रांची। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि राज्य सरकार केंद्र सरकार को जातिगत जनगणना का प्रस्ताव भेजेगी। मुख्यमंत्री ने इसकी घोषणा बुधवार को (Jharkhand government will send proposal of caste census ) मानसून सत्र के दौरान की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पूरे देश में आरक्षण की मांग बढ़ती जा रही है। हर राज्य में जनसंख्या के आधार पर आरक्षण की मांग है लेकिन झारखंड से जातिगत आधार पर जनगणना का कोई प्रस्ताव केंद्र सरकार को नहीं भेजा जा सका है।
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री को ईमेल भेजकर उनसे मिलने का समय मांगा है। सर्वदलीय टीम के साथ 12-20 सितंबर तक मीटिंग का समय मांगा है। सभी दल के नेता इस पर प्रधानमंत्री से मिलकर अपनी बात रख सकेंगे। गिरिडीह के विधायक के प्रस्ताव को आगे बढ़ाते हुए मुख्यमंत्री ने ये बातें कहीं।
इस मामले पर आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो ने सरकार से कहा कि केंद्र सरकार से तो बाद में सर्वदलीय बैठक करेंगे, पहले राज्य में सर्वदलीय बैठक कर लें।
उन्होंने कहा कि अभी भी एक भ्रम की स्थिति बनी हुई है कि स्थानीय कौन है? 1932 के खतियान को ही अंतिम आधार मानते हैं कि नहीं? बस स्पष्ट करें। पहली कैबिनेट में ही ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण देने की बात कहे थे, जिसे भूल गए हैं।
इस पर भाजपा विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा ने कहा कि आदिवासियों की संख्या धीरे-धीरे घटती जा रही है। जातीय जनगणना होने पर साथ देंगे।
नियोजन नीति में जिस तरीके से सर्टिफिकेट के माध्यम से थर्ड और फोर्थ क्लास की नियुक्ति होगी तो हम जनगणना किसकी करेंगे। झारखंडियों, मूलवासियों और यहां रहने वालों की करेंगे? नियोजन नीति में हम यह जानना चाह रहे हैं कि स्थानीय कौन है।
रोजगार के मुद्दे पर मुख्यमंत्री ने कहा कि हम मूलवासियों-आदिवासियों और स्थानीय लोगों को रोजगार देने के लिए कटिबद्ध हैं। रोजगार को लेकर प्रवर समिति का प्रतिवेदन भी पटल पर आना है। इसमें पक्ष-विपक्ष दोनों के नेता शामिल हैं।
मुख्यमंत्री ने तंज कसते हुए कहा कि बहुमत में होने के बाद भी भाजपा ने दलित, गरीब कमजोर को अधिकार दिलाने के बारे में सोचा ही नहीं। भाजपा के नेता 20 साल में कोई कानून नहीं बना सके। इसीका नतीजा है कि पांच साल पूर्ण बहुमत की सरकार रहने के बाद भी जमीन पर बैठ गए हैं।