रांची। रांची के सिविल कोर्ट में मंगलवार को 10 माह बाद फिजिकल कोर्ट शुरू हो गया। फिजिकल कोर्ट शुरू होने के बाद कोर्ट की रौनक बढ़ गई है। कोर्ट में प्रवेश करने के मुख्य द्वार पर थर्मल स्कैनिंग (टेंपरेचर मशीन )और हैंड सेनीटाइजर रखा गया है। कोर्ट परिसर में अंदर दाखिल होने के पहले हाथ में सैनिटाइजर लगाना अनिवार्य है।
पिछले साल मार्च के बाद से पहली बार फिजिकल कोट शुरू हो रहे हैं। मुख्य द्वार के पास लगातार एनाउंसमेंट भी हो रहा है। उसने कहा जा रहा है कि फिजिकल कोर्ट की शुरुआत हो गई है। कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करें सुरक्षित दूरी बना कर रहे अंदर प्रवेश करने पर ढेरों अधिवक्ता नजर आ रहे हैं। कोर्ट की मुख्य इमारत सीबीआई कोर्ट बिल्डिंग के बरामदे में इक्का-दुक्का लोग नजर आ रहे थे। नए बाल भवन की इमारत के ग्राउंड फ्लोर और दूसरे तल्ले में भी ढेरों अधिवक्ता नजर आए।
अधिवक्ता राकेश पांडे ने बताया कि फिजिकल कोर्ट की शुरुआत हुई है ।इससे अधिवक्ताओं का आर्थिक स्थिति में सुधार आएगी। अधिवक्ता संजय चतुर्वेदी ने बताया कि कोरोना के गाइडलाइन का पालन करते हुए काम करना है। ईश्वर के कृपा से अब फिर कोर्ट बंद ना हो।
कोर्ट परिसर में कोविड नियमों का हुआ उल्लंघन
रांची सिविल कोर्ट में आधे से ज्यादा अधिवक्ता और वकील बिना मास्क के ही कोर्ट परिसर में घूमते हुए दिखे। कोर्ट के मुख्य द्वार पर बकायदा रजिस्टर सैनिटाइजर और थर्मल स्कैनिंग की व्यवस्था तो की गई है। लेकिन कई वकीलों और कोर्ट में अपने काम के लिए आए लोगों ने ना तो थर्मल स्कैनिंग कराई ना ही सैनिटाइजर लगवाए और ना ही अपनी जानकारी रजिस्टर में लिखवाई।
रांची सिविल कोर्ट परिसर में लगभग 33 वर्षों से मोची का काम कर रहे धनेश्वर राम कहते हैं कि अपने पूरे जीवन में उन्होंने ऐसा वक्त नहीं देखा था। लेकिन अब उन्हें उम्मीद है कि फिजिकल कोर्ट शुरु होने से वकीलों के साथ साथ उनकी भी स्थिति में सुधार आएगा। कोर्ट रूम में दिखा अलग नजारा कोर्ट रूम में भी फिजिकल हेयरिंग के पहले दिन नजारा काफी अलग दिखा। अपर आयुक्त 7 विशाल श्रीवास्तव की अदालत में जिस पहले मुकदमे की सुनवाई आमने सामने की गई। वो डबल मर्डर केस के आरोपी लोकेश चौधरी से जुड़ा हुआ था। इस मामले में उनके अधिवक्ता अनंत कुमार विज ने अदालत के समक्ष अपना पक्ष रखा।
वकीलों को मिली थोड़ी राहत
अधिवक्ता अनंत विज कहते हैं कि फिजिकल हियरिंग न्यायिक प्रक्रिया की रीढ़ है और वर्चुअल कोर्ट कोविड के वक्त लगे लॉकडाउन में न्यायिक प्रक्रिया को जारी रखने की महत्वपूर्ण जरूरत। वहीं सिविल कोर्ट के कुछ अधिवक्ता मानते हैं कि फिजिकल और वर्चुअल दोनों व्यवस्थाएं एक साथ चलने से उन्हें अदालतों में पैरवी करने में थोड़ी मुश्किल आ रही है। लेकिन उन्हें इस बात से काफी राहत है कि शुरुआती दौर में कुछ अदालतों में ही सही एक बार फिर से आमने-सामने सुनवाई की जा रही है।