back to top
1 अक्टूबर, 2024
spot_img

बड़ा फैसला: बिहार के मूल निवासियों को भी अब झारखंड में मिलेगा आरक्षण का लाभ

आप पढ़ रहे हैं दुनिया भर में पढ़ा जाने वाला Deshaj Times...खबरों की विरासत का निष्पक्ष निर्भीक समर्पित मंच...चुनिए वही जो सर्वश्रेष्ठ हो...DeshajTimes.COM
spot_img
Advertisement
Advertisement

रांची से इस वक्त बिहार से जुड़ी एक खास और महत्वपूर्ण फैसला आया है। अब बिहार के मूल निवासी को भी झारखंड में आरक्षण का लाभ मिलेगा। झारखंड सरकार ने बिहार से कैडर विभाजन के बाद यहां आए आरक्षित वर्ग के कर्मियों के संतानों को झारखंड में आरक्षण देने के मामले में बड़ा फैसला लिया है।

इससे दो साल पहले, झारखंड हाईकोर्ट ने आरक्षण काे लेकर बड़ा फैसला दिया था। इस आदेश में कहा था कि जो झारखंड के स्थाई निवासी हैं, उन्हें ही एसटी/एससी और ओबीसी आरक्षण का लाभ दिया जा सकता है। दूसरे राज्य से पलायन कर आने वालों को आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा सकता, चाहे वह किसी भी वर्ग के क्यों न हों। तीन जजों की खंडपीठ में यह फैसला दो-एक के बहुमत से सुनाया था। अब नया यह है, पढ़िए पूरी खबर

राज्य गठन के पूर्व एवं संवर्ग विभाजन के आधार पर आरक्षित श्रेणी के एसटी, एससी, अत्यंत पिछड़े वर्ग, पिछड़ा वर्ग से झारखंड राज्य में पदस्थापित हुए कर्मी जो बिहार के निवासी रहे हों, तो भी उनकी आरक्षण श्रेणी की मान्यता झारखंड में अब प्रदान की जाएगी यानी नियुक्तियों में भी अब उनके संतानों को आरक्षण का लाभ मिलेगा।

हालांकि, झारखंड में आरक्षण का लाभ लेने के बाद उन्हें अपने मूल राज्य बिहार में आरक्षण का लाभ नहीं लेना होगा। इसके लिए उन्हें शपथ पत्र भरकर बिहार के संबंधित जिले को पूरी सूचना देनी होगी। दोनों राज्यों से आरक्षण का लाभ लिया तो इसे गैर कानूनी माना जाएगा।

इससे पहले 24 Feb 2020 को, हाईकोर्ट के फैसले के अनुसार, राज्य में अब बिहारियों को किसी भी प्रकार का आरक्षण नहीं दिया जाएगा। हाईकोर्ट की उच्च पीठ के दो जजों ने इस संबंध में सोमवार को अपना फैसला सुनाया। फैसले के अनुसार, यह व्यवस्था बिहार के सभी मूल निवासियों पर लागू होगी। हालांकि, फैसला सुनाने वाले हाईकोर्ट के इस उच्च पीठ के एक जज का आदेश बाकि दोनों जजों के आदेश से अलग था।

पीठ के दो न्यायाधीशों ने एक मत से यह फैसला सुनाया, वहीं पीठ का नेतृत्व कर रहे न्यायमूर्ति एचसी मिश्र ने इससे असहमति जताई और कहा कि राज्य बनने से पहले से बिहार से यहां आकर रह रहे लोगों को भी राज्य की सेवा में आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए।

इस पीठ में न्यायमूर्ति अपरेश कुमार सिंह और न्यायमूर्ति बीबी मंगलमूर्ति भी थे। सबसे पहले, पीठ का नेतृत्व कर रहे न्यायमूर्ति एचसी मिश्र ने अपना आदेश पढ़कर सुनाया। उन्होंने अपने आदेश में कहा कि प्रार्थी एकीकृत बिहार के समय से ही झारखंड क्षेत्र में रह रहा है, इसलिए उसे आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए। अब नया अपडेट आज का यह है, पढ़िए पूरी खबर

