Movie Review: एक ऐसी प्रेम कहानी, जो आपको हंसाएगी नहीं, रुलाएगी नहीं, बल्कि सीधे दिल में उतरकर समाज की कड़वी सच्चाई से रूबरू कराएगी। जब एक सब्जी बेचने वाली लड़की और एक सीवर साफ करने वाले युवक की मोहब्बत परवान चढ़ती है, तो पर्दे पर सिर्फ प्यार नहीं, ज़िंदगी का सच्चा अक्स नज़र आता है।
Movie Review: ‘सीवर और सब्जी’ की अनूठी प्रेम कहानी, जो दिखाएगी ज़िंदगी का असली रंग!
Movie Review: दिल छू लेने वाली कहानी का हर पहलू
यह कहानी सिर्फ दो प्रेमियों की नहीं, बल्कि समाज के उस अनदेखे पहलू की है जहाँ रोज़मर्रा का संघर्ष ही सबसे बड़ी सच्चाई है। फिल्म की शुरुआत में जब एक सब्जी बेचने वाली बेटी अपने प्रेमी से यह कहती है, “मुझे लगता है मेरे पिता ने मुझे अपने साथ इसलिए रखा है ताकि मैं सब्ज़ी बेचने में उनकी मदद कर सकूं।” यह संवाद सीधे दिल पर दस्तक देता है। उसका प्रेमी कोई आम नायक नहीं, बल्कि एक सीवर साफ़ करने वाला मजदूर है, जिसकी ज़िंदगी का हर पल चुनौतियों से भरा है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। यह प्रेम कहानी किसी बॉलीवुड के चमकदार सपने से कहीं ज़्यादा गहरी और वास्तविक है। एक तरफ सीवर में उतरकर ज़िंदगी की गंदगी साफ़ करने वाला युवक और दूसरी तरफ ठेले पर सब्जियां बेचकर घर चलाने वाली लड़की, इनकी प्रेम गाथा असामान्य ज़रूर है, लेकिन इसमें इंसानियत, सच्चाई और दर्द इतना गहरा है कि यह हर दर्शक को भावुक कर देती है।
फिल्म बड़ी ईमानदारी से सीवर साफ़ करने वाले मजदूरों की ज़िंदगी को करीब से दिखाती है। उनकी रोज़मर्रा की थकान, खामोश तकलीफें और उनकी मजबूरियाँ इतनी सहजता से पर्दे पर आती हैं कि दर्शक उनसे जुड़ाव महसूस करने लगते हैं। एक दृश्य में जब मुख्य किरदार बड़े हल्के अंदाज़ में कहता है, “40 की उम्र के बाद हमारा शरीर जवाब देने लगता है,” तो यह बात बिना किसी ड्रामे के दिल को झकझोर देती है। फिल्म की Star Cast में ईशिता सिंह का अभिनय सचमुच काबिले-तारीफ है। उन्होंने अपने किरदार को पूरी संवेदनशीलता और सच्चाई के साथ निभाया है।
कलाकारों का अभिनय और निर्देशन की बारीकी
ईशिता सिंह, जो कि आप सांसद संजय सिंह की बेटी हैं, ने दिखावे से परे जाकर अपने किरदार को जिया है। दर्शक उन्हें इसलिए नहीं देखेंगे कि वह किसकी बेटी हैं, बल्कि इसलिए कि उनका अभिनय कितना सशक्त है। निर्देशक संजय बिश्नोई ने इस संवेदनशील कहानी को बिना किसी बनावट या अनावश्यक दिखावे के बड़े पर्दे पर उतारा है, जो उनकी काबिले-तारीफ कोशिश है। फिल्म का संगीत भी कहानी के मूड के साथ पूरी तरह मेल खाता है और भावनाओं को और गहराई देता है। मनोरंजन जगत की चटपटी खबरों के लिए यहां क्लिक करें। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
फिल्म का सबसे बड़ा प्लस पॉइंट इसका अप्रत्याशित अंत है। यह दर्शकों को सोचने पर मजबूर करता है और एक परफेक्ट सिनेमाई अनुभव प्रदान करता है। कुल मिलाकर, यह फिल्म सिर्फ एक प्रेम कहानी नहीं है, बल्कि समाज के उस अनदेखे हिस्से की आवाज़ है जिसे हम अक्सर अनसुना कर देते हैं। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। यह फिल्म आपको केवल मनोरंजन ही नहीं देती, बल्कि आपको मानवीय संवेदनाओं और वास्तविक जीवन के संघर्षों से भी रूबरू कराती है।
- निर्देशक: संजय बिश्नोई
- प्रमुख कलाकार: ईशिता सिंह
- रेटिंग: 5 में से 4 स्टार
- मुख्य हाइलाइट: समाज के अनसुने किरदारों की सच्ची प्रेम कहानी, सशक्त अभिनय, यथार्थवादी निर्देशन।
यह फिल्म हर लिहाज़ से देखी जानी चाहिए क्योंकि यह आपको सिर्फ एंटरटेन नहीं करती, बल्कि भीतर तक महसूस कराती है।



