नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में 12 वार्डों के लिए हुए उपचुनाव में रविवार को मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। सुबह 7:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक चला मतदान शांतिपूर्ण रहा। किसी भी अप्रिय घटना या ईवीएम में तकनीकी खराबी की कोई खबर नहीं आई। अब 26 महिलाओं समेत कुल 51 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला होना है, जिसके नतीजे 3 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे। पूरे शहर की निगाहें इन नतीजों पर टिकी हैं।
उपचुनाव के माहौल के बीच, दिल्ली नगर निगम (MCD) के पार्षदों के वेतन, भत्ते और सुविधाओं को लेकर भी चर्चाएं गर्म हैं। सूत्रों के अनुसार, एक निगम पार्षद को सालाना लगभग 4.9 लाख रुपये का पैकेज मिलता है, जिसका मतलब है कि उन्हें हर महीने करीब 41,000 रुपये का वेतन प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त, पार्षदों को विभिन्न प्रकार के भत्ते भी मिलते हैं, जिनमें बैठक भत्ता, यात्रा सुविधाएं और कार्यालय के संचालन के लिए खर्च शामिल हैं।
वार्ड विकास के लिए करोड़ों की निधि
पार्षदों को मिलने वाली सुविधाओं में सबसे खास बात यह है कि उन्हें अपने-अपने वार्डों के विकास कार्यों के लिए 1 करोड़ रुपये तक की निधि मिलती है। इस फंड का उपयोग सड़कों की मरम्मत, सीवर और नालियों की व्यवस्था, पार्कों का रखरखाव और अन्य स्थानीय विकास परियोजनाओं के लिए किया जाता है। हालांकि, यह भी देखा गया है कि कई बार पार्षद इस फंड का पूरा उपयोग समय पर नहीं कर पाते, क्योंकि यह निधि किसी प्रोजेक्ट की शुरुआत होने पर ही जारी की जाती है।
पार्षद बनने के लिए क्या हैं नियम?
किसी भी व्यक्ति के लिए एमसीडी पार्षद बनने की योग्यता रखने हेतु कुछ महत्वपूर्ण नियम हैं। उम्मीदवार का नाम उस वार्ड की मतदाता सूची में दर्ज होना अनिवार्य है, जहां से वह चुनाव लड़ना चाहता है। आयु कम से कम 21 वर्ष होनी चाहिए और शैक्षणिक योग्यता न्यूनतम 10वीं पास होना आवश्यक है। इसके साथ ही, उम्मीदवार को दिल्ली का एक वैध मतदाता होना चाहिए। एमसीडी पार्षद का पद काफी जिम्मेदारी भरा होता है, क्योंकि उन्हें अपने वार्ड में सफाई व्यवस्था, सड़क, नाली, पार्क और सार्वजनिक संपत्तियों के रखरखाव जैसे कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर लगातार नजर रखनी होती है।








