Saphala Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष स्थान है, जो भगवान विष्णु को समर्पित है। हर माह में दो एकादशियां आती हैं और पौष मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को सफला एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस पावन व्रत का फल अमोघ होता है और यह भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करता है।
सफला एकादशी 2025: जानें सही तिथि, महत्व और पूजन विधि
Saphala Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष स्थान है, जो भगवान विष्णु को समर्पित है। हर माह में दो एकादशियां आती हैं और पौष मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को सफला एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस पावन व्रत का फल अमोघ होता है और यह भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करता है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। सफला एकादशी का व्रत अत्यंत पुण्यदायी माना गया है, जिसके माहात्म्य का वर्णन स्वयं भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर को सुनाया था। यह व्रत करने से व्यक्ति को सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
सफला एकादशी 2025: क्या है व्रत की सही तिथि?
कई बार एकादशी की तिथि को लेकर भक्तों के मन में भ्रम उत्पन्न हो जाता है। वर्ष 2025 में भी यह प्रश्न उठ रहा है कि सफला एकादशी का व्रत 14 दिसंबर को रखा जाएगा या 15 दिसंबर को। पंचांग और उदया तिथि के नियमों के अनुसार, जब एकादशी तिथि सूर्योदय के समय व्याप्त होती है, तो उसी दिन व्रत का संकल्प लेना शास्त्र सम्मत माना जाता है। इस आधार पर, वर्ष 2025 में सफला एकादशी का व्रत रविवार, 14 दिसंबर को ही रखा जाएगा। 15 दिसंबर को एकादशी तिथि सूर्योदय से पूर्व ही समाप्त हो जाएगी, इसलिए 14 दिसंबर को ही व्रत करना उचित रहेगा। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। धर्म, व्रत और त्योहारों की संपूर्ण जानकारी के लिए यहां क्लिक करें
सफला एकादशी व्रत की पूजन विधि
- एकादशी के दिन प्रातः काल उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- हाथ में जल और अक्षत लेकर व्रत का संकल्प लें।
- भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें और गंगाजल से पवित्र करें।
- भगवान को धूप, दीप, चंदन, अक्षत, पुष्प, तुलसी दल और फल अर्पित करें।
- विष्णु सहस्रनाम या अन्य विष्णु स्तोत्र का पाठ करें।
- शाम के समय पुनः भगवान विष्णु की आरती करें और फलाहार ग्रहण करें।
- अगले दिन (द्वादशी) पारण के शुभ मुहूर्त में व्रत का पारण करें।
सफला एकादशी 2025 शुभ मुहूर्त
| विवरण | तिथि एवं समय |
|---|---|
| सफला एकादशी व्रत | रविवार, 14 दिसंबर 2025 |
| एकादशी तिथि प्रारंभ | 14 दिसंबर 2025, प्रातः 05:43 बजे |
| एकादशी तिथि समाप्त | 15 दिसंबर 2025, प्रातः 07:11 बजे |
| पारण का समय | 15 दिसंबर 2025, प्रातः 07:11 से प्रातः 09:14 बजे |
सफला एकादशी का पौराणिक महत्व
सफला एकादशी का संबंध भगवान विष्णु के साथ ही लक्ष्मी जी से भी है। इस दिन भगवान श्रीहरि की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि और शांति आती है। ऐसी मान्यता है कि लंकापति रावण के भाई विभीषण ने भी इस व्रत का पालन किया था और उन्हें भगवान राम के चरणों में स्थान प्राप्त हुआ था। इसके अतिरिक्त, प्राचीन समय में महिष्मती नामक एक राजा थे, जिनके पुत्र लुम्पक ने सभी कुकर्मों का त्याग कर सफला एकादशी का व्रत रखा और अंततः उन्हें अपना राज्य वापस मिल गया। इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है और उसे अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है।
मंत्र जाप
इस पावन अवसर पर भगवान विष्णु के इन मंत्रों का जाप करना अत्यंत फलदायी होता है:
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय॥
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
निष्कर्ष एवं उपाय
सफला एकादशी का व्रत मन, वचन और कर्म की शुद्धि का प्रतीक है। जो भक्त पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ इस व्रत को करते हैं, उन्हें भगवान विष्णु की असीम कृपा प्राप्त होती है। यह व्रत न केवल भौतिक सुख प्रदान करता है, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग भी प्रशस्त करता है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। इस दिन अन्न का सेवन वर्जित होता है, इसलिए फलाहार ही ग्रहण करें और सात्विक जीवन बिताएं।
उपाय: सफला एकादशी के दिन भगवान विष्णु को पीले फूल और पीली मिठाई अर्पित करें। गाय को हरा चारा खिलाएं और गरीबों को दान दें। इससे भगवान श्रीहरि प्रसन्न होते हैं और भक्तों के सभी संकट दूर करते हैं।


