जम्मू-कश्मीर में आतंक के लिए फंडिंग (J&K Terror Funding Case) के मामले में लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक पाकिस्तानी आतंकी हाफिज सईद, हिजबुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन, यासीन मलिक, शब्बीर शाह, मसरत आलम और अन्य के खिलाफ दिल्ली की एक अदालत ने आरोप तय करने का आदेश दिया है।

जानकारी के अनुसार, टेरर फंडिंग केस में एनआईए कोर्ट (Special NIA Court, Delhi) ने लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद (LeT Founder Hafiz Saeed) और हिजबुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन (Hizbul Mujahideen Chief Syed Salahuddin) सहित जम्मू कश्मीर के अलगाववादी नेताओं यासीन मलिक, शब्बीर शाह, मसरत आलम समेत 15 के खिलाफ गैर-कानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (Unlawful Activities Prevention Act or UAPA) की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया है।
यासीन मलिक जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (Jammu-Kashmir Liberation Front) का मुखिया भी है, जिस पर भारतीय वायुसेना के 4 कर्मियों की हत्या के आरोप में भी केस चल रहा है।
टेरर फंडिंग में राजनयिक मिशन का इस्तेमाल
एनआईए कोर्ट ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के वित्त पोषण के लिए पाकिस्तान से पैसा भेजा गया और यहां तक कि शैतानी इरादों को अंजाम देने के लिए राजनयिक मिशन का भी इस्तेमाल किया गया। आतंकियों को वित्तीय मदद कराने के लिए अंतरराष्ट्रीय आतंकी हाफिज सईद ने भी पैसा भेजा था।

राशिद इंजीनियर व वटाली समेत इन पर भी तय होंगे आरोप
एनआई कोर्ट ने कश्मीर के नेता व पूर्व विधायक राशिद इंजीनियर, कारोबारी जहूर अहमद शाह वटाली, बिट्टा कराटे, आफताब अहमद शाह, अवतार अहमद शाह, नईम खान, बशीर अहमद बट उर्फ पीर सेफुल्लाह व कई अन्य पर भी आरोप तय करने का निर्देश दिया है। इन सभी पर यूएपीए कानून के अलावा भारतीय दंड संहिता के विभिन्न प्रावधानों, जिनमें आपराधिक षड्यंत्र, देश के खिलाफ जंग छेड़ने के आरोप में भी केस चलेगा।
इन आरोपियों पर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) की विभिन्न धाराओं के तहत यह निर्देश दिए गए हैं। इन पर जम्मू और कश्मीर राज्य में आतंकवादी और अलगाववादी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए वित्त पोषण का आरोप है।
पटियाला हाउस कोर्ट स्थित विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह की अदालत ने कश्मीरी राजनेता और पूर्व विधायक राशिद इंजीनियर, व्यवसायी जहूर अहमद शाह वटाली, बिट्टा कराटे, आफताब अहमद शाह, अवतार अहमद शाह, नईम खान, बशीर अहमद भट, उर्फ पीर सैफुल्ला और कई अन्य के खिलाफ भी विभिन्न धाराओं के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया है।
अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी द्वारा पेश तथ्यों व साक्ष्यों के आधार पर आरोपियों के एक-दूसरे के साथ मिलकर जम्मू एवं कश्मीर में अलगाव व आतंक फैलाने का प्रथमदृष्टया मकसद साबित हुआ है। इतना ही नहीं, जांच एजेंसी ने दस्तावेजी व अन्य साक्ष्यों के माध्यम से पाकिस्तानी आतंकी संगठन के नेतृत्व में आतंकवादी संगठनों को आतंक फैलाने के लिए धन मुहैया कराने को भी प्रथमदृष्टया प्रमाणित किया है।
अदालत ने कहा कि आरोपपत्र पर बहस के दौरान, किसी भी आरोपी ने यह तर्क नहीं दिया कि व्यक्तिगत रूप से उनकी कोई अलगाववादी विचारधारा या एजेंडा नहीं है या उन्होंने अलगाव के लिए काम नहीं किया है या तत्कालीन जम्मू और कश्मीर राज्य को भारत सरकार से अलग करने की पैरवी नहीं की।
एनआईए कोर्ट ने कहा कि साजिशकर्ताओं का मकसद जम्मू-कश्मीर में रक्तपात, हिंसा, तबाही और विनाश मचाकर उसे भारत से अलग करना था। एक बड़ी आपराधिक साजिश के तहत जम्मू-कश्मीर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए, हिंसक घटनाएं हुईं। घाटी में आतंकवाद को बढ़ावा देने में इन घटनाओं ने अहम भूमिका निभाई।
इन सबमें लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के संस्थापक हाफिज सईद और हिजबुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन के साथ यासीन मलिक (Yasin Malik), मसरत आलम (Masarat Alam Bhat), शब्बीर शाह (Shabir Shah) की संलिप्तता थी। एनआईए कोर्ट ने कहा कि घोषित अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी और 2008 मुंबई बम धमाकों के आरोपी हाफिज सईद द्वारा भी भारत में आतंकी फंडिंग के लिए पैसा भेजा गया था।
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