बिहार के बाहुबली नेता व सीवान के पूर्व सांसद रहे मोहम्मद शहाबुद्दीन(Mohammad Shahabuddin) से जुड़ा विवाद उनकी मौत के बाद भी नहीं थम रहा है। मौत के बाद शहाबुद्दीन को कहां दफनाया (Tomb of Saheb) जाए इसे लेकर कुछ दिनों पहले बड़ा विवाद छिड़ा था।
उनके परिजन और शुभचिंतक उन्हें पैतृक जिला सीवान में दफनाना चाहते थे लेकिन कोरोनाकाल में अनुमति नहीं मिलने के कारण मजबूरन दिल्ली के कब्रिस्तान में ही दफनाया गया था. वहीं अब उनके कब्र पर पक्के का निर्माण अब विवाद का विषय बन गया है।
जो खबर आ रही है उसके मुताबिक जिस कब्रिस्तान में उन्हें दफन किया गया था, वहां बैगर इजाजत के मकबरा बनाया जा रहा था। कब्रिस्तान कमेटी को इसकी खबर मिली तो इसका विरोध कर दिया, कमेटी को मनाने से लेकर रूतबा दिखाने की काफी कोशिश की गयी लेकिन बात नहीं बनी। बताया गया कि मकबरा बनाने पर कोर्ट ने रोक लगा दी है।
जानकारी के अनुसार, उनकी क़ब्र में लगे पत्थर पर सिर्फ उनका नाम, पैदा होने की तारीख, मरने के दिन और इस बात का जिक्र है कि वे कहां के थे। यह कब्र भी अब दिल्ली की तमाम गुमनाम कब्रों की तरह एक कोने में खड़ी है। आरजेडी के नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन की देह अब दिल्ली की इस कब्रगाह का हिस्सा बन चुकी है।
दिल्ली गेट कब्रिस्तान में पिछले 3 मई को सीवान के पूर्व सांसद व बिहार के बाहुबली नेता शहाबुद्दीन को दफनाया गया था। परिवारजन उन्हें बिहार में दफनाना चाहते थे, जिसे लेकर विवाद भी छिड़ा था। अनुमति नहीं मिलने पर शहाबुद्दीन के पार्थिव शरीर को दिल्ली गेट कब्रिस्तान में दफनाना पड़ा था। शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा ने अपने पिता को मिट्टी दिया था। वहीं अब शहाबुद्दीन के कब्र पर पक्की निर्माण का काम शुरु हो जाने से नया विवाद खड़ा हो गया है।
इस मामले में दो अलग-अलग तरह के बयान आ रहे हैं। इस मामले में शहाबुद्दीन परिवार के करीबी माने जाने वाले RJD के दो नेता अलग-अलग बयान दे रहे हैं। RJD नेता हामिद रजा उर्फ डब्लू खान का कहना है, ‘साहब (मो शहाबुद्दीन) का भव्य मकबरा बनना चाहिए। वो सिर्फ अकलियत के नहीं, बल्कि पूरे समाज के नेता थे। उनके चाहने वालों ने उनकी याद में मकबरा बनाने के लिए देश के कोने-कोने से तरह-तरह के पत्थरों का इंतजाम किया है, लेकिन इसमें साजिश के तहत अड़चन पैदा की जा रही है।’
उन्होंने कहा, ‘सरकार को चाहिए कि उनकी याद में बड़ा मकबरा बनाने की पहल की जाए। अगर सरकार पहल नहीं करती है तो उनके चाहने वाले खुद आगे की व्यवस्था करेंगे।’ हालांकि, हामिद रजा ने यह नहीं बताया कि मकबरा न बनने देने की साजिश करने वाले लोग कौन हैं?
वहीं दूसरी तरफ RJD के प्रदेश महासचिव अदनान अहमद सिद्दीकी ने रुकावट की खबर को अफवाह बताया है। उन्होंने कहा है, ‘मकबरा का कार्य लगभग पूरा हो गया है। फाइनल टच देना बाकी है। परिवार में वैवाहिक कार्यक्रम होने के चलते विलंब हुआ है। मकबरा जल्द बनकर तैयार होगा।’
दरअसल, शहाबुद्दीन के कब्र को पक्की चाहरदिवारी से घेरा गया है। साथ ही चारो कोने पर पीलर दिए गए है. पीलर के जरिये उपर छत देने की तैयारी की जा रही थी। वहीं ये खबर बाहर मीडिया के बीच आ जाने के बाद आग के तरह फैली। सोशल मीडिया पर लोगों ने इसे लेकर नाराजगी जाहिर करनी शुरू कर दी. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कब्रिस्तान कमिटी ने इस काम को बीच में रुकवा दिया है।
जानकारी के अनुसार, अभी मकबरे की स्थिति वही है, जो जून में थी। तब ही इसे बनाने को लेकर विवाद शुरू हुआ था। शहाबुद्दीन के शव को दिल्ली गेट स्थित जदीद कब्रिस्तान में दफनाया गया था। कब्र को यादगार बनाने के लिए परिजनों ने मकबरा बनाने की कोशिश की। इसकी जानकारी मिलते ही जदीद कब्रिस्तान कमेटी ने विरोध कर दिया। विरोध के बावजूद थोड़ा बहुत काम हुआ। कमेटी ने पुलिस भी बुलवाई। बाद में हंगामा बढ़ता देख परिजनों ने काम रुकवा दिया।
कहा जा रहा है कि मरहूम पूर्व सांसद के परिजन कब्र पर बड़ा मकबरा बनाना चाहते हैं, लेकिन कब्रिस्तान कमेटी के कानून और वक्फ बोर्ड ने इसकी इजाजत नहीं दी है। मामले में दिल्ली में आम आदमी पार्टी के विधायक मो नेमतुल्लाह ने भी अपनी ओर से कोशिश की थी, लेकिन उसका कोई खास परिणाम नहीं निकला। इधर, इस पूरे मामले पर पूर्व सांसद के परिवार का कोई भी सदस्य कुछ भी कहने से बच रहा है।