UP Education News: अगर अब उत्तर प्रदेश के स्कूलों की सुबह की प्रार्थना सभा में बच्चे किताबों की जगह अखबार पढ़ते और उसमें छपी खबरें सुनाते नजर आएं, तो आपको हैरान होने की जरूरत नहीं है। यह बदलाव किसी संयोग का नतीजा नहीं, बल्कि यूपी शासन की एक नई और बेहद महत्वपूर्ण पहल का हिस्सा है, जिसका मूल उद्देश्य मोबाइल और डिजिटल स्क्रीन में उलझते बच्चों को फिर से पढ़ाई, गहन सोच और सामाजिक जागरूकता से सक्रिय रूप से जोड़ना है।
उत्तर प्रदेश के स्कूलों में अब अनिवार्य होगा अखबार पढ़ना: एक नई UP Education News
UP Education News: बच्चों में पढ़ने की आदत बढ़ाने की पहल
माध्यमिक एवं बेसिक शिक्षा विभाग ने छात्रों में पढ़ने की आदत को बढ़ावा देने और उनके सामान्य ज्ञान को मजबूत करने के लिए स्कूलों में अखबार को रोजमर्रा की पढ़ाई का अभिन्न हिस्सा बनाने का निर्णय लिया है। इस संबंध में विभाग के अपर मुख्य सचिव, पार्थ सारथी सेन शर्मा ने सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों और मंडलीय शिक्षा निदेशकों को स्पष्ट एवं विस्तृत निर्देश जारी किए हैं। इन निर्देशों के अनुसार, अब स्कूलों में प्रतिदिन अखबार पढ़ना, उस पर चर्चा करना और महत्वपूर्ण खबरों की कटिंग को संभाल कर रखना अनिवार्य होगा। यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
इस नई व्यवस्था के तहत, प्रार्थना सभा में बच्चे अखबार से मुख्य खबरें पढ़कर सुनाएंगे। इसके साथ ही, वे रोजाना पांच नए शब्दों का अर्थ भी समझाएंगे और उनका प्रयोग भी बताएंगे। यह गतिविधि न केवल बच्चों की भाषा को समृद्ध करेगी, बल्कि उन्हें शब्दों का सही और सटीक प्रयोग सीखने का अवसर भी प्रदान करेगी। शिक्षा विभाग का दृढ़ विश्वास है कि अखबार पढ़ने से बच्चों में न सिर्फ पढ़ने की रुचि बढ़ेगी, बल्कि उनका सामान्य ज्ञान, विश्लेषणात्मक क्षमता और संवाद कौशल भी मजबूत होगा।
स्क्रीन टाइम घटाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम
शासनादेश में विस्तार से बताया गया है कि वर्तमान समय में बच्चों का स्क्रीन टाइम लगातार बढ़ रहा है। मोबाइल फोन और अन्य डिजिटल उपकरणों पर अधिक समय बिताने के कारण उनकी किताबों में रुचि घट रही है, जिसका प्रतिकूल प्रभाव उनकी एकाग्रता, सोचने की क्षमता और भावनात्मक समझ पर पड़ रहा है। इन्हीं गंभीर चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, स्कूलों में अखबार को नियमित रूप से पठन-पाठन का हिस्सा बनाने का यह दूरदर्शी निर्णय लिया गया है।
अखबार पढ़ने से बच्चों को देश-दुनिया की सम-सामयिक खबरों की गहन जानकारी मिलेगी। विज्ञान, संस्कृति, इतिहास, खेल, पर्यावरण और सामाजिक मुद्दों से जुड़े समाचार उनकी सोच को व्यापक बनाएंगे और उन्हें जागरूक नागरिक बनने में मदद करेंगे। इसके अतिरिक्त, अखबार में प्रकाशित प्रेरक कहानियाँ और सकारात्मक लेख बच्चों को सही दिशा में आगे बढ़ने और जीवन में चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रेरित करेंगे।
दो भाषाओं में उपलब्ध होंगे अखबार और विशेष गतिविधियां
शासन ने यह भी सुनिश्चित किया है कि कक्षा छह से बारह तक के सभी स्कूलों में हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं के अखबार उपलब्ध कराए जाएंगे। इससे छात्रों को दोनों भाषाओं में समझ विकसित करने और अपनी अभिव्यक्ति को सुधारने का बेहतरीन अवसर मिलेगा। भाषा पर मजबूत पकड़ होने से बच्चे वाद-विवाद प्रतियोगिताओं, भाषणों और समूह चर्चाओं में भी बेहतर प्रदर्शन कर पाएंगे। ये शैक्षिक सुधार बच्चों के सर्वांगीण विकास में सहायक सिद्ध होंगे।
इस महत्वपूर्ण पहल के तहत, स्कूलों में सप्ताह में एक दिन किसी संपादकीय लेख पर कक्षा में समूह चर्चा (Group Discussion) आयोजित की जाएगी। छात्र उस विषय पर अपने विचार खुलकर रखेंगे और दूसरों की बात को ध्यान से सुनना भी सीखेंगे। यह गतिविधि उनमें आत्मविश्वास, तार्किक क्षमता और संवाद कौशल को विकसित करेगी, जो भविष्य में किसी भी करियर के लिए आवश्यक है।
अन्य रोचक गतिविधियां और रचनात्मकता का विकास
इसके अलावा, शनिवार या सप्ताह के किसी एक दिन अखबार में प्रकाशित सुडोकू, वर्ग पहेली और अन्य मानसिक पहेलियों के आधार पर कक्षा में छोटे-छोटे क्विज आयोजित किए जाएंगे। इससे बच्चों की सोचने, समझने और समस्या-समाधान की शक्ति मजबूत होगी, जिससे पढ़ाई को और भी अधिक रोचक और आकर्षक बनाया जा सकेगा।
कक्षा छह से आठ तक के छात्रों को विज्ञान, पर्यावरण और खेल से जुड़ी खबरों की कटिंग से स्क्रैपबुक तैयार करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इस रचनात्मक गतिविधि से बच्चों में सृजनात्मकता बढ़ेगी और वे खबरों को अधिक ध्यान से पढ़ना तथा विश्लेषण करना सीखेंगे। यह पहल बच्चों को एक समग्र शिक्षा अनुभव प्रदान करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
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