UGC Fee Refund: छात्रों को फीस वापसी की चिंता अब खत्म होने वाली है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की सख्ती के बाद कॉलेजों और यूनिवर्सिटी को छात्रों की फीस लौटानी पड़ रही है, जिससे पिछले पांच वर्षों में करोड़ों रुपये वापस मिल चुके हैं। जो संस्थान पहले फीस लौटाने में आनाकानी करते थे, अब उन पर यूजीसी के निर्देशों का असर साफ दिख रहा है।
UGC Fee Refund: छात्रों को मिली बड़ी राहत, 37 करोड़ रुपये से अधिक की हुई वापसी
पिछले पांच वर्षों में छात्रों को कुल 37.25 करोड़ रुपये से अधिक की फीस वापस दिलाई जा चुकी है। यह एक बड़ी उपलब्धि है, खासकर उन छात्रों के लिए जो एडमिशन कैंसिल होने के बाद अपनी जमा की हुई फीस को लेकर परेशान रहते थे। इसमें सबसे ज्यादा रकम निजी और डीम्ड विश्वविद्यालयों से वापस कराई गई है। शैक्षणिक सत्र 2022-23 से लेकर 2024-25 तक फीस वापसी को लेकर सबसे ज्यादा शिकायतें दर्ज की गईं थीं। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
UGC Fee Refund के नियम क्या कहते हैं?
यूजीसी ने फीस रिफंड को लेकर स्पष्ट और सरल फीस वापसी नियम बनाए हैं। इन नियमों के अनुसार, यदि कोई छात्र किसी शैक्षणिक सत्र में 30 सितंबर तक अपना एडमिशन रद्द करता है, तो उसे पूरी फीस वापस मिलनी चाहिए। वहीं, अगर छात्र 31 अक्टूबर तक अपना नाम वापस लेता है, तो विश्वविद्यालय केवल अधिकतम 1000 रुपये प्रोसेसिंग फीस के तौर पर काट सकता है। इसके अलावा, शेष पूरी रकम छात्र को लौटाना अनिवार्य है।
फीस रिफंड को लेकर बड़ी कार्रवाई हुई है, जिसके परिणामस्वरूप एक विश्वविद्यालय से दूसरे संस्थान में जाने वाले छात्रों की शिकायतों का तेजी से निपटारा किया जा रहा है। हालांकि, अभी भी यूजीसी के पास कुछ ऐसे मामले लंबित हैं, जिनमें फीस वापस नहीं की गई है या छात्रों के मूल दस्तावेज रोक लिए गए हैं। यूजीसी ने यह साफ किया है कि हर शिकायत की गहन जांच के बाद संबंधित विश्वविद्यालय या कॉलेज को सख्त निर्देश दिए जा रहे हैं। अब तक 37 करोड़ रुपये से अधिक की फीस छात्रों को वापस दिलवाई जा चुकी है। इसके साथ ही, पुराने मामलों से जुड़े लगभग 13.99 करोड़ रुपये और भी जल्द छात्रों को वापस मिलने की उम्मीद है।
शिकायतों में आई गिरावट, नियमों का पालन शुरू
सालाना आंकड़ों पर गौर करें तो शुरुआत में वापस की गई रकम कम थी, लेकिन जैसे-जैसे शिकायतें बढ़ीं और यूजीसी ने अपनी सख्ती बढ़ाई, वैसे-वैसे रिफंड की रकम भी बढ़ती गई।
- साल 2020-21: कुछ लाख रुपये वापस हुए।
- साल 2022-23: यह आंकड़ा 10 करोड़ रुपये के पार पहुंच गया।
- साल 2023-24: छात्रों को 13 करोड़ रुपये से अधिक की फीस वापस मिली।
यह स्पष्ट संकेत है कि यूजीसी की कार्रवाई का असर लगातार दिख रहा है और संस्थान अब नियमों का पालन करने लगे हैं। लेटेस्ट एजुकेशन और जॉब अपडेट्स के लिए यहां क्लिक करें
फीस रिफंड से जुड़ी शिकायतों की संख्या भी महत्वपूर्ण जानकारी देती है। साल 2022 में लगभग 1380 शिकायतें दर्ज की गईं। इसके अगले साल 2023 में यह संख्या बढ़कर 3289 हो गई, जो अब तक का सबसे अधिक आंकड़ा है। 2024-25 में भी 2860 शिकायतें सामने आईं। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। लेकिन राहत की बात यह है कि यूजीसी की सख्ती और सक्रियता के कारण अब हालात सुधर रहे हैं। मौजूदा शैक्षणिक सत्र में दिसंबर 2025 तक केवल 819 शिकायतें दर्ज की गई हैं। पिछले पांच वर्षों में कुल 8625 शिकायतें प्राप्त हुई हैं, जिनमें से 5676 मामलों का सफलतापूर्वक निपटारा किया जा चुका है। शेष लगभग 2423 मामले अभी लंबित हैं, जिन्हें जल्द से जल्द सुलझाने की तैयारी चल रही है।
छात्रों के हित में यूजीसी की पहल
यूजीसी के अधिकारियों ने बताया कि हर शिकायत पर गंभीरता से नजर रखी जा रही है। छात्रों की समस्या सुनने के बाद संबंधित संस्थान को निश्चित समय सीमा में जवाब देना होता है। कई बार काउंसलिंग प्रक्रिया लंबी चलती है और छात्र को बाद में अपनी पसंद का बेहतर संस्थान मिल जाता है। इसी स्थिति को ध्यान में रखते हुए यूजीसी ने यह फीस वापसी की नीति लागू की है, ताकि छात्र बिना किसी आर्थिक नुकसान के अपने लिए सर्वश्रेष्ठ विकल्प चुन सकें। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
यूजीसी के नियमों के अनुसार, यदि छात्र तय तारीखों के भीतर एडमिशन कैंसिल करता है, तो उससे अधिकतम 1000 रुपये तक ही काटे जा सकते हैं। वहीं, जिन संस्थानों में एडमिशन प्रक्रिया 31 अक्टूबर के बाद भी जारी रहती है, वहां छात्रों को और भी राहत दी गई है। ऐसे मामलों में समय रहते आवेदन करने पर पूरी फीस वापस करनी होगी, और कुछ विशेष स्थितियों में केवल 100 रुपये तक की ही कटौती की अनुमति है।




