जमीनी हकीकत बताने वाली और सिस्टम की विफलता उजागर करती दरभंगा के जाले से यह रिपोर्ट, यही है खामोश हैं सरकार, एकबार तो मुस्कुरा दो…क्योंकि रोने की बड़ी वजह सामने है…जहां “एक कट्ठा खेत पटाने में लग रहा घंटों वक्त!”@जाले-दरभंगा,देशज टाइम्स।
बिजली नहीं, बारिश नहीं – धान की खेती में झुलस रहे किसान!
जाले के किसान बेहाल, बिजली विभाग बना मुसीबत| 50 रुपये घंटे में पटवन, धान के दाने से पहले बह रहा पसीना – किसानों की जेब में आग| धान की रोपनी के वक्त बिजली गायब! किसान बोले – मरते-मरते काम करना पड़ रहा है| बिजली नहीं, बारिश नहीं – किसान अब ऊपर वाले और नलकूप दोनों को ताक रहे हैं|@जाले-दरभंगा,देशज टाइम्स।
सिर्फ पटवन में 550 रुपये प्रति कट्ठा खर्च! खेती अब घाटे का सौदा
धान की खेती में झुलस रहे किसान! बिजली विभाग से फूटा गुस्सा, फीडर देने की मांग| सिर्फ पटवन में 550 रुपये प्रति कट्ठा खर्च! खेती अब घाटे का सौदा बन गई है| आकाश में बादल, खेतों में धूल – किसान बोले: नलकूप चले तो बचेगी फसल@जाले-दरभंगा,देशज टाइम्स।
मुख्य समस्याएं :चापाकल भी दे रहे जवाब, किसान की टूट रही कमर, कहां से निकालें रोपनी तक की लागत
बिजली आपूर्ति में बाधा: नलकूपों का संचालन ठप। बरसात का इंतजार: बादल उमड़ते हैं, पर बारिश नहीं। जलस्तर में गिरावट: चापाकल भी दे रहे जवाब। लागत में बढ़ोतरी: किसानों की कमर तोड़ रही रोपनी की लागत।@जाले-दरभंगा,देशज टाइम्स।
मौसम की मार और बिजली संकट से जूझ रहे हैं किसान, धान की रोपनी बनी चुनौती
जाले/दरभंगा, देशज टाइम्स। अषाढ़ मास के आद्रा नक्षत्र में जहां आसमान में बादल मंडरा रहे हैं, वहीं ज़मीन पर कृषक समुदाय बढ़ती चिंता में है। खेतों में उड़ती धूल और बिजली संकट ने धान की खेती को कठिन बना दिया है।
बिजली की आंख-मिचौली से किसानों की परेशानी बढ़ी
रतनपुर एवं आसपास के किसानों ने सनहपुर पावर सब स्टेशन से बार-बार रुकती विद्युत आपूर्ति पर कड़ा आक्रोश व्यक्त किया है।किसानों का कहना है कि धान की खेती के इस अहम समय में, बिजली विभाग को अन्य क्षेत्रों का लोड काटकर कृषि फीडर को प्राथमिकता देनी चाहिए।
नलकूपों पर निर्भरता, लेकिन सप्लाई नहीं दे रहा साथ
बिजली की अनियमित आपूर्ति के कारण नलकूपों से पटवन बाधित हो रहा है। जलस्तर गिरने और चापाकल की क्षमता घटने से स्थिति और बिगड़ती जा रही है। एक किसान के मुताबिक, एक घंटे में मुश्किल से एक कट्ठा खेत ही पटवन हो पाता है।
धान रोपनी की लागत आसमान छू रही
जिन किसानों के पास निजी नलकूप नहीं है, उन्हें ₹50 प्रति घंटा किराया देना पड़ता है। रतनपुर के किसान राजेश्वर सहनी, दशरथ सहनी और अभिषेक ठाकुर बताते हैं कि
“जोताई, कदवा, पटवन और रोपनी में ₹550 प्रति कट्ठा तक खर्च हो रहा है।”
यह राशि अभी केवल शुरुआती प्रक्रिया का है — इसमें बीज, नर्सरी, उर्वरक और कीटनाशक का खर्च शामिल नहीं है।
किसानों की मांग-विशेष कृषि फीडर को दो प्राथमिकता
किसानों ने बिजली विभाग से अपील की है कि खेती के लिए विशेष कृषि फीडर को प्राथमिकता दी जाए। स्थानीय प्रशासन से गुहार लगाई गई है कि क्षेत्रीय स्तर पर सूखा जैसे हालात को गंभीरता से लिया जाए और सरकारी सहायता प्रदान की जाए।