IAS Officer: भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) की वरिष्ठ अधिकारी सुप्रिया साहू ने एक बार फिर देश का नाम रोशन किया है। उन्हें संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) द्वारा साल 2025 का प्रतिष्ठित ‘चैंपियंस ऑफ द अर्थ’ पुरस्कार प्रदान किया गया है। यह सम्मान पर्यावरण के क्षेत्र में उनके असाधारण योगदान का प्रमाण है और छात्रों व युवा अधिकारियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
IAS Officer सुप्रिया साहू को मिला संयुक्त राष्ट्र का सबसे बड़ा पर्यावरण पुरस्कार, जानें उनकी उपलब्धियां
IAS Officer सुप्रिया साहू: पर्यावरण संरक्षण की एक मिसाल
सीनियर IAS अधिकारी सुप्रिया साहू इन दिनों न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व में चर्चा का विषय बनी हुई हैं। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) ने उन्हें साल 2025 के लिए अत्यंत प्रतिष्ठित ‘चैंपियंस ऑफ द अर्थ’ पुरस्कार से सम्मानित किया है। यह सम्मान उन्हें ‘प्रेरणा और कार्य’ श्रेणी में दिया गया है, जिसे संयुक्त राष्ट्र का सर्वोच्च पर्यावरणीय पुरस्कार माना जाता है। इस बड़ी उपलब्धि के साथ, सुप्रिया साहू ने एक बार फिर वैश्विक मंच पर भारत की पहचान को और मजबूत किया है।
वर्तमान में, सुप्रिया साहू तमिलनाडु सरकार में अपर मुख्य सचिव के पद पर कार्यरत हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी के रूप में, उन्हें प्रति माह लगभग 2,05,400 रुपये का वेतन मिलता है। वेतन के अतिरिक्त, उन्हें सरकारी आवास, वाहन, सुरक्षा और अन्य आवश्यक सुविधाएँ भी प्रदान की जाती हैं। हालाँकि, सुप्रिया साहू को उनकी सैलरी से कहीं अधिक उनके अनुकरणीय कार्य और समाज के प्रति उनके योगदान के लिए जाना जाता है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
सुप्रिया साहू 1991 बैच की तमिलनाडु कैडर की भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी हैं। अपने शानदार करियर में, उन्होंने तीन दशक से अधिक समय तक प्रशासन, स्वास्थ्य और पर्यावरण जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अपनी सेवाएँ दी हैं। उनका करियर केवल फाइलों और दफ्तरों तक ही सीमित नहीं रहा है, बल्कि उन्होंने जमीनी स्तर पर जाकर वास्तविक बदलाव लाने के लिए अथक प्रयास किए हैं।
UNEP ने सुप्रिया साहू को यह विशिष्ट पुरस्कार तमिलनाडु में पर्यावरणीय सुधारों को बढ़ावा देने, जलवायु परिवर्तन से निपटने और प्रदूषण-मुक्त कूलिंग तकनीकों को प्रोत्साहित करने के उनके प्रयासों के लिए दिया है। उनके कुशल नेतृत्व में, राज्य ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। यही कारण है कि उन्हें आज दुनिया के सामने भारत की एक मजबूत पर्यावरणीय आवाज के रूप में देखा जा रहा है।
अपने करियर के शुरुआती दिनों में, सुप्रिया साहू नीलगिरि जिले की कलेक्टर रहीं। इसी दौरान, उन्होंने ‘ऑपरेशन ब्लू माउंटेन’ नामक एक महत्वाकांक्षी अभियान चलाया। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य नीलगिरि क्षेत्र को सिंगल-यूज प्लास्टिक से पूरी तरह मुक्त करना था। यह पहल इतनी सफल रही कि इसने स्थानीय लोगों की सोच और उनकी दैनिक आदतों में उल्लेखनीय बदलाव लाया।
‘ऑपरेशन ब्लू माउंटेन’ के दौरान, एक ही दिन में रिकॉर्ड संख्या में पेड़ लगाए गए, जिसके परिणामस्वरूप उनका नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ। यह असाधारण उपलब्धि उनके जमीनी स्तर पर किए गए प्रयासों और उनकी मजबूत नेतृत्व क्षमता का एक स्पष्ट उदाहरण है। आपको यह जानकारी मिल रही है देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
सुप्रिया साहू का जन्म 27 जुलाई 1968 को हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा और ग्रेजुएशन के बाद, उन्होंने उत्तर प्रदेश में लखनऊ विश्वविद्यालय से वनस्पति विज्ञान में एमएससी की पढ़ाई पूरी की। अपनी पढ़ाई के दौरान ही, उन्हें पर्यावरण और प्रकृति से गहरा जुड़ाव महसूस होने लगा था, जिसने उनके भावी करियर की दिशा तय की।
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मुख्य उपलब्धियां और भविष्य की दिशा
सुप्रिया साहू ने वर्ष 1989 में प्रतिष्ठित यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में सफलता हासिल की। अपनी ट्रेनिंग पूरी करने के बाद, वह 1991 बैच की IAS अधिकारी बनीं और उन्हें तमिलनाडु कैडर आवंटित किया गया। इसके बाद उन्होंने विभिन्न जिलों और विभागों में काम करते हुए अपनी एक अलग पहचान बनाई।
पर्यावरण को लेकर सुप्रिया साहू की एक और सराहनीय पहल ‘मीनदुम मंजप्पई’ रही, जिसका शाब्दिक अर्थ है “फिर से पीला थैला”। इस अभियान के माध्यम से, उन्होंने प्लास्टिक के थैलों के स्थान पर कपड़े के थैलों के उपयोग को बढ़ावा दिया। यह अभियान इतना सफल और लोकप्रिय हुआ कि आम जनता भी इससे स्वेच्छा से जुड़ने लगी और इसे अपनी आदत में शामिल कर लिया। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
वर्तमान में, सुप्रिया साहू तमिलनाडु सरकार के पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और वन विभाग में अपर मुख्य सचिव के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। इससे पहले, वह केंद्र सरकार की प्रतिनियुक्ति पर दूरदर्शन की महानिदेशक भी रह चुकी हैं। इसके अतिरिक्त, उन्होंने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग में भी कई अहम जिम्मेदारियाँ संभाली हैं।
उनके नेतृत्व में तमिलनाडु में 100 मिलियन से अधिक पेड़ लगाने, 65 नए आरक्षित वन बनाने और मैंग्रोव क्षेत्र को दोगुना करने की दिशा में तेजी से काम किया गया है। उनका दृढ़ विश्वास है कि जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक चुनौती से निपटने के लिए सरकार और समाज दोनों को मिलकर प्रभावी कदम उठाने होंगे।


