गुरुग्राम | हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला का शुक्रवार को 93 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। गुरुग्राम के मेदांता मेडिसिटी अस्पताल (Medanta Medicity Hospital) में इलाज के दौरान उन्हें मृत घोषित किया गया। उनकी तबियत बिगड़ने के बाद उन्हें घर से अस्पताल ले जाया गया था। उनके निधन से राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्रों में शोक की लहर दौड़ गई है। श्रद्धांजलि देने के लिए लोग उनके गुरुग्राम स्थित आवास, जो एंबियंस मॉल के पीछे है, पहुंच रहे हैं।
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चौधरी देवीलाल के राजनीतिक वारिस
ओमप्रकाश चौटाला हरियाणा के पूर्व उप-प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल के बेटे और राजनीतिक वारिस थे। उन्होंने हरियाणा की राजनीति में एक मजबूत पहचान बनाई। वे चार बार हरियाणा के मुख्यमंत्री (Chief Minister of Haryana) रहे और राज्य की राजनीति पर गहरी छाप छोड़ी।
मुख्यमंत्री पद पर कार्यकाल
ओमप्रकाश चौटाला ने पहली बार 2 दिसंबर 1989 को हरियाणा के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उनका यह कार्यकाल 171 दिनों का रहा।
- 12 जुलाई 1990 को वे फिर मुख्यमंत्री बने, लेकिन इस बार वे केवल 5 दिन इस पद पर रहे।
- 12 जुलाई 1991 को उन्होंने तीसरी बार मुख्यमंत्री पद संभाला, लेकिन यह कार्यकाल भी केवल 15 दिनों का था।
वर्ष 1991 के बाद वे लंबे समय तक सत्ता से दूर रहे।
सत्ता में वापसी और पांच साल का कार्यकाल
24 जुलाई 1999 को उन्होंने एक बार फिर मुख्यमंत्री पद संभाला। यह कार्यकाल दो मार्च 2000 तक चला। इसके बाद वर्ष 2000 में उन्होंने एक स्थायी सरकार बनाई और पूरे पांच साल (2000-2005) तक मुख्यमंत्री पद पर काबिज रहे।
उनके निधन से हरियाणा में शोक
ओमप्रकाश चौटाला ने अपने जीवन में हरियाणा की राजनीति और समाज को गहराई से प्रभावित किया। उनके निधन से हरियाणा की राजनीति में बड़ा शून्य (Void in Haryana Politics) पैदा हो गया है। उनका भरा-पूरा परिवार और समर्थक उनके जाने से शोकाकुल हैं।
हरियाणा के राजनीतिक इतिहास में ओमप्रकाश चौटाला का योगदान हमेशा याद किया जाएगा।