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दिसम्बर, 28, 2025

भारतीय प्रशासनिक सेवा में UPSC अधिकारियों की पदोन्नति और वेतन: DM से प्रमुख सचिव तक का सफर

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UPSC: हर साल लाखों युवा भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में शामिल होने का सपना देखते हैं, लेकिन इस प्रतिष्ठित पद तक पहुंचने का सफर लंबा और कई पड़ावों से भरा होता है। एक आईएएस अधिकारी का करियर सिर्फ एक नौकरी नहीं, बल्कि राष्ट्र सेवा और जिम्मेदारी का प्रतीक है, जिसमें उन्हें विभिन्न पदों पर रहते हुए अनुभव मिलता है और वे धीरे-धीरे उच्च पदों पर पदोन्नत होते हैं। ऐसे में अक्सर उम्मीदवारों के मन में यह सवाल उठता है कि एक जिलाधिकारी (DM) कितने प्रमोशन के बाद प्रमुख सचिव बनता है और इस दौरान उसकी सैलरी में कितनी बढ़ोतरी होती है।

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भारतीय प्रशासनिक सेवा में UPSC अधिकारियों की पदोन्नति और वेतन: DM से प्रमुख सचिव तक का सफर

UPSC अधिकारियों की पदोन्नति: DM बनने का सफर

भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में चयन के बाद, एक अधिकारी को विभिन्न स्तरों पर सेवा देने का अवसर मिलता है। शुरुआती कुछ वर्षों में सहायक कलेक्टर के रूप में अनुभव प्राप्त करने के बाद, अधिकारी अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (ADM) के पद पर कार्य करते हैं। पर्याप्त अनुभव और सेवा अवधि पूरी होने के बाद, उन्हें जिले का सर्वोच्च अधिकारी, यानी जिला मजिस्ट्रेट (DM) नियुक्त किया जाता है। डीएम को जिले का मुखिया माना जाता है, जिस पर कानून-व्यवस्था बनाए रखने, विकास कार्यों की निगरानी करने और सभी सरकारी योजनाओं को सफलतापूर्वक लागू करने की पूरी जिम्मेदारी होती है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। आमतौर पर, 9 से 10 साल की सेवा के बाद एक आईएएस अधिकारी जिलाधिकारी के पद पर पहुंचता है। इस पद पर मूल वेतन लगभग 78,800 रुपए होता है, जिसमें महंगाई भत्ता (DA), मकान किराया भत्ता (HRA) और यात्रा भत्ता (TA) जैसे भत्ते जुड़ने के बाद कुल सैलरी और बढ़ जाती है।

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जिलाधिकारी के पद पर रहते हुए अधिकारी को व्यापक अनुभव प्राप्त होता है, जो उनके आगे के करियर में बहुत महत्वपूर्ण होता है। एक सफल करियर यात्रा के बाद, डीएम को राज्य और केंद्र सरकार में विभिन्न महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी जाती हैं।

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यह भी पढ़ें:  IAS अधिकारियों का करियर: DM से प्रमुख सचिव तक का सफर और UPSC IAS Promotion

DM के बाद उच्च पदों तक की यात्रा

जिला मजिस्ट्रेट के पद के बाद भी एक आईएएस अधिकारी के लिए कई बड़े और महत्वपूर्ण पदोन्नति के अवसर होते हैं। इन प्रमुख पदों में संयुक्त सचिव और संभागीय आयुक्त (Divisional Commissioner) शामिल हैं। ये पद प्रशासनिक ढांचे में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और इन पर नियुक्त अधिकारी को बड़े क्षेत्रों या विभागों की जिम्मेदारी सौंपी जाती है। अधिकारी आमतौर पर 13 से 16 साल की सेवा के बाद इन पदों पर पहुंचते हैं। संयुक्त सचिव और संभागीय आयुक्त के पदों पर मूल वेतन लगभग 1,18,500 रुपए से लेकर 1,44,200 रुपए तक होता है, जिसमें अन्य भत्ते शामिल नहीं हैं। यह वेतन वृद्धि अधिकारी के अनुभव और जिम्मेदारी के साथ बढ़ती जाती है।

प्रमुख सचिव: एक सर्वोच्च प्रशासनिक पद

कई सालों की समर्पित सेवा और कई पदोन्नतियों के बाद, एक जिलाधिकारी प्रमुख सचिव के पद तक पहुंच सकता है। प्रमुख सचिव का पद राज्य सरकार के सबसे वरिष्ठ अधिकारियों में से एक होता है, जो अक्सर किसी बड़े विभाग या मंत्रालय का प्रमुख होता है। यह पद नीति निर्माण, प्रशासनिक निर्णयों और राज्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। प्रमुख सचिव का मूल वेतन 1,82,200 रुपए (लेवल-15) से 2,05,400 रुपए (लेवल-16) तक होता है। विभिन्न भत्ते जोड़ने के बाद, प्रमुख सचिव की मासिक सैलरी अक्सर 3 लाख रुपए से अधिक हो जाती है, जो इस पद की गरिमा और जिम्मेदारी को दर्शाता है। लेटेस्ट एजुकेशन और जॉब अपडेट्स के लिए यहां क्लिक करें

DM से प्रमुख सचिव तक वेतन में बड़ा बदलाव

IAS अधिकारी के करियर में वेतन की बढ़ोतरी काफी महत्वपूर्ण होती है। जब कोई अधिकारी जिला मजिस्ट्रेट (DM) के रूप में कार्य करता है, तो उनका मूल वेतन लगभग 78,800 रुपए होता है। लेकिन जैसे-जैसे पदोन्नति होती है और वे प्रमुख सचिव के पद तक पहुंचते हैं, तो उनका मूल वेतन बढ़कर लगभग 1,82,200 रुपए से 2,05,400 रुपए हो जाता है। इसका मतलब है कि करियर के इस पड़ाव तक पहुंचते-पहुंचते सैलरी ढाई गुना से भी ज्यादा बढ़ जाती है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। इसके अलावा, प्रमुख सचिव जैसे वरिष्ठ पद पर आईएएस अधिकारी को कई विशेष सरकारी सुविधाएं भी मिलती हैं, जैसे रहने के लिए बड़ा और सुसज्जित सरकारी बंगला, आने-जाने के लिए सरकारी गाड़ी और ड्राइवर, दफ्तर और घर के काम के लिए स्टाफ, मुफ्त या रियायती मेडिकल सुविधा और सरकारी कामों के लिए यात्रा भत्ता। ये सुविधाएं न केवल अधिकारी के जीवन स्तर को बेहतर बनाती हैं, बल्कि उनके कुल मासिक कमाई और सामाजिक प्रतिष्ठा में भी उल्लेखनीय वृद्धि करती हैं।

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