मुजफ्फरपुर जिले के उत्पाद न्यायालय के विशेष लोक अभियोजक के पद पर रहे बजरंग प्रसाद के ब्रेन हेमरेज से 24 जनवरी को मौत के बाद मुजफ्फरपुर के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में जिला बार एसोसिएशन के सदस्य अधिवक्ता सुशील कुमार सिंह ने आज परिवाद दर्ज कराया है।
इसमें कहा गया है, मद्य निषेध विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के खिलाफ मुजफ्फरपुर कोर्ट में मुकदमा दायर किया गया है। इसमें ये आरोप लगाया गया है कि केके पाठक की प्रताड़ना के कारण एक वकील की मौत हो गयी है।
परिवारवाद में आरोप लगाया है कि केके पाठक ने अधिवक्ता बजरंग प्रसाद को मानसिक तौर पर काफी प्रताड़ित किया है। इस परिवाद में केके पाठक के अलावा गृह सचिव जितेंद्र श्रीवास्तव, विधि विभाग के विशेष सचिव ज्योति स्वरुप श्रीवास्तव और अभियोजन निदेशक प्रभुनाथ सिंह पर गैर इरादतन हत्या का आरोप लगाया गया है।
इस परिवाद में उत्पाद विभाग के आयुक्त केके पाठक, जितेंद्र श्रीवास्तव गृह सचिव बिहार सरकार, ज्योति स्वरूप श्रीवास्तव विशेष सचिव विधि बिहार पटना और प्रभुनाथ सिंह निदेशक अभियोजन बिहार पटना के खिलाफ कोर्ट में परिवाद दर्ज कराया गया है।
परिवाद में यह आरोप लगाया गया है कि पुलिस और शराब माफियाओं के गठजोड़ में अभियुक्तों के खिलाफ विशेष न्यायालय उत्पाद में उत्पाद मुकदमों की प्रगति धीमी थी। इस पर अभियुक्त गण द्वारा 29 अक्टूबर को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से एक बैठक की गई थी।
इसमें मुजफ्फरपुर के उत्पाद कोर्ट के विशेष लोक अभियोजक बजरंग प्रसाद को काफी जलील और गाली गलौज के साथ मानसिक रूप से टॉर्चर किया गया था, जिसके कारण लगातार बजरंग प्रसाद विशेष लोक अभियोजक तनाव में चल रहे थे।
फिर सभी अभियुक्तों की ओर से 21 जनवरी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मुकदमों की समीक्षा की गई थी। इसमें विशेष लोक अभियोजक बजरंग प्रसाद को काफी डांट फटकार और बेइज्जती की गई थी और उनका पक्ष जाने बगैर उन्हें पद से हटाने का आदेश दिया गया था।
इसको बजरंग प्रसाद सहन नहीं कर सके और उनकी तनाव के कारण 24 जनवरी को ब्रेन हेमरेज मौत हो गई। साथ ही कहा गया है कि पुलिस की नाकामी और पुलिस तथा शराब माफियाओं की मिलीभगत के कारण मुजफ्फरपुर जिले में विशेष उत्पाद कोर्ट में दर्ज मुकदमों की प्रगति बाधित थी और इसके लिए विशेष लोक अभियोजक बजरंग प्रसाद को प्रताड़ित करते हुए सभी अभियुक्तों ने मिलकर हटाया है।इसी सदमे के कारण उनकी मृत्यु भी हुई है।
इसकी शिकायत भी परिवादी अधिवक्ता सुशील कुमार सिंह ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पीएमओ कार्यालय को भी मेल के माध्यम से दर्ज करायी है। सभी के खिलाफ जुर्म धारा 304 एवं 302/34 भारतीय दंड विधान के तहत कोट परिवार दर्ज कराया गया है। मामले में न्यायालय ने अगली सुनवाई की तिथि तीन फरवरी को मुकर्रर की है। अब देखना होगा कि मामले की सुनवाई के बाद न्यायालय का क्या खुद फैसला आता है?
कोर्ट में परिवाद दायर करने वाले वकील सुशील कुमार सिंह ने बताया कि सूबे में शराब के मामलों में कानूनी कार्रवाई को लेकर 29 अक्टूबर को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये बैठक हुई थी। सुशील कुमार सिंह ने आरोप लगाया कि इस बैठक में अभियुक्तों के खिलाफ मद्य निषेध के विशेष कोर्ट में मुकदमों की धीमी गति को लेकर सरकार के एपीपी यानि विशेष लोक अभियोजक बजरंग प्रसाद को काफी जलील किया गया था।
सुशील कुमार सिंह का आरोप है कि बजरंग प्रसाद के साथ गाली-गलौज तक की गई। उन्हें मानसिक रूप से काफी टॉर्चर किया गया। अधिकारियों के टार्चर के कारण बजरंग प्रसाद काफी तनाव में चले गए और उनकी मृत्यु हो गई।