नवगछिया देशज टाइम्स ब्यूरो। तीन पीढ़ियों से एक मुस्लिम परिवार मंदिरों में जाकर सुबह-शाम शहनाई बजाकर कर रहे गंगा जमुनी संस्कृति की मिसाल कायम। वर्तमान पीढ़ी के 2017 में उस्ताद इलिल्ला खान के मृत्यु के बाद उनके भाई नजाकत अली काजिम हुसैन, जहांगीर हुसैन उनके बड़े बेटे राशिद हुसैन, उनके बहनोई साजिद हुसैन, बड़े भाई जाहिर हुसैन और भतीजा आजम हुसैन ने इस परंपरा को अभी भी बरकरार रखा है।
आस्था के आगे दो धर्म की ऐसी दीवार टूटी की मानो यह गंगा जमुनी तहजीब का जीता जागता मिसाल बन गया, भागलपुर में हिंदू धर्मावलंबियों के साथ-साथ एक मुस्लिम परिवार ऐसा है जो तीन पीढ़ियों से बूढ़ानाथ मंदिर प्रांगण में मां दुर्गा की प्रतिमा के पास मां जगत जननी को खुश करने के लिए शहनाई वादन करते चले आ रहे हैं।
बताया जा रहा है कि माता रानी ने 100 वर्ष पहले इस मुस्लिम परिवार की झोली भरी थी। तब से इस मुस्लिम परिवार को ऐसी आस्था जगी की दो धर्म की दीवार मानो टूट गई, यह मुस्लिम परिवार नवरात्रि में सुबह शाम भागलपुर के बुढ़ानाथ मंदिर में कई पीढ़ियों से शहनाई वादन करते हैं।
अपने इस पुरखों की परंपरा को उस्ताद इलिल्ला खान के परिवार ने अभी तक संजोए हुए हैं। माता रानी के प्रति इन परिवारों की अपार आस्था है। शहनाई की धुन से ही साधक और आसपास के लोग जागते हैं मानों शहनाई की आवाज से सवेरा हो रहा हो।
उस्ताद इलिल्ला खान शहनाई वादन में महारत हासिल कलाकार थे। उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार भी प्राप्त था आकाशवाणी दूरदर्शन के भी वह अच्छे शहनाई वादक थे उन्होंने मां की आराधना में शहनाई वादन कर परंपरा को आगे बढ़ाया और तीन पीढियां के लोग 40 वर्षों से इस परंपरा को जोगे हुए हैं।
2017 में उस्ताद इलिल्ला खान के मृत्यु के बाद उसके भाई नजाकत अली काजिम हुसैन जहांगीर हुसैन उनके बड़े बेटे राशिद हुसैन उनके बहनोई साजिद हुसैन बड़े भाई जाहिर हुसैन और भतीजा आजम हुसैन ने इस परंपरा को अभी भी बरकरार रखा है। शहनाई वादन के समय राग भैरव राग भैरवी राग दुर्गा राग बागेश्वरी राग दरबारी जैसे कई रागों से पूरा मंदिर परिसर और आसपास के इलाके मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।