बिहार के मूल निवासी को भी झारखंड में आरक्षण का मिलेगा लाभ के संबंध में कार्मिक प्रशासनिक सुधार राजभाषा विभाग ने संकल्प जारी कर दिया है। कार्मिक विभाग ने सिविल अपील में पंकज कुमार बनाम स्टेट ऑफ झारखंड एवं अन्य में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 19 अगस्त, 2021 को पारित न्यायादेश के आलोक में बिहार पुनर्गठन अधिनियम, 2000 की धारा-73 से आच्छादित सरकारी सेवकों तथा उनके संतानों के संदर्भ में सम्यक विचार करते हुए यह स्पष्ट किया है कि झारखंड राज्य में आरक्षण का दावा करने पर बिहार पुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा-73 से आच्छादित कर्मियों तथा उनके संतानों को झारखंड में आरक्षण का लाभ अनुमान्य होगा।

साथ ही अधिनियम की धारा-73 से आच्छादित कर्मियों के राज्य गठन के बाद सेवानिवृत होने के बाद उनके संतानों द्वारा आरक्षण का दावा करने पर भी आरक्षण का लाभ अनुमान्य होगा।

ऐसे में उन्हें अपने मूल राज्य (स्टेट ऑफ ऑरिजन यानी बिहार राज्य में आरक्षण का लाभ का त्याग करना होगा। एक साथ दोनों राज्यों में आरक्षण का लाभ प्राप्त किया जाना गैरकानूनी माना जायेगा। विभाग ने इसके अनुसार संतानों से अंडरटेकिंग भी लेना अनिवार्य किया है। इसके लिए प्रपत्र भी तैयार किया गया है।

बिहार पुनर्गठन अधिनियम, 2000 की धारा-73 के तहत आरक्षण पाने के लिए झारखंड राज्य में जाति प्रमाण -पत्र निर्गत होते उसकी सूचना इस संकल्प की प्रति के साथ मूल राज्य यानी बिहार राज्य के संबंधित जिले को सूचना देनी होगी। प्रखंड में होंगे प्रखंड तक सूचना दी जाएगी। विभाग ने 25 फरवरी, 2019 को निकाली गयी अधिसूचना को इस हद तक संशोधित किया है।

कार्मिक विभाग के 14 अगस्त, 2008 को निकाले गये सर्कुलर में यह स्पष्ट किया गया है कि वैसे सरकारी कर्मी, जो राज्य गठन के पूर्व आरक्षित श्रेणी में विमुक्त हुए हैं और संवर्ग विभाजन के आधार पर झारखंड राज्य में पदस्थापित किए गए हैं। तथा वे बिहार के निवासी है, उनकी आरक्षण श्रेणी अप्रभावित रहेगी और ये आरक्षित श्रेणी के सरकारी कर्मी माने जाएंगे।

इस सर्कुलर का अनुपालन मात्र अनुसूचित जनजाति तथा अनुसूचित जाति के सरकारी सेवकों को प्रमोशन का लाभ प्रदान करने के क्रम में अनुमान्य किया जाता रहा है। बिहार राज्य के निवासी जो आरक्षित श्रेणी में झारखंड गठन से पूर्व नियुक्त हुए थे उन्हें सीधी नियुक्ति में उपरोक्त लाभ की अनुमान्यता नहीं की जाती है।

जरूर पढ़ें

Sitamarhi-Jaynagar-Nirmali रेल लाइन परियोजना को मंजूरी, मिथिलांचल–कोसी के बीच सुगम होगा यातायात

हरी झंडी! सीतामढ़ी–जयनगर–निर्मली रेल परियोजना को मंजूरी। अब सीधा रेल कनेक्शन: कोसी और मिथिलांचल...

Darbhanga AIIMS के बगल में खुलेगा Kendriya Vidyalaya, MADHUBANI में खुलेंगे 2, BIHAR में 19 विद्यालय खुलेंगे, मिली हरी झंडी, देखें VIDEO

दरभंगा में एम्स कैंपस के पास खुलेंगे केंद्रीय विद्यालय, जानें पूरी लिस्ट। बिहार को...

Muzaffarpur के गायघाट में हर सुविधा एक ही छत के तले, खुला विकास का नया रास्ता

@गायघाट-मुजफ्फरपुर देशज टाइम्स। मुजफ्फरपुर के गांवों में बनेगा Modern पंचायत भवन, हर सुविधा एक...

Muzaffarpur NH-57 के होटल में 7 साल से चल रहे Sex Racket का पर्दाफाश, VIP कस्टमर को मिलती थीं High-Profile लड़कियां, WhatsApp पर होती...

@मुजफ्फरपुर, देशज टाइम्स। मुजफ्फरपुर के NH-57 के होटल में सेक्स रैकेट का पर्दाफाश, आलीशान...
error: कॉपी नहीं, शेयर करें