भाजपा कह रही है, जीत की खुशी में कांग्रेस तीसरे नंबर की मिठाई बांट रही है। इधर, 85 हजार करोड़ का कर्ज लेकर हेमंत सोरेन सीएम बनने जा रहे हैं।उनके शपथ ग्रहण समारोह में सभी राज्यों के गैर भाजपाई सीएम भाग लेंगे। वहीं, झारखंड सरकार पर इस वक्त 85 हजार 234 करोड़ का कर्ज है। 2014 में जब रघुबर दास ने सरकार संभाली थी तब राज्य पर 37 हजार 593 करोड़ का कर्ज था। मगर रघुबर सरकार आने के बाद राज्य का कर्ज और तेजी से बढ़ा। 2014 से पहले 14 वर्षों में आई सरकारों ने जितना कर्ज लिया था, उससे कहीं ज्यादा रघुबर सरकार ने लिया। ऐसे में मुख्यमंत्री बनने के बाद हेमंत सोरेन के सामने इस कर्ज को कम करने की चुनौती होगी। राज्य के किसानों पर भी छह हजार करोड़ से ज्यादा का कर्ज है। ऐसे में मुख्यमंत्री बनने के बाद किसानों को इस कर्ज से उबारने की भी चुनौती हेमंत सोरेन के सामने रहेगी।
मुख्य बातें
- झारखंड विधानसभा चुनाव में जेएमएम गठबंधन को स्पष्ट बहुमत
- जनता की आशाओं पर खरा उतरने के लिए हेमंत के सामने कई चुनौती
- 85 हजार करोड़ के कर्ज में डूबा है झारखंड
- किसानों पर भी 6000 करोड़ कर्ज
- गरीब राज्य का टैग हटाने का रहेगा दबाव
- खाद्यान्न की कमी को दूर करने की भी है चुनौती
- बेरोजगारी सबसे बड़ी चुनौती
- राज्य का दस में से आठ युवा काम की तलाश मेंये है पांच मुख्य चुनौती
- 85 हजार करोड़ के कर्ज में डूबा है झारखंड
इस वक्त 85 हजार 234 करोड़ का कर्ज है। 2014 में जब रघुबर दास ने सरकार संभाली थी तब राज्य पर 37 हजार 593 करोड़ रुपये का कर्ज था।
- गरीब राज्य का टैग हटाने की चुनौती
आंकड़ों की बात करें तो झारखंड को हर साल करीब 50 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न चाहिए मगर यहां बेहतर से बेहतर स्थिति में भी 40 लाख मीट्रिक टन ही उत्पादन हो पाता है। इस 10 लाख मीट्रिक टन के अंतर को भर पाना हेमंत सोरेन के लिए चुनौती है। वर्ष 2000 में बिहार से अलग होने के बाद से झारखंड के माथे पर गरीब राज्य का टैग लगा हुआ है। इस राज्य में अब भी 36.96 प्रतिशत से ज्यादा आबादी गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन करती है।
- खाद्यान्न की कमी दूर करने की चुनौती
आंकड़ों की बात करें तो झारखंड को हर साल करीब 50 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न चाहिए मगर यहां बेहतर से बेहतर स्थिति में भी 40 लाख मीट्रिक टन ही उत्पादन हो पाता है। इस 10 लाख मीट्रिक टन के अंतर को भर पाना हेमंत सोरेन के लिए चुनौती है। - नक्सवाद-मॉब लिंचिंग से निपटने की चुनौती
अब भी 13 नक्सल प्रभावित जिले बचे हैं। इनमें खूंटी, लातेहार, रांची, गुमला, गिरिडीह, पलामू, गढ़वा, सिमडेगा, दुमका, लोहरदगा, बोकारो और चतरा जिले शामिल हैं। इन्हें नक्सल मुक्त बनाना हेमंत सोरेन के लिए चुनौती होगी। - बेरोजगारी की सबसे बड़ी चुनौती
सर्वे 2018-19 के आधार पर सरकार की रोजगारपरक योजनाओं के तहत एक लाख से ज्यादा युवाओं को ट्रेनिंग दी गई, लेकिन 10 में से 8 युवा काम की तलाश में हैं। हेमंत सोरेन का वादा हेमंत सोरेन ने अपने फेसबुक पेज पर कहा है कि झारखंड में बेरोजगारी दर अपनी सीमाएं लांघ रहा है।रांची, देशज न्यूज। इनसब चुनौतियों के बीच झारखंड में बीजेपी की हार व गठबंधन की जीत के बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) नेता हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री बनना तय है। संभवत: 28 दिसंबर को सोरेन शपथ लें। इससे पहले उन्होंने साइकिल चलाकर और अपने माता-पिता से आशीष लेकर दोस्त बनने की शपथ ले ली है। वैसे झारखंड के इस नए दोस्त यानी मुख्यमंत्री बनने के बाद हेमंत सोरेन के सामने चुनौतियां कम नहीं होंगी। जनता की आशाओं पर खरा उतरने के लिए उनके सामने पांच प्रमुख चुनौतियां रहेंगी।
झारखंड सरकार पर इस वक्त 85 हजार 234 करोड़ का कर्ज है। 2014 में जब रघुबर दास ने सरकार संभाली थी तब राज्य पर 37 हजार 593 करोड़ रुपये का कर्ज था। मगर रघुबर सरकार आने के बाद राज्य का कर्ज और तेजी से बढ़ा।इधर, झारखंड विधानसभा चुनाव में कांग्रेस-झामुमो गठबंधन को मिली जीत पर प्रदेश कांग्रेस में भी खुशी और उत्साह का माहौल है। चुनाव परिणाम आने के बाद प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में मिठाई भी बांटी गई। इसे लेकर भाजपा नेता और पूर्व मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने तंज कसा है। उन्होंने कहा,कांग्रेस झारखंड में तीसरे नंबर की पार्टी बनने की मिठाई बांट रही है।