत रखा जाता है। यह व्रत संतान की लंबी उम्र, उनके सुखी जीवन और समस्त संकटों से रक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है।
Sakat Chauth 2026: संतान की दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए सकट चौथ का महात्म्य
Sakat Chauth 2026 पर पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
माघ कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी या सकट चौथ के नाम से जाना जाता है। इस दिन माताएं अपनी संतान की कुशलता और दीर्घायु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और भगवान गणेश तथा चंद्रमा की विशेष पूजा-अर्चना करती हैं। यह व्रत माताओं के हृदय में संतान के प्रति असीम प्रेम और कल्याण की भावना को दर्शाता है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। इस दिन भगवान गणेश की पूजा का विशेष विधान है, जिसे गणेश पूजा के नाम से भी जाना जाता है। जो माताएं यह व्रत रखती हैं, उनके बच्चे सदैव निरोगी रहते हैं और जीवन में आने वाले सभी विघ्नों से उनकी रक्षा होती है। धर्म, व्रत और त्योहारों की संपूर्ण जानकारी के लिए यहां क्लिक करें।
संकट चौथ 2026: शुभ मुहूर्त
| विवरण | तिथि | समय |
| सकट चौथ व्रत | 14 जनवरी 2026 | बुधवार |
| चतुर्थी तिथि प्रारंभ | 13 जनवरी 2026 | रात्रि 09:10 बजे |
| चतुर्थी तिथि समाप्त | 14 जनवरी 2026 | सायं 07:14 बजे |
| चंद्रोदय समय | 14 जनवरी 2026 | रात्रि लगभग 09:15 बजे |
सकट चौथ पूजा विधि
- प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
- पूजा स्थल पर भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें।
- एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश, माता पार्वती और चंद्रमा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- गणेश जी को दूर्वा, मोदक, लड्डू, फल, फूल, रोली, अक्षत, धूप, दीप आदि अर्पित करें।
- तिल के लड्डू और गन्ना विशेष रूप से चढ़ाएं।
- शाम को चंद्रोदय से पहले फिर से पूजा करें। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
- चंद्रमा निकलने पर अर्घ्य दें और अपनी संतान की लंबी आयु तथा सुख-समृद्धि की कामना करें।
- इसके बाद तिल के लड्डू, गुड़, शकरकंद और फलों का भोग लगाएं।
- कथा सुनें या पढ़ें और अंत में आरती करें।
- चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण करें।
संकट चौथ व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार माता पार्वती स्नान करने गईं और उन्होंने अपने पुत्र गणेश को गुफा के द्वार पर खड़ा कर दिया ताकि कोई अंदर न आ सके। भगवान शिव जब वहां पहुंचे तो गणेश जी ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। इस पर क्रोधित होकर शिव जी ने गणेश जी का सिर धड़ से अलग कर दिया। माता पार्वती को जब यह बात पता चली तो वह अत्यंत दुखी हुईं। शिव जी ने माता पार्वती के दुख को देखकर एक हाथी का सिर गणेश जी के धड़ से जोड़कर उन्हें पुनः जीवित कर दिया। तभी से इस दिन को सकट चौथ के रूप में मनाया जाने लगा और भगवान गणेश को प्रथम पूज्य माना गया। एक अन्य कथा के अनुसार, महाराजा हरिश्चंद्र के राज्य में एक कुम्हार था। उसने एक बार गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए सकट चौथ का व्रत रखा। गणेश जी के आशीर्वाद से उसके सभी संकट दूर हो गए और उसके जीवन में सुख-समृद्धि आ गई। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
सकट चौथ पर इन मंत्रों का करें जाप
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
ॐ गं गणपतये नमः॥
सकट चौथ व्रत के नियम और उपाय
सकट चौथ का यह पावन व्रत न केवल संतान के जीवन से संकटों को दूर करता है, बल्कि उन्हें आरोग्य और दीर्घायु का वरदान भी देता है। इस दिन सच्चे मन से की गई गणेश पूजा और चंद्रदेव को दिया गया अर्घ्य सभी मनोकामनाएं पूर्ण करता है। व्रत के नियमों का पालन करते हुए इस दिन तिल, गुड़ और गन्ने का सेवन करना शुभ माना जाता है। इस दिन दान-पुण्य करने से भी विशेष लाभ प्राप्त होता है।






