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1 नवम्बर, 2024
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203 साल पुराना है भवानीपुर काली मंदिर का इतिहास, मुरादें पूरी होने पर लोग चढ़ाते हैं सोने के आभूषण, 4 की रात स्थापित होगी प्रतिमा, जानिए

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भागलपुर। पुलिस जिला नवगछिया के रंगरा प्रखंड अंतर्गत भवानीपुर काली मंदिर का इतिहास करीब 203 वर्ष पुराना है। ग्रामीण बताते हैं कि यहाँ सच्चे मन से जो कामना करते हैं, उनकी कामना अवश्य पूरी होती है। कामना मंदिर होने के कारण यहां दूर-दूर से श्रद्धालु पूजा करने आते हैं। गांव के बुजुर्गों के अनुसार सोनरा बहियार में कुछ बच्चों ने खेल-खेल में मिट्टी से मां काली की प्रतिमा बनाई। इसके बाद बच्चों ने किसी का पाठा पकड़ कर लाया और काली माता का जयकारा लगाते हुए उस पाठा के गर्दन पर कुश चला दिया। देखते ही देखते उस पाठा की गर्दन कट गई।

 

यह देख बच्चे घबराकर भागते हुए अपने घर पहुंचे, वहां घरवालों को घटना से अवगत कराया। तब बुजुर्गों के कहने पर बच्चों ने मां काली की प्रतिमा को गंगा जल में विसर्जित कर दिया। उसी रात को बालमुकुंद पोद्दार के पिता को मां काली ने स्वप्न में दर्शन दिया और कहा कि मेरी प्रतिमा गंगा जल से निकालकर मंदिर में स्थापित कर मुझे पाठा का बलि चढ़ाओ।

तब बालमुकुंद पोद्दार ने ग्रामीणों की मदद से गंगा से मां काली की प्रतिमा निकालकर भवानीपुर में स्थापित किया। तब से बालमुकुंद परिवार के वंशज द्वारा मूर्ति पूजा प्रारंभ हुई। जब वे लोग पूजा की पूरी व्यवस्था करने में विफल होने लगे तो ग्रामीणों द्वारा सार्वजनिक मंदिर का निर्माण कराकर माता को स्थापित किया गया।

प्रतिमा स्थापित होने के बाद आज भी बालमुकुंद पोद्दार के वंशज भूसी पोद्दार के घर से मां काली के प्रतिमा को नैन व प्रथम बलि देने की प्रथा चली आ रही है। श्रद्धालुओं की मुरादे पूरी होने पर ग्रामीणों एवं बाहर से आए श्रद्धालुओं द्वारा हजारों पाठा की बलि और लगभग पांच से सात भैंसे की भी बलि दी जाती है।

मान्यता है कि जो भी सच्चे मन से मां काली का सुमिरन कर मुराद मांगते हैं। माता उनकी मुरादे अवश्य पूरी करती हैं। श्रद्धालुओं की मुरादे पूरी होने पर सोने और चांदी की बिंदी, पाठा, झांप, नथ-टिका, मुंडमाला, पायल सहित कई प्रकार के आभूषण आदि का चढ़ावा चढ़ाते हैं। 4 नवंबर की मध्य रात्रि मां काली की प्रतिमा स्थापित होगी।

एक दिवसीय मेले का आयोजन 5 नवंबर को दिनभर होगा। संध्या 5 बजे प्रकांड विद्वानों द्वारा महाआरती का भी आयोजन होगा। वहीं शाम 7 बजे कालीघाट में प्रतिमा का विसर्जन होगा। दंगल कमेटी की ओर से 5 एवं 6 नवंबर को दोपहर के 1 बजे से दूरदराज से आए पहलवान दंगल प्रतियोगिता में अपने बाजुओं की आजमाइश करते नजर आएंगे।

पूजा समिति के सदस्यों में से मंदिर व्यवस्था प्रशांत कुमार और पिंटू यादव अध्यक्ष राम पोद्दार पंडित प्रभात झा मंदिर के पुजारी अमित झा मंदिर संरक्षक हरि किशोर झा, रविंद्र कुमार रवि, उपेंद्र यादव, कैलाश यादव एवं गोविंद यादव को बनाया गया। वहीं पूजा कमेटी में कैलाश यादव, गोविंद यादव, भूपेंद्र पोद्दार, त्रिपुरारी कुमार भारती, सुबाली यादव, नागो यादव, मदन राम, बाबू लाल हरिजन, कैलाश पोद्दार, सजन कुमार पोद्दार, तपेश झा, विश्वास झा, सुनील कुमार निराला, गणेश शर्मा, धनबहादुर साह, रवि साह एवं देवेंद्र साह मेले के आयोजन में सहयोग करते नजर आए।

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